मैंने सुमिना से काजल के भाई कुणाल के बारे में पूछा तो सुमिना उसके बारे में बातें करती हुई बड़ी ही रूचि के साथ उसका गुणगान कर रही थी.मुझे उस दिन के बाद से सुमिना पर शक सा होने लगा क्योंकि सुमिना भी काजल के घर आती-जाती रहती थी. इसलिए उस दिन के बाद से मैंने सुमिना की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया. काजल का हमारे घर पर आना जारी रहा. मगर हम दोनों को चुदाई का इतना मौका नहीं मिल पाता था क्योंकि घर पर सब लोग होते थे और काजल को लेकर मैं बार-बार बाहर नहीं जा सकता था. लेकिन फिर भी घर के अंदर ही मौका पाकर कभी उसके होंठों को चूस लेता और चूचों को दबा दिया करता था.दिन ऐसे ही गुजर रहे थे. फिर सुमिना के इम्तिहान शुरू होने वाले थे और काजल ने अब हमारे घर पर आना कम कर दिया था. मैंने सुमिना से पूछा तो उसने बताया कि अब वो अपने घर पर रहकर ही पढ़ाई करती है. यहां आने में उसका समय अधिक बर्बाद हो जाता है।मैं समझ गया कि शायद काजल इम्तिहान के दिनों में चुदाई-चुसाई जैसे कामों से बचना चाह रही है इसलिए वो नहीं आ रही है. मैं भी अपनी कॉलेज लाइफ में बिजी हो गया था मगर काजल से फोन पर बात होती रहती थी.फिर एक दिन मां-पापा को मेरे चाचा के यहां काम से जाना पड़ रहा था. मेरे चाचा दूसरे शहर में रहते थे. वहां मां-पापा को कुछ जमीन-जायदाद से संबंधी काम था जिसका निपटारा करने में कई दिन का समय लगने वाला था.उनके जाने के बाद घर में सुमिना और मैं ही रह गये थे. आशा अपना काम करके चली जाती थी. काजल ने भी घर पर आना बंद कर ही रखा था. मैं भी पढ़ाई में ध्यान दे रहा था. सुमिना की इम्तिहान से पहले की छुट्टियां थीं. इसलिए वो घर रहकर ही पढ़ाई करती थी. उसने भी काजल के घर जाना बंद कर रखा था.एक दिन की बात है जब कॉलेज का हाफ-डे हो गया. मैं लगभग 11 बजे ही घर के लिए निकल पड़ा. गर्मियों के दिन थे और बाहर की तेज धूप बदन को झुलसाने का काम कर रही थी. मैं जल्दी से घर पहुंचना चाहता था. मैंने ऑटो किया और आधे घंटे में ही घर पहुंच गया. वैसे तो मैं दिन के 3-4 बजे घर आता था लेकिन उस दिन 11.30 बजे के लगभग मैं घर के बाहर पहुंच गया था.मैंने ऑटो वाले को किराया दिया और घर के मेन गेट से अंदर घुस गया. घर के एक तरफ हमने एक गैलरीनुमा बरामदा बना रखा है जिसमें हमारी गाड़ी खड़ी रहती है। …और यहीं से सब बदल गया