बाबा की यादगार रात, चुदाई की हसरतें

एक छोटे से गाँव में रहने वाले बाबा की कहानी, जो अपनी यादगार रात के लिए जाने जाते हैं। यहाँ उनकी कहानी है, जिसमें उन्होंने अपनी चुदाई की हसरतें पूरी कीं।

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लेखिका : दिव्या डिकोस्टा जब मैं जवान हुई तब मुझे भी और लड़कियों की तरह चुदवाने की इच्छा होती थी। पर हमारी सहेलियों में से एक के साथ प्रेग्नेन्सी का हादसा हो गया तब से मैं बहुत डर गई थी। वो पूरे कॉलेज में बदनाम हो गई थी और फिर उसने कॉलेज छोड़ दिया था। आजकल वो बंगलोर में पढ रही है और होस्टल में रह रही है। मैं इस हादसे के बाद से अपने हाथ से ही धीरे धीरे कर लेती थी। मेरी सहेलियों ने मुझे अन्तर्वासना साईट बताई, तब से मैं रात को इसे अकेले में देखती हूँ और मेरे मन की इच्छा के ही अनुरूप इसमें उत्तेजक कहानियाँ पढ़ने को मिल जाती है। इसको पढ़ने से मेरी रातें रंगीन हो उठती हैं, हां कुछ देर तो मैं वासना में तड़पती रहती हूँ और फिर अंगुली घुसेड़ कर पानी निकाल लेती हूँ। सच में इसमें बड़ा सुख मिलता है। इसके लिये मैं अंतर्वासना को धन्यवाद देती हूँ। मेरा बॉय फ़्रेन्ड अक्सर मुझे चुदवाने के लिये कहता है, पर डर के मारे मैं उसे मना कर देती हूँ। पर शायद उसे एक दिन मौका अन्जाने में मिल गया। घर में कोई नहीं था और विकास अचानक ही घर पर आ गया। उसे मैंने अन्दर बैठाया और उसकी मेहमानवाजी की। पर जैसे ही उसे पता चला कि मैं घर में अकेली हूँ, उसने मुझे कहा " स्वाति आओ, अकेलेपन का फ़ायदा उठा लें ! प्यार करें, किस करें, अभी यहाँ कौन है देखने वाला !" मुझे भी लगा कि मौका अच्छा है कुछ थोड़ी चुम्मा-चाटी कर लें तो मजा आयेगा। मैं शरमा तो गई पर इन्कार नहीं कर पाई। मैं उसके पास बैठ गई और हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे। होठों को चूसने लगे। उसकी जीभ मेरे मुँह में घुस कर मुझे आनन्दित कर रही थी। मेरे बदन में उत्तेजना भी होने लगी थी। इसी बीच विकास का लण्ड खड़ा होने लग गया। लगता था वो भी उत्तेजित हो रहा था। …और कहानी ने मोड़ लिया

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