मैंने नीचे से दोनों बहन भाई को नंगा कर दिया. पूरा नंगा होना भी ठीक नहीं था. थोड़ी देर तक वे दोनों किस करते रहे और मैं विक्की का लंड हिलाती रही. मैंने आराम से विक्की के कान में कहा- अब लंड डाल दो.विक्की ने जैसे ही अपना लंड चूत पर रखा, तो निहारिका पेलने से मना करने लगी. वो मुझसे चुदने के लिए कहने लगी. मैंने उसको समझाया- एक बार करने दो, फिर मैं भी करवा लूँगी. इसमें कोई गलत बात नहीं है, जरूरत पूरी करनी है बस.मैंने जैसे तैसे उनको समझाया और विक्की का लंड उसकी बहन की चूत के अन्दर डलवा दिया. पहले तो विक्की बहुत धीरे धीरे धक्के लगा रहा था, जब निहारिका नीचे से अपने कूल्हे उछालने लगी तो विक्की के धक्कों की स्पीड भी तेज हो गयी.मुझे लंड नहीं मिल रहा था, तो मुझे जलन सी हो रही थी. दूसरी तरफ मेरा मकसद पूरा हो गया था, तो खुश भी थी.कुछ देर चुदाई के बाद निहारिका को दर्द होने लगा क्योंकि अब तक वो 2 बार झड़ चुकी थी.विक्की ने एक मिनट के लिए लंड बाहर निकाला, तो मेरा मन होने लगा कि मैं अपनी चूत में लंड ले लूँ. लेकिन अगले ही मिनट में ही दोबारा से विक्की का लंड निहारिका की चूत में घुस गया था. वो दोनों फिर से शुरू हो गए. धकापेल चुदाई के 15 मिनट बाद दोनों झड़ गए. इधर मैंने भी खुद को उंगली से झड़ा लिया था.अब करीब 3 बजने को थे तो हम सो गए.सुबह जब उठी तो निहारिका ने मुझसे कहा- आज आप रुक जाना. हम भी रुक जाएंगे और इस रात की तरह आज की रात और हसीन बनानी है. घर जाने के बाद हमें ऐसा मौका नहीं मिलेगा.मामा ने मेरी मम्मी को 5-6 दिन रुक जाने को कहा, तो मम्मी ने मुझसे पूछा. मैंने कहा- मम्मी मुझे तो घर जाना है और मैं भी निहारिका और विक्की भाई के साथ अपने घर जाऊँगी. वो कभी हमारे घर नहीं गए है. तो मौसी ने मुझसे कहा- हां ये ठीक रहेगा, तुमको कोई दिक्कत ना हो, तो निहारिका और विक्की को ले जाओ, उनको भी पहाड़ों की सैर करवा दो. इसी बीच निहारिका ने भी कहा- हां मम्मा इस बहाने हम भी घूम आएंगे.तो मामा मौसी और मम्मी सब मान गए. …और यहीं से सब बदल गया