सरिता की लीला - एक यौन उत्सव की कहानी

सरिता की चुदाई की कहानी एक यौन उत्सव की कहानी है, जिसमें प्यार, उत्साह और यौन आकर्षण का मिश्रण है। यह कहानी एक युवा लड़की की जीवनकथा है, जो अपने जुनून और ललक के साथ यौन संबंधों की दुनिया में कदम रखती है।

🔒 Share once to unlock this and all stories for 7 days.

प्रेषक : श्रेय अहूजा आज मेरे लण्ड में वही खुजली हो रही थी ... न जाने आज उसके मुंह में पानी क्यूँ रिस रहा था। मेरे घर में एक जवान लड़की काम करने आती है आज कल... माँ बीमार है ! छोटे साहब डॉक्टर ने आराम करने को कहा है ... कहकर वो काम में जुट गई। घर में आज कल कोई नहीं रहता ... पापा का टूरिंग चल रहा था और मम्मी मामाजी के घर में रहती थी। मेरी परीक्षा नजदीक आ रही थी इसलिए पढ़ाई की चिन्ता थी। उसका नाम सरिता था .. पास ही झोंपड़ी में रहती थी। बाबूजी ये कपड़े धोने के है? .. यह पूछ कर मेरी चड्डी उठा ली उसने ! रात में मैंने उसमें मुठ मारा था, उसका गीलापन और महक अभी भी थी। मैंने कहा- अरी रहने दे ! मैं धो लूँगा उसे ! छोड़ दे .. वो चले गई और बाकी के कपड़े धोने लगी... उसकी काली ब्रा पीछे से दिख रही थी .. उसकी मांसल जांघें और उसके उरोजों के बारे में सोचने लगा। मेरा लण्ड खड़ा हो गया .. मैंने अपने चड्डी में मुठ मारा और फिर उसे धोने को कहा। क्या बाबूजी ! कितना गन्दा हो गया ... ख्याल नहीं रखते क्या ?? हँसकर वो चड्डी धोने लगी .. उसके कमसीन उरोजो को मैं छुप कर देख रहा था ... वो हँसने लगी ... कभी देखा नहीं है क्या बाबूजी ? .. आपकी तो बहुत गर्लफ्रेंड होगी ना?? मुस्कुरा कर मेरे मुठ वाली चड्डी को रगड़ने लगी ... ओह्ह हो यही मिली थी माल निकलने के लिए ... मैं डर गया मेरा लण्ड सिकुड़कर मूंगफली बन गया ... इतनी तेज़ चीज़ ..इतनी तेज़ तो अंजू भी नहीं है ?? मैं जल्दी से अपने कमरे घुस गया ... रात भर नींद नहीं आई ... मैंने सोचा- अगर मुठ मार लिया तो कल चोदना पड़ गया फिर ... ना ना नौकरानी को नहीं चोदूंगा .. पापा को पता चल गया, फिर ? अगले दिन वो नहीं आई उसकी माँ आई थी। मेरे खड़े लण्ड पर डंडा हो गया ! मैं सोचने लगा कल ही मौका था ... फिर एक सेक्सी आवाज़ आई ... माँ ! रहुआ फिर आ गयी .. जहियो ! मैं हूँ ना ! घर जहियो... मेरा लण्ड खड़ा हो गया .. सरिता मेरे कमरे की सफाई करने लगी। …और यहीं से सब बदल गया

👆 Tap to continue…

Comments