अब तक आपने पढ़ा.. मैंने भी कपड़े उतारे और उसके बगल में लेट गया। वो शायद बहुत गहरी नींद में रही होगी, इसलिए उसे बिल्कुल फर्क नहीं पड़ा और वो सोती रही और मैं उसे सहलाता रहा। कभी उसकी चूची दबाता तो कभी उसकी चूत और गाण्ड को सहलाता रहा। मेरे ऊपर सूजी को चोदने का ख्याल इतना ज्यादा था कि मेरा माल निकल कर उसकी गाण्ड में लग गया और उसकी आँख खुल गई। वो उठी और बत्ती उसने जला दी.. फिर थोड़ी तेज आवाज में ‘कौन-कौन..’ चिल्लाने लगी। लेकिन किसी को न पाकर उसका हाथ अपनी गाण्ड की तरफ गया.. जहाँ पर उसे मेरी मलाई मिली। उसने उसे सूंघा और अपनी पैन्टी से अपनी गाण्ड पोंछने के बाद बड़बड़ाने लगी- साला कौन आ सकता है? तभी उसे ध्यान आया तो वो तुरन्त दौड़ कर दरवाजे की तरफ गई.. लेकिन दरवाजा बन्द देखकर वो कुछ हल्की सी डर गई और बिस्तर पर अपने आपको बिल्कुल सिकोड़ लिया। अब मेरे पास उसके सोने तक वहाँ रहने के अलावा कोई और चारा नहीं था। करीब डेढ़ घंटे के बाद जब वो गहरी नींद में सो गई तो मैं उसके कमरे से निकल कर अपने कमरे की ओर जाने के लिए सीढ़ियों से उतर रहा था। तभी एक 20-22 साल का लड़का तीसरी मंजिल के रूम में रहने वाली दो लड़कियाँ रेहाना और काजल में से रेहाना के साथ जा ऊपर चढ़ रहा था। उस लड़के को देखकर मेरा माथा ठनका कि हॉस्टल में लड़के भी प्रवेश कर जाते हैं? ये सोच कर मैं उन दोनों को डांटने वाला था कि तभी मेरे गायब होने की बात मुझे याद आई.. इसलिए उनको डांटने का विचार त्याग दिया और उनके पीछे-पीछे उनकी हरकतों या तो ये कहिये कि उनकी चुदाई देखने के लिए चल दिया। रास्ते में वो लड़का जिसका नाम संदीप था.. बोला- रेहाना.. आज तो मैं तेरी अपनी गाण्ड मारूँगा। बस इतना बोलकर संदीप ने उसकी गाण्ड में अपना हाथ फेरा और उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपने से चिपकाता हुआ रेहाना के कमरे के दरवाजे तक पहुँच गया। इतना कहते हुए रेहाना रूम में घुसी, संदीप और मैं भी रेहाना के पीछे कमरे में पहुँच गए। इतनी देर में रेहाना ने भी अपने कपड़े उतार दिए। दोनों लड़कियों की लम्बाई एक जैसी ही थी। दोनों का फिगर एक जैसा था। दोनों का रंग भी काफी खिला हुआ था। पर जहाँ रेहाना बिल्कुल टॉप की माल लग रही थी, वही काजल थोड़ा सा रेहाना से पीछे थी। अब दोनों ही लड़कियाँ संदीप से चिपक कर उसके कपड़े उतार रही थीं। संदीप पूरा नंगा हो चुका था। संदीप का लण्ड भी करीब आठ इंच से ज्यादा का रहा होगा। अब दोनों लड़कियाँ संदीप के निप्पलों को जीभ से चाट रही थी और कभी-कभी उसके निप्पल को दाँत से काट भी लेती थीं। जैसे संदीप के निप्पल को लड़कियाँ दाँत काटतीं.. सदीप के मुँह से एक सीत्कार सी निकलती। तभी काजल बोली- संदीप मेरी चूत की खुजली बढ़ती जा रही है.. इसे चोद कर खुजली को मिटाओ। संदीप दोनों के पास पहुँचा और बारी-बारी से दोनों की बुरों को रौंदने लगा। थोड़ी ही देर में संदीप ने अपना पूरा माल काजल पर गिराया। मैं भी उनके कमरे से निकल लिया। लैब में प्रोफेसर से केवल काजल और रेहाना के किस्से को बताया। सूजी वाली बात को मैं इसलिए छुपा गया कि उसे केवल मैं ही चोदना चाहता था। जैसा कि मैं जानता था कि प्रोफेसर भी लड़कियों की चाहत रखता है और यह बात प्रोफेसर ने मुझे कही भी थी। मैंने प्रोफेसर को लैब में रहने की बात कही और रेहाना या काजल में से किसी एक को भेजने का वादा किया और अपने ऑफिस में पहुँचा। ऑफिस आते समय रास्ते में वो दोनों लड़कियाँ दिखीं। मैंने दोनों लड़कियों को देखकर सीधे-सीधे उनसे बात करने की ठानी इसलिए उनको अपने ऑफिस में बुलाया और सीधे मुद्दे पर आ गया। मुझे बड़ा गुस्सा आया.. मैं अपनी सीट से उठा और उसकी आँखों में आँख डालकर बोला- जिसने कल रात तुम दोनों के बुर का बाजा बजाया था। तुम दोनों नंगी होकर अपनी गाण्ड मटका-मटका कर अपनी चुदाई करवा रही थीं। अब दोनों लड़कियाँ काँप रही थीं, दोनों को काँपता हुआ देखकर मैं थोड़ा नार्मल हुआ और उनसे पूछा- संदीप हॉस्टल के अन्दर कैसे आया? ‘नहीं सर..’ काजल बीच में ही बोल पड़ी। ‘जब से आप इस हॉस्टल के वार्डन बने हैं.. उस रात के बाद कल रात पहली बार आया। आप इतने स्ट्रिक्ट हैं कि हम लोग न कहीं जा पाते हैं और न ही कोई यहाँ आ पाता है।’ तभी मैंने उनसे कहा- अब तुम लोग अपना सामान पैक करो.. तुम्हारा कॉलेज से नाम काटा जा रहा है। रेहाना इतना सुनते ही मेरी तरफ मटकते हुए आई और बोली- सर अगर आपने हमें पकड़ ही लिया है.. तो बाकी क्या बचा? हम दोनों के पास चमड़े का होल है और आपके आपके पास चमड़े का रॉड.. आप भी मजा ले लो न.. इतना कहकर मैंने काजल और रेहाना के होंठों को चूमते हुए कहा- ठीक है.. लेकिन अभी तुम दोनों केमेस्ट्री लैब में चलो.. मैं वहीं आता हूँ। दोनों हामी भर कर लैब की ओर चल दीं। दोनों लैब में पहुँचीं.. तो प्रोफेसर को देखकर सकपका गईं और वापस जाने लगीं, तभी मुझको लैब की तरफ आता हुआ देख कर रुक गईं। मैं मुस्कुराते हुए दोनों को अन्दर ले गया और प्रोफेसर के सामने ही बोला- तुम दोनों को आज अपना जलवा प्रोफेसर को दिखाना है। मैं प्रोफेसर के साथ इतने महीने रहा.. ये बेचारे अपने काम में ही लगे रहते हैं। दुनियादारी से कोई मतलब नहीं है.. बड़ी मुश्किल से इनको मनाया है। मैं काजल की बात को बीच में काटते हुए और दोनों लड़कियों के चूतड़ को दबाते हुए बोला- चिन्ता मत कर। यदि खुजली नहीं मिटी तो मैं हूँ.. तुम दोनों की खुजली मिटाने के लिए। दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा और मुस्कुराई। प्रोफेसर मेरी तरफ देखता रहा.. मैं उसकी बातों को समझ गया। मैंने इशारे से उसको समझाया कि अपनी दवा को यूज करो। मेरी बातों को समझते हुए प्रोफेसर ने अपनी बनाई हुई दवा यूज की। दोनों लड़कियाँ बहुत ही समझदार थीं। लैब के बराबर बने हुए कमरे में चली गईं और मैं वहाँ से चला आया। मैंने भी सोचा क्यों न मैं भी इस चीज का नजारा लूँ, सो मैंने भी प्रोफेसर की बनाई हुई दवा की एक बूँद ली और चुपचाप उस कमरे में चला गया। इससे पहले भी मैं उस कमरे में जाता था लेकिन आज उस कमरे का माहौल कुछ अलग था। प्रोफेसर सोफे पर बैठे हुए थे लेकिन वो लड़कियों से नजरें नहीं मिला पा रहे थे। करीब आधे घण्टे हो गए थे लड़कियों को वहाँ बैठे हुए.. पर न तो प्रोफेसर ने तो लड़कियों से एक शब्द भी नहीं बोला। तभी काजल और रेहाना अपनी जगह से उठकर प्रोफेसर के पास आईं और दोनों ने प्रोफेसर का हाथ पकड़ लिया और काजल बोली- सर शर्माओ मत.. आप मर्द हो और हम लड़कियाँ हैं, बस यही एक रिश्ता है हमारे और आप के बीच में.. मित्रो, मेरी कहानी मेरे एक सपने पर आधारित है.. मैंने अपनी लेखनी से आप सभी के लिए एक ऐसा प्रसंग लिखना चाहा है.. जो मानव मात्र के लिए सम्भोग की चरम सीमा तक पहुँचने की सदा से ही लालसा रही है। मुझे आशा है कि आपको ये कहानी पसंद आएगी।
रात को आठ बजे हम लोगों की नींद खुली तो एक राउन्ड और चुदाई का चला.. उसके बाद कंगना अपने कमरे में चली गई और मैं अपने खाने-पीने के इंतजाम से बाहर निकल आया।
करीब 11 बजे मैं खाना खा कर लौटा तो सभी कमरों की लाईट बन्द हो चुकी थी। मैंने वही दवा फिर से ली और सूजी के कमरे की चाभी निकाली और उसके कमरे को हल्के से खोला और अन्दर आ गया।
अंधेरे में कुछ दिख नहीं रहा था। आँखें फाड़-फाड़ कर मैं सूजी के बिस्तर की ओर बढ़ा.. जहाँ पर सूजी करवट बदल कर बिल्कुल नंगी सो रही थी।
अब आगे..
रेहाना उस लड़के की तरफ मुड़ी और बोली- देख संदीप.. मैं गाण्ड नहीं मरवाऊँगी.. अगर मेरी चूत चोदनी है तो चोद.. नहीं तो तू वापस जा सकता है।
तभी संदीप एक अजीब तरह से अपने जीभ को अपने होंठों पर फेरता हुआ बोला- गुस्सा न हो जान.. चूत ही चोदूँगा..
दरवाजे को रेहाना ने हल्के से खटखटाया, दरवाजे को काजल ने खोला वो पूरी नंगी थी।
नंगी काजल को देखकर रेहाना उसकी चूची को मसलती हुई बोली- लाडो, चूत चुदवाने की बड़ी जल्दी है.. जो पूरे कपड़े उतार कर नंगी हो गई।
मैंने थोड़ी सतर्कता के कारण एक बूँद उस दवा की और ले ली। इधर जब काजल जब दरवाजे को बन्द करने के लिए मुड़ी तो संदीप ने उसकी गाण्ड में उंगली करते हुए चूची को मसल दिया.. जिससे वो थोड़ा चिहुँकी.. लेकिन मुस्कुरा दी और उसने भी संदीप की गाण्ड में एक जोर से चपत लगा कर बोली- बच्चू इतना मत उछल।
अब दोनों लड़कियाँ धीरे-धीरे नीचे की ओर सरककर नीचे बैठीं और उसके जांघ को चाटने लगीं।
सभी एक-दूसरे को चूम-चाट रहे थे। धीरे-धीरे उन सभी की काम-क्रीड़ा चरम पर पहुँच गई।
वो जाकर चित्त लेट गई और रेहाना भी उसके बगल लेटते हुए बोली- हाँ डार्लिंग मेरी भी आग बुझाओ।
करीब तीन राउण्ड चुदाई का खेल उन तीनों के बीच चला। लगभग सुबह के पाँच बजने वाले थे। दोनों की चुदाई खत्म करके संदीप ने दोनों के एक-एक हजार रूपये दिए और चला गया।
अब मुझे समझ में आ गया था कि दोनों पैसे के लिए भी चुदाई करवाती हैं।
मैंने उनसे सख्ती से पूछ लिया- संदीप कौन है?
‘कौन संदीप?’ काजल बोली।
‘चुपचाप दीवार फांद कर..’ रेहाना बोली।
‘रोज आता है?’
‘तो फिर कल कैसे?’
रेहाना बोली- सर काफी दिन से हम आपको वाच कर रहे थे कि रात को आप कितने बजे सोते हैं.. कितने बजे जागते हैं। उसी अनुसार कल बुला लिया और हम लोग फिर भी पकड़ लिए गए। उनकी इस बात को सुनकर यह समझ में आया कि उन्हें लग रहा है कि मैंने संदीप को पकड़ लिया है।
और एक सादे कागज पर उनको और डराने के लिए उनसे अपने साइन करने के लिए कहा.. पर हुआ उल्टा?
मैंने उसके चूतड़ पर हाथ फेरते हुए बोला- तुम हो बहुत समझदार..
मैंने प्रोफेसर को फोन करके सारी बात बता दी।
मैं पास पहुँचा तो दोनों ने आँखों से इशारा करके प्रोफेसर के होने की जानकारी दी।
तभी काजल बोली- लेकिन सर?
आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपका शरद सक्सेना
कहानी जारी है।
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