नमस्कार दोस्तो, मैं कमल जालंधर से फिर एक नई कहानी आपकी नज़र कर रहा हूँ। मैं रोज़ सुबह अपने बेटे को स्कूल छोड़ने कभी कार और कभी बाईक से जाता हूँ। मैं 40 साल का हूँ और मेरा छोटा बेटा आठवीं में पढ़ता है। मई 2012 से मैंने नोट किया कि जब भी मैं बेटे को स्कूल ले कर जाता हूँ तो हमारी कॉलोनी के मोड़ पर 30-32 साल की एक महिला रोज़ खड़ी मिलती है। वो एक ही तरह के शर्ट और ट्राउज़र में होती थी, जिसे देख कर लगता था कि वो किसी स्कूल में जॉब करती है। बहुत खूबसूरत दिखने वाली उन मैडम का रंग ज़रा सांवला था, लेकिन वो बहुत ज़्यादा सेक्सी थी। कुछ दिन ऐसे ही बीते, फिर मेरे दिल में आया कि पता तो करूँ कि मैडम कौन हैं और कहाँ जॉब करती हैं। एक दिन बेटे की तबीयत ठीक नहीं थी तो मैंने उसको स्कूल से छुट्टी करवा दी। मैं उसको स्कूल छोड़ने के वक्त कॉलोनी के मोड़ पर पान वाले की दुकान पर खड़ा होकर अख़बार पढ़ने लगा। एक मिनट के लिए हमारी नज़र मिली और मैंने दूसरी तरफ देखना शुरू कर दिया। उसको इतना तो पता था कि मैं रोज़ाना यहाँ से गुज़रता हूँ। थोड़ी देर में एक स्कूल बस आई और वो मैडम उसमे सवार होकर चल दी। अब मैंने सोचना शुरू किया कि आगे क्या किया जाए। उससे पता चला कि मैडम का नाम सपना है और इसी सेशन से उसने स्कूल में पढ़ाना शुरू किया है। यह भी पता चला कि उसका पति एक नम्बर का शराबी है। अब मैंने सुबह बेटे को स्कूल छोड़ने जाते सपना मैडम से नज़र मिलानी शुरू कर दी। करीब एक महीना ऐसे ही चलता रहा। एक दिन मैंने नज़र मिलते ही सपना को हल्की सी स्माइल दी तो उसने मुँह दूसरी तरफ कर लिया। 5-7 दिन ऐसे ही गुज़र गए। जब मैं वहाँ से गुज़रता तो वो तिरछी नज़र से मुझे देखती ज़रूर थी। एक दिन मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके हल्का सा सर झुका कर सपना को ‘विश’ कर दिया। उसने ‘विश’ का जबाव ‘विश’ में तो नहीं दिया लेकिन हल्का सा मुस्कुरा कर मुँह दूसरी तरफ कर लिया। मुझे बात बनने की उम्मीद नज़र आने लगी। एक हफ़्ता और बीता, हल्की-हल्की सी स्माइल दोनों तरफ से चलती रही। मैं यही सोचता रहता कि बात आगे कैसे बढ़े। आख़िर मेरे दिमाग़ में एक तरकीब आई। एक दिन मैंने जैसे ही कॉलोनी का मोड़ काटा तो बाईक सपना के पास से गुजारते हुए अपने हाथ में पहले से पकड़ा हुआ अपना विज़िटिंग कार्ड वहाँ गिरा दिया और मुड़ कर नहीं देखा। इसके बाद फिर पहले की तरह चलने लगा और दोनों की हल्की स्माइल जारी रही। मुझे उम्मीद थी कि अगर सपना को मुझमें कुछ रूचि हुई तो उसने मेरा विज़िटिंग कार्ड उठया होगा और मेरे नम्बर पर कॉल करेगी लेकिन एक हफ़्ता गुज़र गया। अचानक एक दिन शाम 4 बजे के करीब मेरे सेलफ़ोन पर किसी अनजान नम्बर से ‘हैलो’ का मैसेज आया। जवाब में मैंने भी ‘हैलो’ लिख दिया लेकिन फिर कोई जवाब नहीं आया। थोड़ी देर बाद मैंने उस नम्बर पर कॉल की, तो फोन बंद आया। दिमाग़ में आया कि शायद सपना ने मैसेज किया हो। अगले दिन सुबह जब मैं रोज़ की तरह कॉलोनी के मोड़ पर पहुँचा तो सपना ने हल्की सी स्माइल के साथ अपने हाथ में पकड़ा हुआ मोबाइल फोन ज़रा सा ऊपर उठाया, जैसे कि मुझे दिखा रही हो। मैं समझ गया कि वो मैसेज सपना ने किया होगा। बेटे को स्कूल छोड़ कर मैंने उस नम्बर पर ‘गुड-मॉर्निंग’ का मैसेज भेज दिया। ‘वेरी गुड-मॉर्निंग’ का जवाब आया तो मैंने ‘यू आर सो स्वीट’ का मैसेज भेज दिया। जवाब आया- थैंक्स, शाम को बात होगी। शाम 4 बजे ‘हैलो’ का मैसेज आ गया। मैंने फट से कॉल मिला दी। उधर से बड़ी प्यारी सी आवाज़ आई- आप कौन? ‘मैं वो ही जिसको आपने कल भी हैलो का मैसेज किया था सपना जी।’ ‘ओह, तो आपको मेरा नाम भी पता है?’ ‘जी हाँ, और मेरा तो आपको पता ही होगा, विज़िटिंग कार्ड से देखा होगा आपने।’ ‘हाँ जी, कमल जी।’ इसके बाद हमारी बातें और मैसेज अक्सर होने लगे। उसने बताया कि उसके पति शराब बहुत पीते हैं। करीब दस दिन के बाद हम काफ़ी खुल गए। उसकी बातों से ये भी पता चला कि वो सेक्स में असंतुष्ट रहती है। एक दिन सपना बस स्टॉप पर नज़र नहीं आई। मैंने उसके पति के ड्यूटी जाने के बाद सुबह करीब दस बजे फोन किया तो उसने बताया- रात को मेरे पति ने शराब पी कर काफ़ी हल्ला किया और मेरी पिटाई भी की, जिस कारण उसके बाजू पर थोड़ी चोट भी है और मैंने स्कूल से छुट्टी ले ली है। मैंने पूछा- सपना, क्या मैं आपके घर आ सकता हूँ, अगर आपको बुरा ना लगे तो? ‘ज़रा सोचने दो।’ सपना बोली। ‘ठीक है।’ मैंने फोन काट दिया। लगभग 15 मिनट बाद उसका फोन आया- आज 12 बजे आ जाना। उसका घर तो मैं बाहर से देख ही चुका था, मैं पूरे 12 बजे उसके घर पहुँच गया। उसने मुझे मेहमानकक्ष में बैठाया और मेरे लिए ठण्डा ले आई। इधर-उधर की बातों के बाद मैंने उसके पति के साथ झगड़े के बारे पूछा तो उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े। मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसे ढाँढस बँधाया। इतने में सुबकते हुए सपना बोली- आई लव यू कमल। ‘आई लव यू टू मेरी सपना जान…’ कहते हुए मैंने अपने होंठ उसके काँपते होंठों पर रख दिए। सपना मेरा पूरा साथ दे रही थी और 5 मिनट तक हम चुम्बन करते रहे। इसके बाद वो मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई जहाँ इत्र की भीनी-भीनी महक से माहौल पहले ही मादक बना हुआ था। बिस्तर पर बैठने के बाद मैंने कोई जल्दबाज़ी नहीं की और उसके साथ बहुत सी प्यार भरी बातें की और ढाँढस बँधाया। अब सपना खूब गर्म हो चुकी थी, खुद मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर चूसने लगी जैसे युगों से प्यासी हो। मैं उसके मम्मों को प्यार से चूसने लगा और उसने मेरी पैन्ट की ज़िप खोल दी। आठ इंच का फुंफकारता हुआ हथियार देख कर उसकी आँखों में चमक आ गई। मेरा हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर था। सपना की फुद्दी पूरी तरह गीली हो चुकी थी। बिना देर लगाए मैंने उसका पज़ामा और पैन्टी उतार दी। सपना ने बिना कुछ कहे टाँगें फैला दीं। मैंने भाँप लिया कि वो फुद्दी को चुसवाना चाहती है। सपना ने अपनी मुठ्ठियाँ भींच लीं और आँखें बंद करके सीत्कार करने लगी। उसकी फुद्दी से भीनी-भीनी खुश्बू आ रही थी, शायद उसने पहले से ही सोच रखा था कि फुद्दी चुसवानी है, इसलिए उस पर डियो लगाया था। जैसे-जैसे मेरी ज़ुबान फुद्दी के अन्दर-बाहर जाती, फुद्दी रसीली होती गई। मैंने फुद्दी से मुँह हटा कर धीरे से सपना के कान में कहा- लंड चूसोगी? उसने ‘हाँ’ में सिर हिलाया। हम तुरन्त 69 की अवस्था में आ गए। दस मिनट मुख-मैथुन के बाद खुद सपना बोली- अन्दर डालो। फिर शुरू हो गया सपना की चुदाई का खेल… ‘आह.. ज़ोर से जानू.. तेज़-तेज़ करो प्लीज़..!’ सपना बोली। मैंने ज़ोर से झटके देने शुरू कर दिए। साथ ही कभी उसके रसीले होंठ चूसता और साथ ही मम्मे चूसता रहा। करीब दस मिनट बाद उसका शरीर ढीला पड़ गया, मैं समझ गया कि वो छूट गई है। ‘और कौन सा आसन पसंद है मेरी जान?’ मैंने सपना से पूछा। वो बिना बोले मुस्कुराते हुए घोड़ी बन गई। इस बीच सपना बोली- जानू अन्दर माल ना छोड़ना। मैं बोला- चिंता मत करो मेरी जान। धकाधक पाँच मिनट बाद जब मेरा होने लगा, तो मैंने लंड बाहर निकाल कर सपना के हाथ में दे दिया। वो एक बार और झड़ चुकी थी। सपना ने मुठ मारनी शुरू कर दी और जन्नत के आनन्द की तरह मेरा लण्ड झड़ गया। कुछ देर हम नंगे ही लेटे रहे। इसके बाद एक साथ नहाए और सपना को बाँहों में लेकर चूमने के बाद मैं घर लौट आया। बाद में जब भी वक्त मिलता, हम खूब चुदाई करते। पिछले साल उसके पति का तबादला लुधियाना हो गया लेकिन हमारे संबंध वैसे ही हैं। सपना ने जॉब छोड़ दी है और जब भी मुझे बुलाती है, मैं मिलने पहुँच जाता हूँ। हमने दो बार पूरी रात चुदाई का भरपूर आनन्द लिया, तब उसके पति-देव दिल्ली गए थे। कहानी संबंधी आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा।
उसका फिगर 34-30-36 होगा।
मैडम रोज़ की तरह ही खड़ी थीं।
मुझे उसके स्कूल का नाम तो पता चल गया।
इस काम में मेरी मदद की मेरे दोस्त संजय ने। उसका एक दोस्त उसी स्कूल में क्लर्क था जहाँ मैडम पढ़ाती थीं।
उसका पति जालंधर में ही एक सरकारी विभाग में किसी अच्छी पोस्ट पर है और अभी 6 महीने पहले ही उसका तबादला अमृतसर से जालंधर हुआ है।
वो हमारे सामने वाली कॉलोनी में किराए की कोठी में रह रहे थे और उनके बच्चे कॉलोनी के पास के स्कूल में पढ़ रहे थे।
दरवाजे की घन्टी बजाई तो गेट सपना ने ही खोला।
वो गुलाबी रंग की टी-शर्ट और पज़ामे में थी। सपना ने ब्रा नहीं पहना हुआ था और बला की सेक्सी लग रही थी।
उसकी बाज़ू पर चोट का निशान नज़र आ रहा था।
मैंने उसके करीब जाकर उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और उसके आँसू पोंछने लगा।
इतना होते ही वो ज़ोर से मुझसे लिपट गई और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।
शायद उसने सब पहले सोच कर रखा था।
फिर धीरे-धीरे उसके माथे, कानों, गले और गालों पर चुम्बन लेता रहा।
उसने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी।
उसके सख़्त मम्मों और गुलाबी निपल्स देखकर मेरा लण्ड आपे से बाहर होने लगा। सपना मेरे लण्ड का उभार देखकर समझ चुकी थी।
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मैंने बिना देरी किए अपना मुँह उसकी फुद्दी से लगा दिया और चूत को चाटने लगा।
सपना की टाँगें उठा कर झटके से मैंने अपना लंड अन्दर पेल दिया।
उसके चूतड़ थपथपाते हुए मैंने लंड फुद्दी में घुसेड़ दिया। ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाते हुए मैं उसके मम्मे दबाता रहा।
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