नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम विन चौधरी है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 32 साल है, कद 5 फिट 8 इंच है. मेरे लंड का साइज़ 2 इंच मोटा और 7 इंच लम्बा है, जिससे मैंने बहुत सी अपनी गर्लफ्रेंड्स, भाभियों आदि की चूत की प्यास बुझाई है. सभी पाठकों से अनुरोध है कि कहानी को पढ़ने के बाद कैसी लगी, ये मेल करके जरूर बताएं.
बात दो साल पहले की है, जब मेरे पड़ोस में एक शादीशुदा कपल रहने को आए थे. आदमी का नाम अजय और उसकी वाइफ का नाम सपना था. उनकी नई नई शादी हुयी थी. मैं घर पर ही था. चूंकि वो लोग यहां नए थे, तो किसी को जानते नहीं थे. इसलिए मैंने उनका सामान टेम्पो से उतरवा कर उनके घर में रखवा दिया.
उनसे इस बात को लेकर मेरे सम्बन्ध अच्छे हो गए और उस दिन से मेरा उनके घर पे मेरा आना जाना हो गया.
अजय किसी कम्पनी में जॉब करता था और अक्सर 3-4 दिनों के टूर पे जाता था. भाभी एक 24 साल की सुंदर नैन नक्श वाली खूबसूरत महिला थी. उसका फिगर 36-28-36 था, रंग एकदम दूध जैसा गोरा था.
अब आप समझ ही गए होंगे कि भाभी कितनी मस्त कयामत थी. जब से मैंने उसे पहली बार देखा था, तभी से मैं उसको चोदने का प्लान बनाने लगा था.
एक दिन भाभी मेरे घर पे आयी और उसने बताया कि अजय 3 दिन के लिए बाहर जा रहा है.
मैंने उससे कहा- फिर आपका दिल कैसे लगेगा?
इस पर वो कुछ उदास सी हो गयी.
मैंने सोचा सही मौका है, इसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए. मैंने कहा- क्यों ना आप मेरे साथ कहीं घूमने चलो, इससे आपका दिल भी लग जाएगा और आप थोड़ा बहुत दिल्ली शहर भी देख लेंगी.
वो थोड़ा सोच कर बोली- ठीक है, कल चलते हैं.
उसकी यह बात सुनकर मेरे दिल में ख़ुशी के ढोल बजने लगे.
मैं बाइक लेकर सुबह 10 बजे पहुंच गया. उनके घर की मैंने डोरबेल बजाई, तो दरवाजा खोलने के लिए भाभी की आवाज आई- रुको आती हूँ.
भाभी ने जैसे ही दरवाजा खोला, मेरे आंखें फ़टी की फ़टी रह गईं.
भाभी ने डार्क ब्लू कलर की साड़ी पहनी थी, जो कि उनकी नाभि के ठीक नीचे बंधी थी. ऊपर भाभी ने मैचिंग कलर का स्लीवलैस ब्लाउज़ पहना हुआ था, जिसमें पीछे की तरफ केवल डोरियां बंधी थीं. इस वजह से उनकी पीठ से लेकर कमर तक हिस्सा पीछे से पूरी तरह से नंगा दिख रहा था.
मेरा तो ज़ी कर रहा था कि भाभी को अभी ही पकड़ कर चोद दूँ. लेकिन जैसे तैसे, मैंने अपने ऊपर कंट्रोल किया.
तभी भाभी ने शरारत भरी मुस्कान से कहा- अब देखते ही रहोगे देवर जी या फिर चलोगे भी.
मैंने भी मस्ती लेते हुए कहा- आज तो भाभी आप पूरी स्वर्ग की अप्सरा जैसी लग रही हो … लगता है किसी के कत्ल का इरादा है.
इस पर भाभी के गाल शर्म से लाल हो गए.
खैर हम दोनों बाइक पर बैठ कर घूमने चल दिए. मैंने पहले तो एक दो बार बाइक को झटके दिए, जिससे भाभी का संतुलन बिगड़ा. मैंने भाभी से कहा- आप मुझे कस कर पकड़ लो.
उसने एक हाथ मेरे कन्धे पर रख कर मुझे पकड़ लिया. मुझे तो भाभी के मजे लेने थे, सो रास्ते में ब्रेकर और गड्ढे में जानबूझ कर मैं जोर जोर से ब्रेक लगा देता, जिससे भाभी के नर्म नर्म चूची मेरे कमर में गड़ जाती.
पहले हम दोनों बुद्धा पार्क गए. आप अगर दिल्ली के आसपास रहते हैं, तो आपको पता ही होगा कि वहां पे सिर्फ जोड़े ही मिलते हैं. उधर के जोड़े किस कदर एक दूसरे से लिपट कर रोमांस करते हैं कि आपको अच्छी खासी डबल एक्स ब्लू फिल्म का लाइव शो देखने को मिल जाएगा.
चूँकि भाभी मुझसे अभी इतनी नहीं खुली थीं, तो वो कहीं और चलने की ज़िद करने लगीं.
फिर मैं उसे अक्षरधाम मन्दिर ले गया. वहां हमने 4-5 घण्टे बिताये, फिर अँधेरा होने लगा था और मौसम भी खराब था. जिस कारण रास्ते में आते हुए हम दोनों पूरी तरह से भीग गए.
घर आकर भाभी ने गेट खोला और अन्दर से एक तौलिया और अजय का लोअर, टी-शर्ट लाकर मुझे दिया. भाभी बोली- लो चेंज कर लो, नहीं तो सर्दी लग जाएगी. तब तक मैं भी चेंज करके आती हूँ.
मैंने चेंज कर लिया.
जैसे ही भाभी आई, उसे देख कर मेरा मुँह खुला ही रह गया. वो एक ट्रांसपेरेंट नाइटी में थी, जो कि मुश्किल से उसकी जांघों तक की थी. मुझे देख कर लगा कि भाभी शायद मुझे दिखाने के लिए जानबूझ कर पहन के आई थी.
मैंने ध्यान से देखा कि उसने अन्दर ब्रा भी नहीं पहनी थी जिससे मुझे उसके कड़क निप्पल की नोकें ऊपर से ही साफ़ दिख रही थीं.
मुझे चेंज करके देख कर भाभी मुझसे सोफे पे बैठने को बोली और खुद किचन में कॉफ़ी बनाने चली गयी. अब तक मेरे लंड ने भी बगावत करनी शुरू कर दी थी.
मैं धीरे से उठ कर अन्दर गया और पीछे से भाभी को बांहों में भर लिया.
भाभी को मुझसे ये उम्मीद नहीं थी. उसने एकदम से चौंक कर कहा- देवर जी, ये आप क्या कर रहे हैं, यह सब ठीक नहीं है.
पर मैंने भाभी की एक ना सुनी और पीछे से ही उसकी कमर और गर्दन पे किस करने लगा. वो मेरी पकड़ से छूटने की नाकाम कोशिश कर रही थी या यूं कहें कि शायद वो भी यही चाहती थी.
मैं एक हाथ उसकी नाईटी के अन्दर डाल कर उसके निप्पल को मसलने लगा और एक हाथ से उसकी गांड को दबाने लगा. मेरा लंड लोअर में से ही उसकी मुलायम गांड की दरार में दस्तक दे रहा था. जिस कारण उसका विरोध भी अब कम हो गया था. मैंने उसे सीधा किया और देर न करते हुए उसके गुलाब की पंखुड़ी से होंठों पर अपने होंठों रख दिए और उनका रस पीने लगा.
अब भाभी भी पूरी तरह गर्म हो गयी थी. वो भी मेरा साथ देने लगी. मैंने उसकी नाइटी को एक झटके में उसके शरीर से अलग कर दिया. उसके दूध जैसे गोरे गोरे बूब्स मेरे सामने थे. मैंने बारी बारी से भाबी के दोनों मम्मों का रस पिया और खूब मसला.
फिर मैंने उसकी पेंटी को भी उसके बदन से आज़ाद कर दिया. उसकी चूत एकदम चिकनी और गुलाबी थी. शायद आज सुबह ही उसने झांटों की सफाई की थी. मैं देर ना करते हुए उसकी चूत में मुँह लगा कर चूसने लगा.
वो ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की मादक आवाज करते हुए सिसकारी लेने लगी. उसने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत पे दबा लिया. मैं भी उसकी चूत में एक उंगली करते हुए उसकी चूत को चाटने लगा. कोई 5 मिनट में वो जोर जोर से हांफने लगी और मेरे मुँह पे ही सारा चूत का पानी निकाल दिया, जो मैंने चाट चाट के साफ़ कर दिया.
अब मैं खड़ा हुआ और उसने बिना कहे ही मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
जैसे ही उसने मेरे लंड को देखा, तो काँप कर बोली- देवर ज़ी आपका लंड तो बहुत ही बड़ा है. मेरी चूत तो फट ही जाएगी.
मैंने कहा- चिंता मत करो मेरी भाभी जान … पूरा लंड बिल्कुल आराम से अन्दर जाएगा.
मैंने पास में पड़े देसी घी के डिब्बे में से खूब सारा घी निकाल के अपने लंड और भाभी की चूत पे लगाया. और भाभी को वहीं किचन में स्लैब के सहारे झुकने को कहा. जैसे ही भाभी स्लैब पर अपने मम्मे टिका कर झुकी, मैंने देखा कि उसकी चूत पीछे की ओर निकल आई. मैंने अपना लंड भाभी की चूत पर सैट किया और दोनों हाथों से उनकी कमर को पकड़ लिया. फिर एक ही झटके में मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुए घुस गया.
वो मोटे लंड का दर्द सहन नहीं कर पाई और दर्द से चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई … देवर ज़ी प्लीज छोड़ दो … मुझे नहीं चुदवाना … आह फट गई मेरी चूत … रुक जाओ.
पर मैं कहां मानने वाला था. मैंने एक और जोरदार शाट मारा और मेरा पूरा लंड उसकी कसी हुयी चूत की गहराइयों में खो गया. वो दर्द के मारे छटपटाने लगी. मैं कुछ देर ऐसे ही रहा. जब उसका दर्द कम हुआ, तो मैंने धीरे धीरे झटके मारना शुरू किए.
अब उसके मुँह से आअह्ह्ह … आअह्ह … की कामुक ध्वनियां निकलने लगीं. भाभी की चूत ने हल्का रस छोड़ दिया था, जिस वजह से जल्दी ही मेरे लंड ने उसकी चूत में जगह बना ली.
मैं भाभी की चूत की धकापेल चुदाई करने में जुट गया. बीच बीच में मैं अपने हाथों से उसके चुचे दबाता जाता. मैं कभी उसकी नंगी कमर और गर्दन को चूम लेता.
दोस्तो, इस तरह सेक्स करने का भी एक अलग ही मज़ा है.
भाभी अब तक मस्त होकर चुदवाने लगी थी. अब वो भी अपनी गांड पीछे कर करके झटके मारने लगी. ये देख कर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से शॉट लगाने लगा.
भाभी के किचन में हमारी चुदाई की ‘फच्च … फच्च …’ की मधुर ध्वनि आ रही थी.
करीब 20 मिनट बाद मेरे लंड में से वीर्य की धार निकली. मैंने भाभी की चूत में ही अपना सारा माल निकाल दिया.
भाभी ने हांफते हुए मेरी ओर हंस कर देखा और बोली- देवर जी, आपने तो आज मेरी जान ही निकाल दी.
मैंने कहा- अब तो तुम ही मेरी जान हो. तुमको मैं रोज ही मजा दूंगा.
मैंने उसके होंठों को फिर से चूम लिया. भाभी से मेरी पक्की सैटिंग हो गई थी. उसके बाद से जब भी उसके पति अजय का बाहर जाना होता, भाभी के बिस्तर में मेरी बर्थ पक्की रिजर्व रहती. भाभी अपनी गांड का उद्घाटन भी मेरे मोटे लंड से करवा चुकी थी. उसकी गांड मारने का मजा मैं आपको जरूर सुनाऊंगा, पर पहले आपकी मेल मुझे प्रोत्साहित करेगी.
दोस्तो, यह थी मेरे जीवन की सच्ची चुदाई की कहानी, आपको कैसी लगी बताना जरूर.