प्रेषिका : अर्पिता अमन कादियाँ मेरा नाम अर्पिता है, मैं 25 साल की एक सुंदर औरत हूँ। मैं गुड़गाँव, हरियाणा में रहती हूँ। मेरे पति एक प्राइवेट कंपनी में उच्च पद पर हैं, उनका नाम अमन है। हमारी शादी को चार साल हो गए हैं पर हमें एक भी बच्चा नहीं था और इस बात पर हमेशा लड़ाई होती रहती कि मैं कभी माँ नहीं बन सकती। यह आज से चार महीने पहले की बात है, एक दिन मेरी सहेली हमारे घर मे आई और उसने एक आदमी से मिलने को कंहा। उस आदमी का नाम संजीव था। जब हम पति-पत्नी उससे मिले तो उन्होंने हमारे घर में एक विधि बताई और कहा- मैं तुम्हारे घर आऊंगा शनिवार के दिन और वहाँ पर हवन करूँगा और साथ ही साथ तुम्हें कुछ दवाई भी दूंगा। उन्होंने मुझसे यह भी कहा- तुम दोनों के अलावा घर पर कोई अन्य नहीं होना चाहिए। जब हम घर आये तो मेरे पति ने कहा- ऐसा करने से बच्चा नहीं हो सकता ! मैंने कहा- पर ऐसा करने से हो भी जाये तो क्या दिक्कत है। जब वो शनिवार को आये तब उन्होंने हमारे घर में हवन किया और एक दवाई भी दी। उस दवाई को खाने के बाद कुछ देर मे सेक्स करने का मन करने लगा और संजीव ने मेरे पति को सेक्स करने के लिए कह दिया और मेरे पति मुझे लेकर हमारे बेडरूम में चले गए। कमरे में जाने के बाद हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे और साथ ही साथ चूम रहे थे। मेरे पति मेरी चूचियों को ब्रा के उपर से ही दबाने लगे और कुछ देर बाद मेरी ब्रा भी उतार दी। फिर वो मेरे स्तनों को चूसने लगे। वो बार-बार उन्हें काट भी रहे थे। मैं मना कर रही थी पर वो सुनने को तैयार ही नहीं थे। फिर मेरे पेटिकोट को भी उतार दिया और मेरे टाँगों को चूमने लगे। फिर मेरी पेंटी को उतारने लगे तो मैंने कहा- जल्दी करो, अब रुका नहीं जा रहा ! वो नहीं माने और कहा- धीरे-धीरे करने में मजा आता है। उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी योनि में डाल दी। मैं जोर से चीख पड़ी- उंगली बाहर निकालो और लंड चूत में डाल दो ! तो मेरे पति कहने लगे- अब आ जा, मेरे लंड पर बैठ जा ! मैं उनकी गोदी में बैठ गई पर उससे वो नहीं माने, मुझे बिस्तर पर लिटाया और अपने लंड को मेरी चूत में घुसा दिया और जोर-जोर से मुझे चोदने लगे। तीस मिनट तक चोदने के बाद जब हम बाहर आये तो संजीव अब भी मंत्र पढ़ रहे थे। उन्होंने वो दवाई हमें दस दिन लेने को कहा। उन्होंने उस समय कोई फीस नहीं ली। जब एक महीना हुआ और हमने चेक करवाया तो पता चला कि मुझे गर्भ ठहर गया था। आज भी हम उनको धन्यवाद करते हैं और उनको बुलाते रहते हैं। यह कहानी कैसी लगी, हमें मेल करें !