काफी समय के बाद मैं आपके सामने हाजिर हूँ। मैं अन्तर्वासना को धन्यवाद देता हूँ कि यह साइट मेरी कहानियों को आपके सामने लाई। मैं सभी पाठकों का शुक्रिया कहना चाहता हूँ जिन्होंने मेरी कहानियाँ पढ़ी और अपनी प्रतिक्रियाएँ भेजी। मैंने पूरी कोशिश की और सभी का जवाब दिया, मुझे खेद है कि मैं कुछ का जवाब नहीं दे पाया। मेरी पहले की कहानियाँ हैं ‘ट्रेन का सफर’, ‘क्वीन्सलैंड क्वीन’ ‘दिलकश मुस्कान’। काफी वक़्त के बाद मैं एक नई कहानी आपके सामने लेकर सामने आया हूँ। मैं दिल्ली में रहता हूँ और एक सरकारी ऑफिस में काम करता हूँ। मैं जहाँ रहता हूँ वहाँ एक नए किरायेदार आये, जिसमें पति और पत्नी थे, पत्नी की उम्र 30-32 साल होगी, मेरे सामने वाले फ्लैट में वो आये थे। पति एक प्राइवेट काम करता था और सुबह निकलकर रात में 10 बजे के करीब वापस आता है। मैं शाम में करीब 6 बजे वापस आता हूँ। मेरे बेडरूम की खिड़की और उनके बैडरूम की खिड़की आमने सामने है। मैं अपनी खिड़की हमेशा बंद रखता हूँ और उनकी खिड़की खुली होती है। एक रात करीब 12 बजे लेटा था कि तभी सिसकारी सुनाई दी तो मैंने अपनी खिड़की थोड़ा खोला, देखा कि वो लड़की जिसका नाम सपना है, बिल्कुल नंगी है और उसका पति उसकी चूत सहला रहा है। मेरे कमरे का लाइट बंद था तो उन्हें पता नहीं चल रहा था कि मैं देख रहा हूँ और मैं खिड़की थोड़ी सी खोल कर देखने लगा। उसके बाद उसने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और करीब 5 मिनट चोदता रहा और फिर उसने उसकी चूत में अपना वीर्य गिरा दिया, लेकिन वो नीचे से झटके दे रही थी। थोड़ी देर में वो उसके ऊपर से उतर गया, लेकिन सपना अब भी गर्म थी और अपनी चूत में उंगली डल रही थी। कुछ देर के बाद वो उठ कर बाथरूम चली गई और करीब दस मिनट के बाद वापस आई, मैं समझ गया कि वो संतुष्ट नहीं हुई थी। फिर तो मैं प्रतिदिन इंतजार करता था और उनका रोज का यही काम था, वो चोदता और फिर वो बाथरूम जाती। इस तरह समय बीत रहा था, मेरा मन अब उसकी चूत चोदने को होने लगा और मुझे लगा कि ज्यादा मुश्किल नहीं है, कारण कि वो सन्तुष्ट नहीं थी इसलिए बस थोड़ा प्रयास करने की जरुरत थी। एक दिन मैं शाम में ऑफिस से वापस आया, और खिड़की खोला तो वो अपने कमरे में बैठी थी। हमारी आँखें मिली और वो मुस्कुरा दी। फिर मैंने उससे पूछा- आप अभी अकेली हो? तो वो बोली- अभी मेरे पति लौटे नहीं हैं, वो रात १० बजे के बाद आते हैं। वैसे यह बात तो मुझे पता थी ही, लेकिन बात शुरू करने के लिए कुछ तो चाहिए था। इस तरह हमारी बात होने लगी। मैं रोज ऑफिस से आता और खिड़की खोलकर उससे बात करता और रात में उनकी चुदाई का कार्यक्रम देखता। एक दिन जब मैं आया और उससे बात करने लगा तो मैं बोला- अभी तो आपके बच्चे नहीं हैं तो आपके मौज मस्ती दिन हैं। तो वो थोड़ा उदास हो गई। मैंने पूछा- क्या हो गया? तो वो कुछ नहीं बोली जबकि मुझे तो पता था। मैं उससे पूछता रहा, फिर वो बोली- मैं अपने पति से संतुष्ट नहीं हूँ। जब वो इतना खुल गई तो मैं उससे बोला- अगर आप बुरा नहीं मानो तो मैं एक बात बोलूँ? तो वो बोली- मैं बुरा नहीं मानूँगी। तो मैंने उसे बताया कि मैं उसे रोज सेक्स करते देखता हूँ। वो बोली- तब तो आपको सब पता है? मैंने हिम्मत करके उसे बोला- आप अगर बोलो तो मैं आपको संतुष्ट कर सकता हूँ। पहले तो वो मना कर रही थी लेकिन मेरे बार बार कहने पर वो बोली- सिर्फ़ एक बार ही करूँगी लेकिन आज नहीं कल। अगले दिन मैं ऑफिस से जल्दी वापस आ गया, मैं 5 बजे वापस आ गया और खिड़की खोला तो वो अपने कमरे में बैठी थी। मुझे देखकर वो बोली- आज आप जल्दी आ गए? तो मैंने बोला- आपके लिए ही आया हूँ। कपड़े बदलकर मैं उसके कमरे में गया और जाते ही उसे अपनी बाँहों में ले लिया। वो मेरी बाँहों में थी और मेरे हाथ उसके पीठ पर, मैं उसे चूम रहा था और मेरे हाथ धीरे धीरे नीचे फिसल रहे थे। अब मैं उसके होंठ चूस रहा था और मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर थे। अब अपना एक हाथ उसके वक्ष पर रखा, क्या मस्त उरोज थे। वो नाईटी पहने थी, मैंने अपना हाथ उसकी नाईटी में डाल कर उसके स्तनों को मसलना शुरु किया। उसकी आँखें बंद थी। अब मैंने उसकी नाईटी धीरे धीरे ऊपर उठा रहा था। मैं उसकी नाईटी उतार दी, वो काले रंग की ब्रा और पैंटी पहने थी। उसके बूब्स का आकार 34 और कूल्हे 36’ के थे। मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी ब्रा पैंटी उतार दिया। मस्त चिकनी चूत और दूधिया बूब्स सामने थे, मैं उसकी बगल में लेट गया और उसके बूब्स चूसने लगा। मैं उसके चुचूक चूस रहा था और उसकी चूत सहला रहा था, वो अब उत्तेजित हो गई थी। वो बार बार मेरा लंड पकड़ रही थी, मैंने अपना पायजामा उतार दिया। मेरा लंड जो करीब 8 इंच का है, पूरी तरह तैयार था। अब मैं उसके पैर तरफ मुंह करके लेट गया, मेरा मुंह उसकी चूत के पास था और उसका मुंह मेरे लंड के पास था। मैं उसकी चूत चाटने लगा, थोड़ी देर तक मैं उसकी चूत चाटते रहा फिर उसने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। हम काफी देर तक वैसे ही रहे। फिर मैं लेट गया और उसे बोला- तुम अपनी चूत मेरे मुंह पर रखो। उसने मेरे ऊपर आकर अपनी चूत मेरे मुंह पर रख दी। अब मैंने उसे नीचे उतारा और घोड़ी बनाया, उसकी मस्त चिकनी चूत मेरे सामने थी, मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे धीरे अंदर डालने लगा। उसकी चूत टाइट थी, मजा था, जैसे जैसे लंड अंदर जा रहा था, उसके मुंह से सिसकारी निकल रही थी। मैंने धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया। जब मैं लंड अंदर डालता उसके हिप्स को अपनी तरफ खींचता, हर धक्के के साथ अजीब सी आवाज हो रही थी। इस तरह मैं उसकी चूत चोदता रहा, फिर मैंने उसे खड़ा किया और एक पैर बेड पर रखा और साइड से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और चोदने लगा। मैं उसकी चूत चोद रहा था और मसल भी रहा था। अब मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके पैरों को ऊपर उठा दिया और मैंने नीचे खड़ा होकर उसकी चूत में लंड डाल दिया। मैं धीरे धीरे उसके ऊपर लेट गया, उसके पैर उसके कंधे पर थे और मैं उसकी चूत मार रहा था, मैं उसके चुच्चे मसल रहा था और मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था। अब तक वो दो बार स्खलित हो चुकी थी। मैं अब तेजी से चुदाई कर रहा था, मैं दोनों हाथों से उसके हिप्स को पकड़ कर जोर जोर से चोद रहा था। करीब 5 मिनट तक जोर जोर से चोदते रहा और फिर मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में गिरा दिया। कुछ देर तक मैं उसके ऊपर लेटा रहा फिर मैं उठा और उसने अपनी चूत साफ किया। थोड़ी देर तक मैं उसके पास रहा और वापस अपने कमरे में आ गया। इस तरह मैं उसे अकसर चोदता हूँ। शनिवार को उसके पति का ऑफिस होता है और मेरी छुट्टी, तो हम अक्सर शनिवार को चुदाई का कार्यक्रम रखते हैं। कुछ दिन के बाद उसकी छोटी बहन आ गई जो 22 साल की थी, अब मेरा मन उसे चोदने को हो रहा था। एक दिन आ ही गया जब मैंने एक साथ दोनों की चुदाई की, यह कहानी मैं आपके सामने अगली बार लाऊँगा। आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा।
थोड़ी देर वो उसकी चूत सहलाता रहा और फिर वो उसका लंड जो करीब 5 इंच का होगा, चूसने लगी।
मुझे लगा कि बात बन सकती है।
मेरा लंड देख कर वो ऐसे खुश हुई जैसे किसी बच्चे को मनपसंद खिलौना मिल गया हो।
वो बार बार मेरा लंड पकड़ रही थी।
मैं उसकी चूत चाट रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थी।
अब मेरा लंड उसकी चूत में पूरी तरह अंदर जा चुका था।
वो मेरी चुदाई से संतुष्ट है।
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