Xmyra के पाठकों को आपकी अपनी अर्चना का प्यार ! आगे की कहानी पढ़ने से पहले मेरी पिछली कहानियाँ जरूर पढ़ें। मैं अपनी कहानी आगे बढ़ाती हूँ, शादी के वक्त मैंने सोच लिया था कि मैं शादी के बाद साहिल का पूरा साथ दूंगी, और उसके साथ कोई धोखा नहीं करुँगी। शादी के बाद मैं तरह-तरह के सपने देख रही थी क्योंकि साहिल दिखने में काफी सुन्दर है और काफी हष्ट-पुष्ट भी मगर शादी के बाद पहले दिन ही मेरे सारे सपने टूट गए क्योंकि साहिल का लौड़ा खड़ा होने के बाद मुश्किल से 5 इंच का है और जो लड़की 8-9 इंच का लौड़ा ले चुकी हो उसको 5 इंच में क्या मजा आएगा। लेकिन मैंने कोई शिकायत नहीं की। पहली रात को जब साहिल मेरे कमरे में दाखिल हुआ तो वो काफी घबराया हुआ था, उसने जूस का ग्लास जो कि बेड के एक तरफ रखा हुआ था पी लिया। इसके बाद उसने अपनी शर्ट और पैंट उतारी और मेरी तरफ बढ़ा। मेरी साँसें बहुत तेजी से चल रही थी और मैं भगवान से दुआ कर रही थी कि कम से कम इसका लंड 7-8 इंच का निकले। वैसे तो साहिल शरीफ था मगर एक लड़की शराफत के सहारे जिंदगी नहीं काट सकती। उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए, मैं नंगी थी और अपने हाथों से अपने उरोज ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मुझे इस अवस्था में देखकर साहिल उत्साहित हो गया और अपनी अंडरवियर उतार कर मैदान में उतर आया। उस वक्त तक मेरी नजर उसके लंड पर नहीं गई थी, मैं तो अपने सपनों की दुनिया में खोई हुई थी। साहिल मेरे होंठों पर उंगली फेरने लगा और धीरे-धीरे करके वो मेरे होंठों की तरफ बढ़ा और कब उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गए मुझे पता ही नहीं चला। उसने अपने बाएं हाथ से मेरे सर के बाल पकड़े थे और दूसरे हाथ से मेरे चुच्चे मसल रहा था, मैं उत्तेजनावश आआ आह आआ आआ आआह कर रही थी, मैं साहिल का लंड लेने के लिए उत्साहित थी। इससे पहले कि वो मेरी चूत में अपना लंड डालता, वो स्खलित हो गया और उसका खड़ा लंड बैठ गया। लंड बैठने के बाद वो मेरे ऊपर से हट गया। मैंने अपनी सारी शर्म उतार फेंकी और उसका लंड पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया, मेरी उत्तेजना को साहिल फिर भी नहीं समझ पाया और मेरे मुंह में लेने के बाद भी उसका लंड 5 इंच तक ही खड़ा हो पाया। दूसरी सुबह मेरी दोनों ननदें मुझे और वाणी को छेड़ने लगी, जिससे मुझे गुस्सा आ गया और मैंने अपनी ननदों को खूब गाली सुनाई, इसके बाद वो पूरे दिन मेरे आस-पास भी नहीं फटकी। वाणी जो मेरी देवरानी थी और मेरी कजन और अच्छी दोस्त भी, उसने मुझसे इसका कारण जानना चाहा तो मैंने उसे सब बता दिया तो वो उसने बताया कि उसके पति गौरव का लंड 7 इंच का है और वो गौरव से खुश है। शादी के दो महीने बाद ही मेरी सास की मृत्यु हो गई और मुझ पर घर की सारी जिम्मेदारी आ गई क्योंकि मैं घर की बड़ी बहू थी, पत्नी की मौत के बाद ससुर जी भी काम में ध्यान नहीं दे पा रहे थे जिसकी वजह से हमें बिजनेस में बहुत बड़ा नुकसान हो गया। एक दिन की बात है जब घर पर मैं, साहिल और मेरे ससुर जी ही थे। उन्होंने अपने एक पार्टनर मोहसिन को घर पर ही बुलाया था, वैसे तो वो आदमी 40-45 के आस-पास का था मगर फिर भी काफी फिट था। ससुरजी ने मुझे चाय लाने को बोला। जब मैं चाय रख रही थी, तभी मेरी साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया और मेरे बूब्स उसके सामने आ गए और उसकी नजरें मेरे चुच्चों पर गड़ गई। मैंने जल्दी से अपने आपको संभाला और ट्रे लेकर चुपचाप वहां से चली गई। वो तीनों बैठकर काफी देर तक बातें करते रहे और फिर तीनों वहाँ से चले गए। अगली सुबह मैंने ससुरजी, गौरव और साहिल को बातें करते सुना कि यह डील हमारे लिए बहुत ही जरुरी है क्योंकि पहले ही हमको बहुत नुकसान हो चुका है। कुछ देर बाद ही तीनों ऑफिस चले गए, मेरी दोनों ननदें पहले ही कॉलेज जा चुकी थी, मैं और वाणी ही घर पर थे। करीब 10 बजे वाणी मेरे कमरे में आई और ब्यूटी पार्लर चलने का पूछा। मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं भी घर की परिस्थितियों के कारण तनाव में थी। मैं समझ गई कि मोहसिन का फोन है, मैंने मोहसिन को साफ़ मना कर दिया तो उसने डील तोड़ने की धमकी दी। तो मैंने मिलने के लिए हाँ कह दी। उसने मिलने के लिए अपने घर बुलाया। मैं नौकरानी को कुछ देर में आने का बोलकर मोहसिन के घर चल दी, जब मैं उसके घर पहुँची तो देखा घर पर कोई नहीं था मोहसिन के अलावा। मैंने मोहसिन से बुलाने का कारण पूछा, तो उसने मेरे साथ छेड़छाड़ करनी शुरू कर दी। सबसे पहले उसने मेरे होंठों को बंद करने के लिए अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दिए। मैं जब मोहसिन के घर आई थी मुझे पता था कि यहाँ क्या होगा, और मैं इसके लिए तैयार भी थी पर मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया लेकिन आवाज वहाँ से बाहर नहीं जा रही थी। मैंने अपने आपको को बचाने की कोशिश की मगर मैं अपने आपको को नहीं बचा पाई। कुछ ही देर की मशक्कत के बाद उसने मुझे अधनंगी कर दिया और अपने कपड़े उतारने लगा। मैंने उससे बहुत विनती की मगर वो अपने कपड़े खोलने लगा और आखिर में अपनी अंडरवियर तक उतार दी। उसका लंड देखकर मैं थोड़ी देर के लिए बहक गई और मेरे मन में भी कामवासना जागृत हो गई, मगर जब मैंने उसे अपनी तरफ बढ़ता पाया तब मुझे साहिल की याद आई और मुझे याद आया कि मैं शादीशुदा हूँ, मैंने अपनी पूरी ताकत के साथ उसका विरोध शुरू कर दिया। मेरी सहमति ना पाते देख उसने मुझे छोड़ दिया और मुझे वहाँ से जाने को बोला। मैंने अपने कपड़े समेटे और वहां से वापिस घर चली आई। पापा ने इसे अपनी बेइज्जती समझा और कभी ना आने का बोलकर वहां से चले गए। हजारों कहानियाँ हैं Xmyra पर ! पूरी दिन-रात सभी घरवाले इस बारे में सोचते रहे मगर कोई समाधान नहीं मिला। आखिर में ससुरजी ने अपनी गाँव की जमीन बेचने का निर्णय लिया जो कि सभी ने मान लिया, मैंने भी सरकारी नौकरी के लिए हाथ पाँव मारने शुरू किये, और मेरी सरकारी नौकरी भी लग गई, मुझे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में नौकरी मिली, जिसे सभी ने सराहा। लेकिन मुझे दिल्ली से जयपुर जाना पड़ा और बिजनेस के कारण साहिल मेरे साथ नहीं जा सकते थे और ससुरजी ने मेरी मेहनत की इज्जत करते हुए मुझे जयपुर शिफ्ट होने की इजाजत दे दी। वाणी ने भी कोई नौकरी पकड़ ली, 2 ही साल में सब कुछ पटरी पर आ गया। इसके बाद वाणी ने भी नौकरी छोड़ दी, हमारा बिजनेस भी दुबारा अच्छे से चलने लगा। मेरी दोनों ननदों रेखा और आरती, दोनों को ससुरजी ने मेरे साथ भेज दिया ताकि उनका अच्छे से ख्याल रखा जा सके और जयपुर दिल्ली से ज्यादा दूर नहीं इसलिए वे कभी भी आ-जा सकती थी। मुझे भी विचार अच्छा लगा। कुछ दिनों तक जयपुर में सब अच्छा चला, मगर एक दिन जब मैं अपने घर पर बैठी थी तभी पुलिस स्टेशन से फोन आया और मुझे तुरंत आने को कहा। वहाँ पहुँचकर मैंने इंस्पेक्टर से बुलाने का कारण पूछा तो वो मुझसे बदतमीजी से बात करने लगा। लेकिन जैसे ही मैंने बताया कि मैं इनकम टैक्स इंस्पेक्टर हूँ तो वो मैडम मैडम करके बात करने लगा। इसके बाद उसने बुलाने का कारण बताया जिसे सुनकर मैं दंग रह गई। इंस्पेक्टर ने बताया कि रेखा और आरती दोनों धंधा करते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई हैं। मैंने उसकी इस बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और अपने रुतबे और कुर्सी का इस्तेमाल करते हुए रेखा और आरती को छुड़ा लिया और इंस्पेक्टर से एफ.आइ.आर दर्ज ना करने का वादा लिया और अपनी ननदों के साथ वापिस अपने घर आ गई। जैसे ही हम तीनों घर में घुसी, वो दोनों फ़ूट-फ़ूट कर मेरे सामने रोने लगी, मैं बहुत गुस्से में थी लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और इस तरह का काम करने का कारण जानना चाहा तो बोली- भाभी हमें रोजाना आपसे पैसे मांगने में शर्म आती थी, इसलिए हमने यह रास्ता चुना। मैं उन्हें कुछ बोल ही नहीं सकी, मैंने उन्हें अपने बीते हुए कल के बारे में बताना उचित नहीं समझा। इस पर उन्होंने मुझसे शाम को 5 बजे के बाद मिलने को कहा, शाम को 4 बजे मेरे पास फोन आया और उन्होंने मुझे एक होटल में बुलाया। जब मैं वहाँ पहुंची तो कुल मिलकर वहाँ चार लोग बैठे हुए थे जो सारे मेरे सीनियर थे। जैसे ही मैं वहां पहुँची तो उन लोगों ने मुझे बीयर ऑफर की जिसे मैंने तुरंत स्वीकार कर लिया। इस पर उनमें से एक मिस्टर बी. दास ने मुझे सिगरेट ऑफर की, जब मैं मना करने लगी तो वो बोले- अपने सीनियर को मना करती हो, प्रोमोशन नहीं चाहिए क्या? मैं समझ गई कि मुझे प्रोमोशन के लिए कम्प्रोमाईज करना पड़ेगा। मैं भी उनके साथ सिगरेट के कश लेने लगी, आने-जाने वाले लोग मुझे घूर-घूरकर देख रहे थे क्योंकि जयपुर के लोगों की मानसिकता अभी ज्यादा उदार नहीं है और वहाँ अभी भी औरतों को पिछड़ा हुआ समझा जाता है। एक आदमी जिसका नाम रमेश था वो मुझे घूर-घूरकर देख रहा था, मैंने समझ गई कि उसे क्या चाहिए। मैंने बी दास जो सबसे सीनियर था, से पूछा- सर ! मुझे प्रोमोशन के लिए क्या करना होगा? इस पर दास हंस पड़ा और बोला- तुम कच्ची हो, एक साल से पति से नहीं मिली और बोलती हो शरीफ हूँ, और फिर भी माँ बनने वाली हो। मैं समझ गई कि मुझे सीधी बात करनी चाहिए, मैंने कहा- सर ! मैं यह काम नहीं कर सकती मगर आपके लिए लड़की का इंतजाम कर सकती हूँ। इस पर दास खुश हो गया और बोला- तुम उनको मनाओगी कैसे? मीटिंग के बाद मैं घर पहुँची तो रेखा और आरती दोनों टी.वी. देख रही थी। मैंने उन दोनों से कहा- तुम दोनों जो धंधा करती थी, वो काम अभी भी परेशान कर रहा है। पुलिस के कुछ आदमी मान नहीं रहे, मैंने बहुत कोशिश की, मगर मामला बहुत आगे निकाल चुका है, मैंने मनाने की कोशिश की तो वो बोले अगर तुम दोनों उनसे चुदने के लिए तैयार हो जाओ तो वो संभाल लेंगे, वर्ना तुम दोनों को तीन साल की जेल और जिंदगी भर रंडियों का ठप्पा और फिर तुम्हारी शादी भी नहीं होगी और परिवार की भी बदनामी अलग से। इस पर दोनों डर गई और डर के मारे एक-दूसरे को देखने लगी। यह कहानी आप Xmyra.कॉम पर पढ़ रहे हैं। मैंने कहा- यह सोचने का समय नहीं है, तुम दोनों आज रात को तैयार हो जाना बस चार लोग ही हैं, यह आखिरी बार होगा, मैं वादा करती हूँ कि इसके बाद मैं तुम दोनों की शादी करवा दूँगी और तुम दोनों अपनी जिंदगी में सेटल हो जाओगी, किसी को पता भी नहीं चलेगा। मैंने दास को फोन करके बता दिया, आज मुझे वो काम सिखाना था जो श्वेता ने मुझे सिखाया था, रंडियाँ कैसे अपने ग्राहकों को खुश करती हैं। मैंने दोनों से तैयार होकर आने के लिए कहा, दोनों टी-शर्ट और जींस पहन कर आ गई, मैंने दोनों के गालों पर एक-एक तमाचा जड़ दिया, दोनों हक्की-बक्की रह गई क्योंकि मैंने ऐसा उनके साथ पहले कभी नहीं किया था। मैं खुश थी क्योंकि मैं जिसे झूठ समझ रही थी वो तो सच निकला, दोनों अभी तक कुंवारी थी। मैंने दोनों से नंगा होने के लिए कहा, मैंने कैंची निकली और दोनों की टी-शर्ट काट-फाड़ डाली और दोनों की ब्रा भी खोल दी। मैंने दोनों के एक-एक तमाचा और जड़ दिया, इसके बाद वो दोनों खुद ही नंगी हो गई। मैंने दोनों से एक-दूसरे की चूचियाँ चूसने को कहा । इस पर वो दोनों उत्तेजित दिखाई दी और एक-दूसरे के मम्मे चूसने लगी। मैं जाकर मार्केट से 5 सेक्सी सी नाईटी और 4 सिगरेट के पैकेट ले आई। जब मैं वापिस आई तो देखा आरती रेखा की चूत में मूली डालने की कोशिश कर रही थी। मैंने कहा- तुम आज रात को ये नाईटी पहनोगी। इस पर मैंने एक सिगरेट निकाली और कश के मजे लूटने लगी। मेरे इस अवतार को देखकर पहले तो दोनों चौंकी। फिर नॉर्मल हो गई। इसके बाद मैंने दोनों को सिगरेट पीनी सिखाई और दोनों अलग-अलग और बड़े ही कामुक अंदाज में सिगरेट पीना सीख गई, ड्रिंक तो वो पहले ही करती थी, तो मेरा काम पूरा हो गया था। मैंने उनसे पहले बैठने को कहा। चारों उस कमरे में बैठ गए और रेखा और आरती का इन्तजार करने लगे। अंदर घुसने के बाद रेखा ने अपनी नाईटी में से एक सिगरेट निकली और जलाकर कश लेने लगी। रेखा बहुत ही अच्छे तरीके से कर रही थी जिसे देखकर मुझे भी जलन हो रही थी। इसके बाद अपनी सिगरेट रेखा ने मोहन को दे दी, जिसे उसने वर्ल्ड कप समझ कर ले लिया इसके बाद मैंने आरती से अंदर आने को बोला, आरतींए कमरे में घुसते हुए ही अपनी नाईटी उतार दी, उसके चुचे बड़े शानदार थे और बहुत बड़े थे। आरती के इस नज़राने को देखकर वो अपने ऊपर कण्ट्रोल नहीं कर सके और उनमें से दो ने रेखा को उठाया और बिस्तर पर फेंका और बाकी दो आरती को खड़े-खड़े ही लूटने लगे। रेखा के ऊपर दास और मोहन चढ़े। मोहन बहुत जल्दी में था, उसने रेखा की नाईटी फाड़ दी और अपना लंड निकाल कर हिलाने लगा, मैंने रेखा को इशारा करके चूसने को बोला। इस पर रेखा ने मुंह बना लिया और बोली- मैं लौड़ा नहीं चूसूंगी। बाकी दोनों आरती के चुचे चूसने में मस्त थे। काफी देर की चुसम-चुसी के बाद दोनों के चुदने का नंबर आया। इसके बाद सबने रेखा को साइड कर दिया और आरती एक-एक करके सबके लौड़े चूसने लगी। आरती को देखकर रेखा ने भी लौड़ा चूसने के लिए हाँ कह दी। और अब चूसने की बारी लड़कियों की थी और चुसवाने की बुड्ढों की। मेरा ध्यान रेखा की तरफ था, तभी मुझे आरती की आवाज आई, मैंने देखा तो मोहन का लंड आरती की चूत के अंदर घुस चुका था। आरती की आआह आअह आआ आ आह से पूरा कमरा गूँज उठा था। मोहन अपना लंड आरती की चूत में आगे-पीछे कर रहा था, इतने में कमल ने जगह ली और हल्के-हल्के झटके लेकर आरती की गांड में भी लंड घुसा दिया। आरती अब पूरी तरह पैक थी। रेखा भी अब तक चूत और गांड भरवा चुकी थी। चूँकि चारों की उम्र ज्यादा थी फिर भी करीब 15 मिनट तक वो लोग उनकी छेद चोदते रहे। उसके बाद वो लोग स्खलित हो गए और दोनों लड़कियों ने बारी-बारी से चारों के लंड चूस कर साफ़ किये। इसके बाद मैंने दोनों को वहीं लेटा छोड़ा और चारों के साथ बाहर आ गई, चारों ने मुझे अगले ही दिन प्रोमोशन लैटर का वादा किया। इसके बाद मैंने चारों को एक-एक किस दिया और उसके बाद वो चारों वहाँ से चले गए। इसके बाद मैं अंदर आई तो देखा कि दोनों अपने कपड़े पहन चुकी थी। आगे पढ़िए कि मैंने उन्हें और किन-किन लड़कों से चुदवाया और कितने पैसे कमाए। इसके बाद वाणी और गौरव को कैसे इस खेल में शामिल किया।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोला- आज नहीं कर सकता !
5 इंच के लंड को वो अपनी मर्दानगी समझ रहा था और वो लौड़ा उसने मेरी चूत में डाल दिया। चूँकि मेरी चूत पहले ही 8-9 इंच के लौड़े खा चुकी थी तो उसका लौड़ा एक ही बार में मेरी चूत में प्रवेश कर गया और मुझे बिल्कुल दर्द नहीं हुआ। लेकिन फिर भी मैं एक बार चिल्ला उठी ताकि उसे कोई शक ना हो।
यह शीघ्र-स्खलन का सिलसिला रोजाना चलने लगा, जिसके कारण मैं उदास रहने लगी।
मैं वाणी के नसीब से जलने लगी।
कुछ ही देर में घर के फोन की घंटी बजी, नौकरानी ने फोन उठाया और बोली- ‘मैडम’ आपके लिए फोन है।
मैंने फिर जाकर कॉल रिसीव की तो सामने से आवाज आई, क्या तुम मुझसे मिल सकती हो?
मैंने जब नाम पूछा तो उसने बताया- वही जिससे तुम सुबह मिली थी।
अगली सुबह मुझे पता चला कि मोहसिन ने सच में डील तोड़ दी और हमारी हालत बहुत खराब हो गई थी। मैंने पापा को फोन पर सारी बात बता दी। उसी दिन पापा हमारे घर आये और उन्होंने कुछ रूपए देने कि पेशकश की जिसे मेरे ससुरजी ने ठुकरा दिया और पापा को वहाँ से जाने को बोला।
पूरे रास्ते मैं और वो दोनों खामोश रही।
मैंने उन दोनों को घर बिठा दिया और अपने रोजाना के कामों में लग गई। चूँकि मेरी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी थी, लेकिन मुझे 3 साल तक प्रमोशन नहीं मिल सकता था। मैंने अपने सीनियर के चक्कर मारने शुरू कर दिए, उन्होंने मुझे बोला कि इंडिया में कुछ भी हो सकता है बस कीमत पता होनी चाहिए।
मुझे लगा कि वो पैसे कि मांग रखेंगे तो मैंने उन्हें कह दिया- सर, मैं कुछ भी देने को तैयार हूँ।
वो बोला- कुछ नहीं, बस हमें खुश कर दो, बस फिर प्रोमोशन और फिर पैसा ही पैसा। तुम जिंदगी भर मजे कर सकती हो।
मैंने पूछा- सर ! आपको खुश करने के लिए क्या करना होगा?
तो दास बोला- तुम बहुत भोली हो, इतना भी नहीं समझती आदमी कैसे खुश होते हैं।
मैंने कहा- सर ! मैं शादीशुदा शरीफ औरत हूँ और अब तो मैं माँ बनने वाली हूँ।
माँ वाली बात झूठ बोल दी।
तो वो बोले- लड़की अगर फ्रेश और खानदानी हो तो मजा आ जाए।
मैंने कहा- सर मेरी अपनी दो ननदें है, दोनों कच्ची हैं, सील भी नहीं टूटी !
एक और झूठ।
इस पर दास ने पूछा- उनकी उम्र कितनी है?
तो मैंने उनकी उम्र 19 और 21 बता दी।
मैंने कहा- सर, वो मेरा काम है।
जैसा मैंने सोचा था वही हुआ, दोनों तैयार हो गई चुदने के लिए।
मैंने कहा- तुम लोग तो धंधा करती थी तो ग्राहकों को खुश कैसे करती थी?
तो रेखा बोली- हम तो बस ऊपर के मजे देती थी, हमने कभी चूत नहीं चुदाई।
दोनों शरमा गई और सर झुका कर खड़ी हो गई।
मैंने कहा- तुम दोनों यही करती रहो, मैं अभी आती हूँ।
मैं समझ गई कि दोनों मुझसे ज्यादा तेज हैं और मुझे कुछ सिखाने की जरुरत नहीं।
मेरी आवाज सुनते ही दोनों अलग हो गई।
तो रेखा बोली- भाभी, यह सिगरेट किसके लिए है?
तो मैंने कहा- यह तुम्हारे लिए है।
तो उन्होंने बताया कि उन्हें सिगरेट पीनी नहीं आती।
रात को करीब 10 बजे चारों मेरे घर पहुँच गए, मैंने एक कमरे में स्प्रे मार रखा था जिससे पूरा कमरा महक रहा था।
आते ही उन्होंने पूछा- लड़कियाँ कहाँ हैं?
फिर मैंने रेखा और आरती को बुलाया और सब कुछ समझा दिया। सबसे पहले मैंने रेखा को अंदर जाने को कहा, मैं दरवाजे पर ही खड़ी हो गई ताकि कोई भी परेशानी हो तो मैं संभाल लूँ क्योंकि दोनों पहली बार चुद रही थी वो भी मेरे प्रोमोशन के लिए।
रेखा ने गुलाबी रंग की पारभासी नाईटी पहन रखी थी, रेखा को देख चारों बुड्ढों के लौड़े उछल पड़े और फनफनाने लगे।
मैं कुछ बोलती इससे पहले ही दास बोला- कोई बात नहीं मेरी रानी ! हम तो तेरी चूत चाट सकते हैं।
इसके बाद मोहन ने रेखा के होंठ अपने होंठो से और दास ने रेखा की चूत अपने मुंह से बंद कर दी।
आरती ने कहा- मैं सबके लौड़े चूसना चाहती हूँ।
मैंने पूछा- कैसा लगा?
दोनों बहुत खुश थी और बोली कि वो दोनों फिर से चुदना चाहती है।
मैंने कहा- फिर ठीक है, तुम्हारी शादी अभी 3-4 साल बाद करेंगे, अभी तुम लोग जिंदगी के मजे लो।
मैंने दोनों को 10-10 हजार पकड़ाए और दोनों ने मार्केट जाकर शॉपिंग की।
इस तरह मेरी ननदें इस धंधे से जुड़ी।
आपको मेरी जीवन का यह हिस्सा कैसा लगा जरूर बताइयेगा।
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