Mai Rishte naate Bhool kar Chud Gai-5 मुझे बड़ी ही गुदगुदी सी महसूस होने लगी। मैंने अपने घुटनों को मोड़ा, उनके सीने पर हाथ रख दिया, उन्होंने भी मेरी कमर को पकड़ लिया और तैयार हो गए। मैंने पहले धीरे-धीरे शुरू किया फिर जब मुझे उनके ऊपर थोड़ा आराम मिलने लगा तो मैंने अपनी गति तेज़ कर दी। मैं पूरे मस्ती में थी तभी मैं एक तरफ सर घुमाया तो मुझे सामने आइना दिखा जिसमें मैं पूरी दिख रही थी मगर उनका सिर्फ कमर तक का हिस्सा दिख रहा था। मैंने अपने कमर को पहले कभी ऐसा नहीं देखा था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई मस्त हिरणी अपनी कमर लचका रही हो। उनके चेहरे से साफ़ जाहिर था कि उनको मेरी इस हरकत से कितना मजा आ रहा था। मैंने करीब 10 मिनट किया होगा कि फिर से मुझे मस्ती चढ़ने लगी और मैं झटके खाने को तैयार थी, पर मैंने सोचा कि खुद को रोक लूँ सो मैंने लिंग को बाहर निकालने के लिए अपनी कमर उठाई। मैं किसी तरह अपनी कमर उठा कर लिंग बाहर करने ही वाली थी कि सुपाड़े तक आते-आते ही मैंने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैंने देखा कि मेरे पानी की पेशाब की धार की तरह 3-4 बूँद उनकी नाभि के पास गिरीं और मैं खुद को संभाल न सकी और उनके लिंग के ऊपर अपनी योनि रगड़ने लगी, जब तक मैं पूरी झड़ न गई। मैं उनके ही ऊपर लेट गई और लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगी। मुझमें एक अलग सी खुमारी और मस्ती छाई हुई थी, मैंने पहली बार गौर किया था कि मेरी कमर कैसे नाचती है और इसीलिए शायद मेरे साथ सम्भोग करने वालों को काफी मजा आता था। मैंने पहली बार यह भी देखा कि मेरा पानी निकला। इससे पहले ऐसे ही निकला था या नहीं मुझे नहीं पता, ऐसा यह मेरा पहला अनुभव था। शायद वो अपना लिंग घुसेड़ कर इंतज़ार कर रहे थे कि मैं धक्के लगाऊँगी इसलिए उन्होंने 2-3 नीचे से धक्के लगाए, पर मैं तो उन्हें पकड़ कर उनके सीने में सर रख लेटी रही। तब उन्होंने कहा- क्या हुआ… रुक क्यों गईं..? करते रहो न! मैंने कहा- अब मुझसे नहीं होगा। तब उन्होंने खुद ही नीचे से अपनी कमर उछाल कर मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैं फिर ‘आह-आह’ की आवाजें निकालने लगी। थोड़ी देर में वो उठे और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया, फिर मेरे चूतड़ों को पकड़ कर वो घुटनों के बल खड़े हो गए मैं भी उनके गले में हाथ डाल लटक सी गई। हालांकि वो पूरे पैरों पर नहीं खड़े थे, पर मेरा पूरा वजन उनके हाथों में था, मेरे पैर नाम मात्र के बिस्तर पर टिके थे और फिर वो धक्के लगा-लगा कर मुझे चोदने लगे। मैं इतनी बार झड़ चुकी थी कि अब मेरी योनि में दर्द होने लगा था, पर कुछ देर में मैं फिर से वो सब भूल गई और मुझे पहले से कहीं और ज्यादा मजा आने लगा था। उन्हें मेरी यह बात बहुत अच्छी लगी शायद सो तुरंत अपना लिंग मेरी योनि से खींच लिया और मुझे छोड़ दिया, मैं नीचे लेट गई और अपनी साँसें रोक खुद पर काबू पाने की कोशिश करने लगी। उधर मेरी योनि से लिंग बाहर कर वो खुद अपने हाथ से जोरों से हिलाने लगे थे। थोड़ी देर में वो बोले- अब चोदने भी दो.. मेरा भी निकलने वाला है। मैंने तुरंत अपनी टाँगें फैला उनको न्यौता दे दिया और वो मेरे ऊपर झुक मेरी टांगों के बीच में आकर लिंग को घुसाने लगे, पर जैसे ही उनका सुपारा अन्दर गया, मुझे लगा कि मैं तो गई। पर मैंने फिर से खुद को काबू करने की कोशिश की, पर तब तक वो लिंग घुसा चुके थे और मेरे मुँह से निकल गया- हाँ.. पूरा अन्दर घुसाइए, थोड़ा जोर से चोदियेगा। उन्होंने मुझे पकड़ा और तेज़ी से धक्के लगाने लगे, मैंने भी उनको पकड़ कर अपनी और खींचने लगी। हम दोनों की साँसें बहुत तेज़ चलने लगी थीं और बिस्तर भी अब हमारे सम्भोग की गवाही दे रहा था, पूरा बिस्तर इधर-उधर हो चुका था और अब तो धक्कों के साथ वो भी हिल रहा था। मैं भी अपनी कमर उठा-उठा कर उनका साथ देने लगी थी, बस अब मैं पानी छोड़ने से कुछ ही पल दूर थी और उनके धक्कों से भी अंदाजा हो गया था कि अब वो भी मेरी योनि में अपना रस उगलने को हैं। थोड़ी देर के सम्भोग के बाद हम दोनों ही पूरी ताकत से धक्के लगाने लगे, फिर कुछ जोरदार झटके लेते हुए वो शांत हो गए। मैंने उनका गर्म वीर्य मेरी योनि में महसूस किया, पर मैं अभी भी उनको पकड़े अपनी कमर को उनके लिंग पर दबाए हुए रगड़ रही थी। मुझे खुद पर यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि मैं अपने ही रिश्तेदार के साथ यूँ सम्भोग में मस्त हो गई थी। मैं उनको पकड़े हुए काफी देर ऐसे ही लेटी रही। उनका भी जब जोश पूरी तरह ठंडा हुआ तो मेरे ऊपर लेट गए। मैंने थोड़ी देर बाद उन्हें अपने ऊपर से हटने को कहा फिर दूसरी और मुँह घुमा कर सो गई। सुबह करीब 6 बज रहे थे कि मुझे कुछ मेरी कमर पर महसूस होने लगा। हम दोनों अभी नंगे थे, शीशे की खिड़की से रोशनी आ रही थी, तो हमारा बदन साफ़ दिख रहा था। उन्होंने मेरे स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने कोई प्रतिरोध नहीं किया।
सारिका कँवल
लिंग अन्दर घुसते ही मुझे बड़ा आनन्द महसूस हुआ, उनके लिंग का चमड़ा पीछे की ओर खिसकता चला गया।
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सम्भोग के समय मेरी कमर ऐसे नाचती होगी।
मैं यही सोच कर और भी मस्ती में आ गई और बहुत ही मादक अंदाज़ में अपनी कमर को नचाते हुए धक्के लगाने लगी और उनकी तरफ देखा।
वो इसी जोश में मेरी कमर पकड़े हुए कभी-कभी नीचे से मुझे जोर के झटके भी देते, जिससे मुझे और भी मजा आता था।
पर उन्होंने मेरी कमर पकड़ रखी थी और मुझे खींचने लगे और नीचे से धक्के लगाने लगे।
लिंग मेरी योनि के बाहर था, तभी उन्होंने अपना एक हाथ बीच में डाला और लिंग को वापस मेरी योनि में घुसा दिया।
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मुझे फ़िलहाल धक्के लगाने की न तो इच्छा थी न ही दम, सो मैं ऐसे ही साँसें लेती रही।
मुझे पता नहीं आज क्या हो गया था, पहले तो मैं इन्हें मना कर रही थी, पूरी ताकत इनसे अलग होने में लगा रही थी और अब उतनी ही ताकत के साथ सम्भोग कर रही थी और मैं बार-बार झड़े जा रही थी, वो भी जल्दी जल्दी।
अब तो मैं खुद उनके धक्कों का जवाब अपनी कमर नचा कर देने लगी थी।
मुझे यह भी महसूस होने लगा था कि मैं अब फिर से झड़ जाऊँगी।
मैंने सोच लिया था कि इस बार पानी नहीं छोडूंगी, जब तक वो झड़ने वाले न हों।
तो जब मुझे लगा कि मैं झड़ने को हूँ मैंने तुरंत उनको रोक दिया और इस बार खुद कह दिया- अभी नहीं.. रुकिए कुछ देर.. वरना मैं फिर पानी छोड़ दूंगी।
हालांकि उनका लिंग अब धीरे-धीरे ढीला पड़ रहा था, पर मैं अभी भी जोर लगाए हुए थी और उनका लिंग इससे पहले के पूरा ढीला पड़ जाता, मैं भी झड़ गई और अपने चूतड़ों को उठाए उनके लिंग पर योनि को रगड़ती रही, जब तक कि मेरी योनि के रस की आखरी बूंद न निकल गई।
मैंने गौर किया तो वो मेरे बदन को सहला रहे थे।
कहानी जारी रहेगी।
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