मेरी सेक्सी बीवी को अब्बू ने पेला


मेरा नाम अहमद है और मैं मेरठ के पास एक गाँव का हूँ लेकिन अभी मेरठ सिटी में रहता हूँ। अभी मेरी उमर 29 साल की है. मेरा

.

दोस्तो, मैं आपको अपनी जिन्दगी का एक सच्चा वाकया सुनाने जा रहा हूँ. यह शर्मनाक वाकया होने के बाद भी मैंने कुछ भी नहीं किया क्योंकि मेरे खानदान की इज्जत का सवाल था. इस वाकये ने मेरी पूरी जिन्दगी में उथल पुथल करके रख दी।

मेरे अब्बू के घर में मेरी अम्मी के साथ ही मैं और मेरी बीवी रहते हैं। मेरे अब्बू की उमर 50 साल है. मैं और मेरे अब्बू दिखने में एक जैसे ही हैं।

बात करीब चार माह पहले की है जब मैं, मेरी बीवी, मेरे अब्बू, मेरी अम्मी के साथ गाँव गये हुए थे। हम साल में तीन चार बार अपने गाँव जाते ही हैं. गाँव में हमारी काफी जमीन है, उस पर खेती होती है और एक काफी बड़ा घर भी है। घर की देखभाल के लिए खेत पर काम करने वाले एक आदमी को ही कह रखा है.

एक दिन शाम को मेरे अब्बू के साथ मैं हमारा खेत देखने चला गया. मेरी अम्मी और मेरी बेगम कौसर घर का काम निपटा कर सो गई थी।

जब मैं घर वापिस आया तो सीधे अपने कमरे में गया। मेरा कमरा ऊपर वाली मंजिल पर है. अब्बू अम्मी नीचे वाली मंजिल के कमरे में सोते हैं.

मुझे अपनी बेगम की चूत चुदाई करनी थी लेकिन कौसर को सोयी हुई देख मुझे ऐसा लगा कि शायद वो बेचारी काम करने में थक गयी है तो मैंने चुदाई का इरादा छोड़ दिया। मन ही मन में मैंने सोचा कि चुदाई का क्या है, कल कर लेंगे और मैं सो गया.

दोस्तो, अभी तक मैंने आपको यह नहीं बताया कि मेरी बीवी कौसर में वासना भरी पड़ी है, वो बहुत चुदक्कड़ है। मैं जब कभी उससे चोदने की बात करता हूँ तो वो तो हमेशा तैयार रहती है, उसकी तरफ से कभी ना नहीं होती है.

तब भी मैंने उसे सोने दिया, जानबूझकर कुछ नहीं किया।

अगले दिन में मेरे अब्बू और मैं अपने खेत पर गये तो हमें शाम हो गई और फिर वहां से हम दोनों मेरे चचाजान से मिलने उनके घर पर चले गये। वहां पर चचा का बेटा मुनव्वर भी था।

मेरे मन में ख्याल आया कि आज अपने चचेरे भाई के साथ जाकर पेग लगाते हैं. मैंने उससे बात की, वो भी मेरी बात सुन कर खुश हो गया. मैंने अब्बू से कहा- अब्बू, मैं मुनव्वर के साथ बाहर जा रहा हूँ, आप खुद घर चले जाना, मैं थोड़ा देर से आ जाऊंगा।

अब्बू कोई दूध पीते बच्चे तो थे नहीं, वो समझ गए कि हम क्या करने जा रहे हैं, उन्होंने कहा- ठीक है.
मुझे मालूम था कि अब अब्बू भी चचा के साथ बैठ कर दारू का दौर चलाएंगे.

मुनव्वर के पास बाइक थी. चाचा के घर से निकल कर मैंने सोचा कि मैं कौसर को बता देता हूँ कि मैं देर से आऊंगा, नहीं तो वो नाहक मेरा इंतजार करेगी.
मैं मुनव्वर को लेकर घर पहुंचा तो कौसर कहने लगी- हमारे कमरे में मैंने छिपकली देखी है. मैं इस कमरे में नहीं रहूँगी.
अम्मी भी वहीं थी, अम्मी ने कहा- तुम दोनों हमारे कमरे में चले जाओ, हम तुम्हारे कमरे में सो जायेंगे.

मैं कौसर को देर से आने की बात बता कर मुनव्वर के साथ निकल लिया. मुनव्वर मुझे अपने एक दोस्त ढाबे वाले के पास ले गया. उसका ढाबा मुख्य सड़क के किनारे था.
मुनव्वर ने कहा- भाईजान, ये अपना यार है. आराम से बैठ पर पीयेंगे और खा पीकर घर जायेंगे.
और हम बैठ गए. हमने काफी पी ली. फिर खाना खाकर घर लौट आये. मुझे मेरे घर छोड़ मुनव्वर अपने घर चला गया.

जब मैं घर पर पहुंचा तो शराब के नशे में मैं भूल गया कि मेरा कमरा बदल गया है. मैं सीधे अपने पहले वाले कमरे में गया. मैंने कपड़े उतारे और अंडरवियर बनियान में बितर पर सोने को गया तो अम्मी के खर्राटे सुन कर मुझे कुछ अहसास हुआ, मैंने मोबाइल की लाईट चालू करके देखा तो वहां पर मेरी अम्मी सो रही थी.
और तब मुझे याद आया कि हमने कमरा बदल लिया था.

और मैं मेरे रूम में जाने लगा. तभी मुझे ख्याल आया कि मुझे आने में बहुत देर हो गयी थी, लेकिन अब्बू तो काफी देर पहले घर पर पहुंच गए होंगे. अब्बू अम्मी के पास तो थे नहीं … तो वो कहाँ हैं?
मुझे ख्याल आया कि मेरी बीवी और मेरी अम्मी ने अपना रूम चेंज कर लिया था जो अब्बू को पता नहीं था।
कहीं अब्बू अपने पहले रूम में तो नहीं चले गये?

अब मेरी हवा सरकी. मैं एकदम से नीचे जाने के लिए सीढियों की ओर लपका. तभी ऊपर से मुझे अब्बू बाहर से आते दिखे. मैं अब्बू को रोकने के लिए फटाफट चलने लगा तो मेरा पैर किसी चीज से टकरा गया और मैं गिर गया. मेरे घुटने नीचे जमीन से टकराए तो एकदम दर्द हुआ और 2 मिनट के लिए मैं उठ नहीं पाया.
जब तक मैं उठा तो अब्बू नीचे वाले कमरे में जा चुके थे.

मैं धीरे धीरे नीचे उतरा और उस कमरे की ओर गया तो देखा कि अब्बू अंदर जा चुके थे, दरवाजा था. दरवाजे की बगल में ही खिड़की थी, उससे हल्की हल्की रोशनी आ रही थी. मैंने खिड़की से कमरे में देखा तो लाईट बंद थी पर नाईट लैम्प जल रहा था।

मैंने सोचा कि अगर मैं दरवाजा खटखटा कर अब्बू को बुलाऊंगा तो मेरी बीवी कौसर को पता चल जायेगा और वो शर्मिंदा होगी. मैंने खिड़की का एक दरवाजा थोड़ा सा खोला.
मैं अन्दर का सीन देख बिल्कुल भौचक्का रह गया।

मैंने देखा कि अब्बू कपड़े उतार चुके थे. वे बिस्तर पर मेरी बीवी कौसर की बगल में लेट गए। कौसर ने एक कम्बल लिया हुआ था. मैंने सोचा कि शायद अब्बू को पता चल ही जायेगा और वे खुद ही उठ कर बाहर आ जायेंगे.

लेकिन हुआ यों कि उन्होंने धीरे धीरे कम्बल हटाया और जब उनका हाथ मेरी बीवी के बदन पर पड़ा, साटिन के नाईट गाउन को छुआ तो वो एकदम हैरान हो गये और फिर कुछ देर सोचने लगे।
मुझे लगा कि अब अब्बू खुद शर्म से अचकचा कर बाहर आ जायेंगे.

लेकिन सब कुछ उल्टा हुआ और तभी अचानक से उन्होंने मेरी बीवी के बदन से पूरा कम्बल धीरे धीरे हटा दिया. मेरी बीवी कौसर मेरून रंग के साटिन के गाउन में थी.
अब्बू बेड पर मेरी बीवी के पास बैठ गए और मुठ मारने लगे. साली ठंड भी उस समय इतनी थी कि मेरे अब्बू की भी चुदाई की वासना जाग उठी.

फिर अचानक अब्बू ठहर गये और उन्होंने मेरी बीवी कौसर के गाउन को अपने हाथ से ऊंचा उठा करके धीमे धीमे ऊपर सरकाने लगे। मेरे अब्बू ने गाउन को मेरी बीवी की कमर तक चढ़ा दिया. अब मेरे अब्बू की पुत्रवधू की नंगी जांघें और छोटी सी पेंटी से ढकी चूत उनके सामने थी. मेरी बीवी की नंगी चिकनी टांगें नाईट लैम्प की रोशनी में दूधिया चमक रही थी.

अब अब्बू ने एक बार फिर लंड हाथ में लिया और मुट्ठ मारनी शुरू कर दी।
लेकिन मुझे लगा कि अब्बू इतने से संतुष्ट नहीं थे, तो उन्होंने कौसर के पैरों को धीरे धीरे एक दूसरे से दूर सरका कर फैला दिया. मेरी बीवी की चड्डी उसकी चूत की दरार में घुसी हुई थी, चूत से चिपकी हुई थी। मेरी बीवी की पूरी चूत जैसे मेरे अब्बू के सामने नुमाया थी.

अब वो धीरे से अपने चेहरे को मेरी बीवी की चूत के पास ले गये और उसकी खुशबू सूंघने लगे और फिर और ज़ोर से मुट्ठ मारने लगे।

इसके बाद मेरी अब्बू ने फिर हिम्मत की और उन्होंने कौसर की कच्छी को पकड़कर एक तरफ सरकाया, फिर अपनी जीभ को मेरी बीवी की चूत के पास लेजाकर चूत चाटने लगे।

मेरी बीवी अचानक से उठकर बैठ गई और बोली- अरे अहमद, आप ये क्या कर रहे हो? आपको चुदाई करनी है तो प्लीज कर लो … पर मुझे ऐसे तड़फाओ मत!
और अब्बू ने अपनी गरदन हाँ में हिलाई. मेरी बीवी को मालूम ही नहीं चला क्योंकि मेरे अब्बू का शरीर बिल्कुल मेरे जैसा है.

लेकिन मेरा लंड सिर्फ 6″ का है और मेरे अब्बू का, मैंने देखा तो 7″ से भी थोड़ा ज्यादा ही था. फिर अब्बू ने अपनी जीभ मेरी बीवी की गर्म चूत के आस पास घुमाना शुरू कर दिया. इससे तो मेरी बीवी की चुदास अब पूरी जाग चुकी थी। अब वह मेरे अब्बू यानी अपने ससुर के सिर को हाथों से पकड़ कर चूत में दबा रही थी।

फिर अब्बू को और जोश चढ़ा गया, वे ऊपर की तरफ सरके और मेरी बीवी के गाउन को उतार दिया. साथ ही उसकी चड्डी को भी उतार दिया।

अब कौसर के चूचे जो काली ब्रा में कैद थे, दिखने लगे। अब्बू अपनी बेटी समान पुत्रवधू की चूचियों को पकड़कर ज़ोर ज़ोर से मसलने लगे. फिर उन्होंने मेरी बीबी की ब्रा को भी उतार दिया। अब अब्बू मेरी कौसर के होंठों पर अपने होंठ रखते हुए उसे चूमने लगे. अभी भी मेरी बीवी अपनी दोनों आँखें बंद किये हुए थी. अब्बू ने चुम्बन करते हुए अपने सारे कपड़े भी उतार दिये।

अब अब्बू को देख कर लगा रहा था कि जैसे वे अपनी जोरू को चोद रहे हों … उनके चेहरे पर बिल्कुल भी डर नहीं था. अब अब्बू का लंड मेरी कौसर की चूत की दरार पर दबकर रगड़ रहा था. मेरी बीवी नीचे से अपने चूतड़ थोड़े थोड़े उछाल रही थी। वो इतनी भारी है वासना से कि उसका तो एक बार पानी निकल भी गया होगा।

फिर अचानक से अब्बू के लंड का सुपारा फिसलते हुए सीधा मेरी बीवी की चूत के अंदर चला गया क्योंकि उसकी चूत पानी से भीगी हुई थी. लंड के चूत के अंदर जाते ही मेरी बीवी चादर को पकड़ कर मचल उठी. मेरी बीवी कौसर की चूत बहुत कसी है. मैं जब भी उसकी चुदाई करता हूँ तो वह बहुत ज़ोर जोर से चीखती है, चिल्लाती है क्योंकि मेरे लंड की मोटाई करीब 3 इंच है और मेरे अब्बू का लंड मेरे लंड से बी ज्यादा मोटा है।

मोटा लंड चूत में जाते ही मेरी कौसर एकदम हैरान रह गई, बोली- अहमद, आपका लंड इतना मोटा क्यों लग रहा है आज?
अब अब्बू ऊपर नीचे होकर धक्के देने लगे तो मेरी बीवी को ज्यादा तकलीफ हुई क्योंकि आज इतना मोटा लम्बा लंड उसकी चूत में पहली बार जा रहा था.
वह एकदम चिल्लाती हुई बोली- उह्ह ओह अहमद … थोड़ा ठहरो … आह्ह अहमद आईह … आज ज्यादा दर्द हो रहा है … प्लीज रुक जाओ।

तो अब्बू के मुख से निकल गया- बोलो मत … वरना सब जाग जायेंगे.
और अब कौसर को यकीन हो गया कि उसे चोदने वाला मर्द अहमद नहीं, कोई और है.
उसने अपना मोबाइल उठाकर उसकी टॉर्च जला कर देखा. वह तो एकदम हक्की बक्की रह गयी अपने ससुर को उसकी चुदाई करते देख कर!
कौसर अब्बू को अपने नंगे जिस्म पर से हटाने की कोशिश करने लगी परन्तु अब्बू ने उसे अपनी बांहों में कसके जकड़ रखा था, कौसर ज़रा भी कामयाब नहीं हो पा रही थी।

तब अब्बू ने लंड को चूत के और अंदर घुसाते हुए पूछा- कौसर जान, अच्छा नहीं लग रहा क्या?
कौसर दो पल तो कुछ नहीं बोली, फिर झिझकती हुई बोली- अब्बू … आप मेरे ससुर हैं तो … हम दोनों के बीच यह सब?
अब्बू बोले- रिश्तों की बात दो मिनट के लिए अपने दिल से निकाल दे और बता कि तुझे मजा आ रहा है है नहीं?
कौसर अब्बू की बात सुन कर मुस्कुरा दी और अपने चूतड़ उछाल कर अब्बू की बात का जवाब दिया.

मेरी कौसर इतनी ज्यादा सेक्स की भूखी है कि इतने लम्बे मोटे लंड का मजा वो छोड़ नहीं सकती थी, चाहे वो लंड उसके अपने ससुर का ही क्यों ना हो!

फिर अब्बू मेरी बीवी के चूचों को पकड़ कर मसलने लगे और अब मेरी बीवी अपने आपको कंट्रोल कर रही थी लेकिन तब भी मजे से उसकी सिकारियां निकली जा रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
अब्बू का लंड मेरी बीवी की चूत को रगड़ रहा था. अब्बू मेरी बीवी के होंठों को चूसने लगे. और अब लंड ज़ोर ज़ोर से चूत के अंदर बाहर हो रहा था।

आख़िर वो कंट्रोल नहीं कर पाई और अब अब्बू ने उसके निप्पल को जैसे ही अपने मुंह में लिया तो मेरी बीवी ज़ोर ज़ोर अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी।

फिर वो इतने झटके के साथ ऊपर उठी कि चूत में से बहुत सारा पानी निकल आया.
और अब्बू हंसते हुए बोले- तो अब बोलो मेरी जाने जिगर … निकल गया ना चूत का पानी!

अब अब्बू मेरी बीवी की चूत के ऊपर लंड रगड़ रहे थे। इस बीच उन्होंने मेरी बीवी की चूत में वापस झटका मारा तो पूरा का लंड अंदर तक धंस गया. कौसर बेगम की पूरी चूत पानी से लबालब थी। अब्बू ने मेरी बीवी कौसर को जांघें चौड़ी करने को कहा. और जैसे ही कौसर ने अपनी टांगें फैलायी तो अब्बू अपने लंड को अपने ही बेटे की बीवी की चूत के अन्दर-बाहर पेलने लगे।

अब्बू बहुत ज़ोर से धक्के लगा रहे थे, मेरी बीवी के मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… ही निकल रहा था और उसने अपने पैर अब्बू की गांड पर रख लिए। अब मेरे अब्बू का सारा लंड मेरी जोरू की कसी चूत में था और पच पच की सी आवाजें आ रही थी. मेरी बीवी अपने पैरों से अब्बू की गांड को दबा रही थि जिससे उनका लंड उसकी चूत के ज्यादा अंदर तक जाए.
ससुर बहू की चुदाई चलते आधा घन्टा तो हो ही गया था. तभी मेरी कौसर जान एक बार फिर परमानन्द की तरफ बढ़ चली और साथ ही मेरे अब्बू ने अपनी मनी उसकी चूत में ही छोड़ दी।

अब्बू कुछ देर तक मेरी बीवी के नंगे जिस्म के ऊपर ही पड़े रहे. कुछ देर बाद वे उठे और अपने कपड़े खोजने लगे. अब्बू ने पहने और फिर कौसर से बोले- कैसा लगा?
कौसर मुस्कुरा कर नंगी ही उठ बैठी और अपना चेहरा अपनी चूचियों और घुटनों में छिपा लिया.
अब्बू बोले- ये सब अहमद को मत बताना। उसे बुरा लगेगा.

फिर अब्बू बोले- पर तू ये तो बता कि तू मेरे कमरे में मेरे पलंग पर क्यूँ सोयी थी? और अहमद की अम्मी कहाँ है.
तब कौसर ने कमरा बदलने की सारी बात उन्हें बतायी.
अब्बू ने छिपकली को शुक्रिया करते हए कहा- तो उस छिपकली की वजह से मुझे तुम्हारा ये हसीं जिस्म मिला.

तभी मुझे महसूस हुआ कि अब्बू अब बाहर आयेंगे. तो मैं में गेट की तरफ चला गया और धीरे धीरे अंदर आने लगा जैसे कि मैं अभी बाहर से आया हूँ।

तभी अब्बू कमरे से बाहर निकल कर सीढियों की ओर जाने लगे तो उन्होंने मुझे घर में आते देखा, मुझसे बोले- अहमद, तू अभी तक कहाँ था? ये वक्त है तेरा घर आने का?
मैंने उन्हें बताया- मैं मुनव्वर के साथ ही था, वो अपने किसी दोस्त के घर पर ले गया था।
वो बोले- ठीक है, चल जाकर सो जा!

ये सब जो मैंने अपनी आँखों से देखा था, इससे मैं बहुत दुखी था लेकिन मैं क्या कर सकता था. और मैं जैसे तैसे अब्बू के सामने मुस्कुराया और कमरे में घुस गया.

तब तक मेरी बीवी ने अपने कपड़े ठीक कर लिए थे और वो सोने की नौटंकी कर रही थी.
मैंने उसे कंधे से पकड़ कर हिलाया तो उसने ऐसे दिखाया जैसे वो गहरी नींद से जगी हो!

मैंने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर में घुस कर उसे बांहों में घर लिया जैसे मैं रोज करता हूँ.
तो वो बोली- मुझे अब बहुत नींद आ रही है, तंग मत करो!उस दिन से पहले कभी कौसर बेगम ने मुझे ऐसा कभी नहीं कहा था.

फिर मेरी कौसर उठ कर मूत करने बाहर गई तो मैंने लाईट को जलाई तो देखा कि बेड पर चादर का काफी हिस्सा गीला था. साफ़ था कि यह मेरी बीवी की चूत का पानी था जो अब्बू से उसकी चुदाई के दौरान निकला था.
मैं समझ गया कि कौसर जान को बड़े लंड का मजा मिल गया है और अब्बू को कसी जवान चूत का … अब से ये दोनों चुदाई का मौक़ा तलाश करते रहेंगे और मौक़ा मिलते ही चोदमचोद का खेल खेलेंगे.

मैंने सोच लिया कि अब से मैं कौसर बेगम को कभी अकेली नहीं रहने दूँगा. और उसके बाद से मैंने अपनी बीवी को कभी भी अकेली नहीं रहने दिया।

आपको मेरी बीवी की चुदाई की यह सच्ची कहानी कैसी लगी? अपने विचार और सुझाव मुझे कमेंट्स में बता सकते हैं।

Comments