Fufaji ne Meri Maa Chod Di-2 मेरी मम्मी ओर मेरे फूफा जी की कहानी तो आपने पिछली बार पढ़ी ही थी.. मैं उन्हें बता दूँ कि मैंने सिर्फ़ मेरी मम्मी को फूफा जी के साथ ही देखा है। जयपुर आने के कई दिनों बाद तक फूफा जी हमारे घर नहीं आए थे। मुझे नहीं पता कि किस कारण से नहीं आए थे, पर एक बार जब मेरे पापा, दादा, दादी को गाँव जाना था, वहाँ मेरे दादा जी की बहन बीमार थी और उनसे मिलने जाना था। मैंने मम्मी को फ़ोन पर किसी से बात करते सुना कि वो सब तो गाँव चले जायेंगे, तुम आ जाना.. फिर हम अपना काम करेंगे… काफी दिन हो गए हैं। मैं सोच में पड़ गया कि मम्मी किस से बात कर रही हैं, पर दोपहर को मेरा ये शक भी दूर हो गया। पापा और दादा, दादी के जाने से कुछ वक्त पहले ही फूफा जी और बुआ अपने बेटे के साथ हमारे घर मिलने आ गए। बुआ को देख कर हम सब लोग खुश हुए और उन्हें बताया कि हम सब बुआ जी से मिलने गाँव जा रहे हैं। बुआ- पापा फिर तो आपके साथ हम लोग भी चलेंगे। दादा- हाँ क्यों नहीं.. मैं भी सोच रहा था पर लगा कि तुम लोग व्यस्त होगे.. इस लिए नहीं कहा। बुआ- कार में तो जगह है या हम हमारी कर ले कर चलें? पापा- अरे नहीं हम तो तीन लोग ही जा रहे हैं.. तेरी भाभी नहीं जा रही और बच्चे हैं, तुम लोग भी बैठ जाओ। बुआ ने फूफा जी से कहा- चलो.. हम भी चलते हैं। तब फूफा जी ने कहा- मैं बहुत थक गया हूँ.. पिछले हफ्ते मैं बहुत व्यस्त रहा हूँ, तो मैं तो घर जाकर सोना चाहता हूँ और अगर तुम जाना चाहो तो चली जाओ.. तब बुआ बोली- चलो मैं चली जाती हूँ, आप घर जाकर सो जाना। इस पर पापा दादा और दादी बोलीं- यह क्या घर नहीं है.. यहीं पर ही सो जाना.. इससे सीमा (मेरी मम्मी) को भी डर नहीं लगेगा और हम लोग भी चिंता नहीं करेंगे। तब तक मैं समझ चुका था कि यह मम्मी और फूफा जी का प्लान है और इसमें सबसे ज्यादा चिंता है फूफा जी और मम्मी हमारे जाने के बाद कुछ तो करेंगे और मैं ये सब देखना चाहता था इसलिए मैंने भी जाने से मना कर दिया, यह कह कर कि मैं भी फूफा जी के पास ही रुकूँगा। सबने इसे मेरा फूफा जी से लगाव माना और राजी हो गए। इससे मम्मी और फूफा जी थोड़े अपसेट हो गए, पर कुछ नहीं बोले। मेरे मना करते ही बुआ बोलीं- मेरी बहन और उनके बेटे को भी छोड़ जाते हैं, क्योंकि धूप भी है और गाँव में ये लोग बीमार हो जायेंगे। यहाँ तो ये सब खेल ही लेंगे और और फूफा जी और मम्मी हमारा ध्यान भी रख लेंगे। इस पर सब लोग राजी हो गए और पापा बुआ और दादा जी चले गए। घर पर हम बच्चे और फूफाजी और मम्मी रह गए। मेरा मन उदास था कि अब ये दोनों कुछ नहीं कर पायेंगे और मेरा रुकना बेकार ही गया। फूफा जी और मम्मी भी अपसेट लग रहे थे, पर जाहिर नहीं कर रहे थे। हम सब हॉल में बैठे टीवी पर कार्टून देख थे और फूफा जी अपना हाथ बार-बार खुद के लंड पर फेर रहे थे और मम्मी मुस्कुरा रही थीं। तभी मम्मी फूफा जी के पास आकर बैठ गईं और और दोनों धीरे-धीरे बात करने लगे.. मैं उनकी बात तो सुन नहीं पाया, मगर ये जरूर समझ गया कि दोनों कुछ प्लानिंग कर रहे थे। तभी फूफा जी ने कहा- चलो, हम कंप्यूटर पर गेम खेलते हैं। हम लोग हमारी कंप्यूटर की लैब में आ गए। मेरे पापा का कंप्यूटर इंस्टिट्यूट है और वो नीचे है। फूफा जी ने तीन कंप्यूटर चालू कर दिए और उन पर गेम चला दिए। हम तीनों खुश हो गए, इतने में मम्मी भी वहाँ पर आ गईं और पीछे से देखने लगीं। हम कंप्यूटर पर गेम खेल रहे थे और फूफा जी मेरी मम्मी के कूल्हों और कमर पर हाथ फेर कर अपना गेम खेल रहे थे। थोड़ी देर बाद मम्मी चली गईं और फूफा जी भी सोने की कह कर चले गए। जाते-जाते कहा- बाहर मत निकलना.. बस गेम खेलना और कंप्यूटर बंद करके बाद में ऊपर आना। फूफा जी के जाते ही मैं टॉयलेट का बहाना करके ऊपर आ गया और हमारे कमरे की ओर जाने लगा, तो हॉल में से आवाजें सुनाई दीं। खिड़की से देखने पर मैंने देखा कि फूफा जी मम्मी को पीछे से पकड़े हुए हैं और उनके दोनों हाथ मम्मी के मम्मों पर हैं। वो मम्मी की गर्दन पर चूम रहे थे और मम्मी आँखें बंद करके मजे ले रही थीं। उसके बाद फूफा जी ने एक हाथ मम्मी के पेटीकोट में डाल दिया। इससे मम्मी को झटका लगा और वो पीछे की ओर हटीं, तो उनकी गाण्ड फूफा जी के लंड से टकरा गई.. मम्मी- कहीं बच्चे आ गए तो? फूफा जी- नहीं आयेंगे.. वो तो गेम में व्यस्त हैं… एक घंटे से पहले नहीं उठने वाले.. मम्मी- अगर आ गए तो… फिर हम फंस जायेंगे। फूफा जी- नहीं आयेंगे.. मैं कह रहा हूँ न.. तुम मूड ख़राब मत करो जान.. इतने दिनों बाद तो मौका लगा है… आज तो जम कर मजे लूँगा.. मम्मी- तो लो न.. किसने मना किया है। इस पर फूफा जी ने मम्मी की साड़ी हटा दी। तो मम्मी बोलीं- कपड़े मत उतारो.. कोई आ गया तो मुश्किल हो जाएगी। फूफा जी- अरे कोई नहीं आएगा.. मैं दरवाजे पर मैं ताला लगा कर आया हूँ… कोई नहीं आएगा.. और बिना कपड़ों के तुम कैसी दिखती हो.. ये भी तो देखें… और जब बिना कपड़ों के ही अंग से अंग मिलेंगे तब इससे दुगना मजा आएगा… इतना कहते-कहते मम्मी के जिस्म से ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार फेंके। अब मम्मी सिर्फ पैन्टी और ब्रा में ही थीं। फूफा जी ने अपने भी सारे कपड़े खुद ही उतार दिए और मम्मी को हॉल के तख्त पर ले जाकर लिटा दिया। फूफा जी मम्मी के होंठों को चूस रहे थे और अपने हाथ लगातार मम्मी के बोबे, पैंटी और जिस्म पर फ़िर रहे थे। इसके बाद फूफा जी ने मम्मी की ब्रा हटा कर उनके बोबे चूसने चालू कर दिए। इससे मम्मी और मस्त हो गईं। कुछ देर बाद फूफा जी ने उनकी पैन्टी भी उतार फेंकी। अब मम्मी पूरी नंगी थीं और फूफा जी उनकी चूत में बार-बार ऊँगली कर रहे थे इससे मम्मी और मस्त हो गईं और अपने पाँव इधर-उधर करने लगीं। मम्मी फूफा जी के लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही मसल रही थीं तो फूफा जी ने अंपने लंड को बाहर निकाल लिया। फूफा जी ने अपना लंड मम्मी के मुँह पर लगाया तो मम्मी ने मुँह फेर लिया। तब फूफा जी ने कहा- बड़ा मजा आएगा मुँह में.. लो तो सही… मम्मी ने कहा- मैंने कभी नहीं लिया.. मुझे अच्छा नहीं लगता। तब फूफा जी ने कहा- मानो तो मेरी बात.. तुम्हें बहुत मजा आएगा। यह कह कर उन्होंने जबरदस्ती मम्मी के मुँह में लंड डाल दिया। इस पर मम्मी थोड़ा झिझकीं.. मगर थोड़ी देर में पूरा लंड मुँह में ले कर मजे से चाटने लगीं। फूफा जी मम्मी की चूत में ऊँगली कर रहे थे। थोड़ी देर में मम्मी फूफा जी से बोलीं- अब बस चूत की गर्मी शांत करो.. मुझसे रुका नहीं जा रहा… यह सुन कर फूफा जी लेट गए और मम्मी को ऊपर आकर लंड पर बैठने को कहा। तब मम्मी फूफा जी के लंड को पकड़ कर अपनी चूत में डाल कर सीधी फूफा जी के ऊपर बैठ गईं और आगे-पीछे होने लगीं। मम्मी आँखें बन्द करके तेजी से आगे-पीछे हो रही थीं। उनके और फूफा जी के मुँह से लगातार सिसकारियाँ और आवाजें निकल रही थीं। दो मिनट के बाद मम्मी फूफा जी के ऊपर पसर कर लेट गईं जैसे उनमें जान ही नहीं बची हो। तब फूफा जी ने मम्मी को नीचे किया और उनकी टाँगें अपने कन्धों पर रखीं और मम्मी को झटके मारने चालू कर दिए। उनके हर झटके पर मम्मी बिस्तर पर ही आगे-पीछे हो रही थीं, उनके बोबे जबरदस्त तरीके से हिल रहे थे.. बड़ा ही ‘चुदासी भरा मंजर’ था। मम्मी बुरी तरह से सिसकारियाँ ले रही थीं। करीब बीस मिनट तक ऐसे चोदते-चोदते फूफा जी और मम्मी पसीने से लथपथ हो गए थे। तब फूफा जी बोले- मेरा निकल रहा है क्या करूँ? मम्मी ने कहा- अन्दर ही डाल लो.. वर्ना तुम्हें मजा नहीं आएगा। इतने में ही फूफा जी मम्मी के ऊपर पूरा फ़ैल गए और मम्मी को कस कर पकड़ लिया। फूफा जी लम्बे-लम्बे झटके मारने लगे और ऐसा लगा जैसे चूत के रास्ते लंड को ज्यादा अन्दर डाल रहे हों। फूफा जी अपना सारा माल मम्मी की चूत में डाल कर मम्मी के ऊपर निढाल पड़ गए। दोनों की साँसें बड़ी तेज चल रही थीं। थोड़ी देर बाद फूफा जी मम्मी से अलग हुए और लेटे रहे। मम्मी ने कहा- आज तो मजा आ गया.. कई दिनों बाद नीचे की खुजली शांत हुई है। अब कपड़े पहन लेते हैं बच्चे कभी भी ऊपर आ सकते हैं और मुश्किल हो जाएगी। मम्मी उठीं और अपनी ब्रा का हुक लगाने लगीं। तो फूफा जी ने हाथ पकड़ लिया और कहा- अभी तो और करेंगे। पर मम्मी मान नहीं रही थीं। इतने में मैंने देखा कि फूफा जी का लंड दुबारा खड़ा हो गया है। मम्मी डर के मारे मान ही नहीं रही थीं और खड़ी हो गईं। इस पर फूफा जी ने उन्हें पीछे से पकड़ कर जबरदस्ती नीचे झुका कर घोड़ी बना कर उनकी चूत में लंड डाल कर चुदाई चालू कर दी। फूफा जी मम्मी के बोबे मसल रहे थे। मम्मी दर्द और चुदाई के मिले-जुले अहसास से सिसक रही थीं। कुछ देर बाद फूफा जी ने अपना लंड निकाल कर मम्मी के गाण्ड के छेद पर लगा दिया और आगे की तरफ किया। इससे मम्मी झटके के साथ आगे हुईं और फूफा जी को गाण्ड में डालने से मना करने लगीं, पर फूफा जी कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने आखिरकार जबरदस्ती गाण्ड में लंड डाल ही दिया। मम्मी की तो जोरदार चीख ही निकल गई.. वो तो उन्होंने अपने मुँह तकिये में दबा लिया। पहले फूफा जी धीरे-धीरे कर रहे थे.. बाद में तो उन्होंने रफ्तार बढ़ा दी। शायद अब मम्मी का दर्द कम हो गया था, अब वो भी मजे से गाण्ड मरवा रही थीं। थोड़ी देर बाद फूफा जी ने मम्मी को बिस्तर पर पूरा लिटा दिया और वो खुद उनके ऊपर लेट गए। फूफा जी ने मम्मी के बोबे पीछे से पकड़ कर दबाना चालू कर दिए और मम्मी की गर्दन और पीठ की चूमा-चाटी चालू कर दी। इससे मम्मी को और मजा आने लगा। थोड़ी देर बाद फिर फूफा जी लंबे लम्बे झटके मारने लगे और मम्मी की गाण्ड को वीर्य से भर कर बिस्तर पसर गए। करीब पांच मिनट बाद मम्मी उठीं और सबसे पहले कपड़े पहने.. इस बार मम्मी ने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी और फूफा जी से कहने लगीं- आज तो बड़ा मजा आया.. और मौका मिला तो आज एक बार फिर करेंगे। इसके बाद तो मैं फटाफट नीचे आ गया। थोड़ी देर में मम्मी भी नीचे आ गईं उनके चेहरे से चुदाई से हुआ संतोष और थकान साफ दिख रही थी। मेरी मम्मी और फूफाजी की चुदाई के अभी और भी किस्से हैं मैं आपको और भी लिखूँगा। आपके विचारों का मेरी ईमेल आईडी पर स्वागत है।
उसके लिए मुझे कई ईमेल आए, मैंने तो सिर्फ़ उस बारे में बताया था और कई मेल तो मेरी मम्मी के साथ कुछ करना चाहते थे।
बुआ कह रही थीं- आप लोगों से मिले हुए काफी वक्त हो गया था, सो मिलने चली आई हूँ और इनको भी ले आई हूँ।
फूफा जी की गति लगातार ही बढ़ रही थी।
अब मम्मी कुछ नहीं बोलीं और आराम से लौड़ा डलवा कर चुदाई के मजे लेने लगीं।
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मम्मी की आँखों में से तो आंसू ही निकल आए।
