स्वीट राज़ जैसा कि मैंने आपसे वादा किया था कि सपना की बहन की चुदाई की कहानी आपके सामने लाऊँगा तो मैं आपके सामने वही कहानी लेकर हाजिर हूँ। मैंने सपना और उसकी बहन दोनों की चुदाई एक साथ भी की, लेकिन उससे पहले मैं उसकी बहन की अकेले की चुदाई की कहानी आपके सामने रख रहा हूँ। हाँ तो सपना की बहन, नाम था एकता, एकता बजाज, खूबसूरत, हसीन थी वो। उसकी बहन की चुदाई करता ही था, इसलिए बात करने में परेशानी नहीं हुई। रोज ऑफिस से वापस आकर अपनी खिड़की खोलता और उन दोनों से बातें करता। बातों बातों में मैं उन दोनों की तारीफ़ करता कि दोनों बहुत खूबसूरत हैं, वगरैह वगैरह। शनिवार और रविवार को मैं घर पर होता था और सपना का पति शनिवार को ऑफिस था, तो हमें पूरा दिन मिलता था बात करने को। मुझे क्या आपत्ति हो सकती थी, मुझे तो यही चाहिए था। इस तरह वो मेरे पास आने लगी, वो मेरे कंप्यूटर पर कुछ करती रहती और मैं उसे देखते रहता, जब हमारी आँखें मिलती तो वो मुस्कुरा देती। इस तरह समय निकल रहा था। मैंने एक दिन शाम में मैं सीढ़ियों से आ रहा था, थोड़ा अँधेरा था, वो मुझे रास्ते में मिली। मैंने चलते चलते अपने कन्धों से उसके बूब्स को स्पर्श किया और ऐसा दिखाया कि अनजाने में हुआ हो, वो कुछ बोली नहीं, सिर्फ मुस्कुरा दी। इस तरह मेरा हौसला बढ़ता गया, मैं अब जब वो अकेले मिलती, उसे छू देता, कभी उसके कूल्हे, कभी उसके उरोज। अब मैं धीरे धीरे थोड़ा आगे बढ़ने लगा। एक शनिवार वो मेरे कंप्यूटर के कुछ कर रही थी, मैं नहा कर बाथरूम से निकला। मैं टॉवल पहने था, मैं अपना अंडरगार्मेंट निकाला और पहनने लगा। मैंने देखा कि वो मेरी तरफ देख रही है, मैंने अंडरगार्मेंट पहनते हुए अचानक से तौलिया थोड़ा सा हटाया कि उसे मेरा लंड नजर आ जाये। मैं समझ गया कि कोशिश की जा सकती है, मैंने उससे पूछा- क्यों मुस्कुरा रही हो? तो वो बोली- ऐसे ही। मेरे बार बार पूछने पर वो जवाब नहीं दे रही थी, सिर्फ मुस्कुरा रही थी। मैंने पूछा- मेरे तौलिये के नीचे देख कर हंसी हो क्या? मैंने अब देर करना ठीक नहीं समझा, मैंने सीधे पूछा- कैसा लगा मेरा? तो बोली- अच्छा है। मैं उससे बोला- अच्छा है तो क्या करना, जब इस्तेमाल ही ना हो? वो बोली- दिल्ली में लड़कियों की कमी है क्या? मैं बोला- कमी तो नहीं है, लेकिन मिली भी नहीं। मैंने कहा- तुम अब मिली हो तो इस्तेमाल भी होगा। वो बोली- मुझे नहीं करना। मैंने उससे कहा- एक काम तो कर सकती हो, जैसे तुमने मेरा देखा, अपना भी दिखा दो। इस बीच मैं उसके चूचे दबाने लगा। वो कुर्सी पर बैठी थी, मैं उसके वक्ष के उभार दबा रहा था, मेरा लंड उसके कन्धों से सट रहा था, मैंने अब अपना हाथ उसके ब्रा में डाल दिया और उसके स्तन दबाने लगा। वो अब थोड़ा उत्तेजित हो रही थी, मैंने अपना लंड निकाल कर उसके कन्धों से सटा दिया। अचानक वो मेरे तरफ घुमी और मेरे लंड को देखने लगी, मैंने उसके हाथ को पकड़ कर अपना लंड उसके हाथ में दे दिया। वो बड़े प्यार से मेरे लंड को सहला रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसे बोला- इसे चूसो ! तो वो बोली- छीः मुझे नहीं चूसना। मैंने कहा- एक बार कोशिश करो, अच्छा नहीं लगे तो मत करना। और अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया। थोड़ी देर के बाद मैं उससे बोला- यार अपनी चूत तो दिखा दो। वो बोली- दीदी आ जाएगी। मैं बोला- कुछ करूँगा नहीं, बस देखने दो। पहले तो वो मना करते रही, लेकिन मैंने उसकी सलवार खोल दी, और पैंटी नीचे कर दी। उसके दोनों पैरों को मैंने कुर्सी के हत्थे पर रख दिया। अब वो कुर्सी पर थी, दोनों पैर कुर्सी के हत्थे पर थे, मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू किया। चूत चाटना मेरी कमजोरी है, मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, वो आँख बंद करके लेटी थी, मैंने उसकी चूत को फैलाया और चूत के बीच में चाटने लगा। थोड़ी देर तक मैं वैसे ही चाटते रहा, फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दिया और जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा। थोड़ी देर तक मैं उसकी चूत की चुदाई जीभ से करते रहा। इसी बीच सपना ने आवाज दी- एकता खाना खाने आ जाओ। वो अचानक से उठ गई और सलवार पहन ली। मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसके चूमने लगा, मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर थे, मेरा लंड उसकी चूत से सट रहा था। मैं उसके होठों को चूस रहा था। फिर वो चली गई। मैंने जिस दिन से एकता की चूत देखा और चाटा उस दिन के बाद से मैं इंतजार करने लगा कि कब वो दिन आये, जब मैं उसकी मस्त प्यारी चूत चोद दूँ। वो मेरे कमरे में आती, कंप्यूटर पर कुछ ना कुछ करते रहती और मैं कभी उसके बूब्स दबा देता, कभी उसकी पैंटी में हाथ डाल देता। शनिवार को मैं देर से सोकर उठता हूँ, मेरे जागते ही वो मेरे कमरे में आ जाती और कभी अखबार पढ़ती या कभी कंप्यूटर पर कोई गेम खेलती। एकता को पता नहीं था कि मैं सपना की चूत चोदता हूँ, इसलिए और भी जरूरी हो गया था कि एक बार एकता की चूत चोद दूँ। एक बार उसकी चूत चोदने के बाद मैं उसको बता कर दोनों को एक साथ चोदने का प्लान बना रहा था। मैं और एकता हमेशा बातें करते रहते, मैंने उसे बताया कि मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है, और खासकर चिकनी चूत। कुछ दिनों से सपना की तबियत थोड़ी ख़राब रह रही थी इसलिए एकता थोड़ा व्यस्त रहने लगी थी तो मेरे पास काम आती थी और अगर आती भी तो जल्दी चली जाती। मैं एक दिन ऑफिस से वापस आया और खिड़की खोला और देखा कि सपना लेटी हुई थी, उसकी तबियत ठीक नहीं थी। मैंने उसे बोला- किसी डॉक्टर को दिखा लो ! तो वो बोली कि उसके पति जब वापस आएँगे तो बात करेगी। वो दिन शुक्रवार था, अगला दिन शनिवार। रात में जब उसका पति के आने का समय होता, तो मैं अपनी खिड़की बंद कर बंद कर लेता था। उस दिन भी उसके आने के समय के पहले मैंने खिड़की बंद कर ली। शनिवार को मैं सोया था, जैसा की मैंने आपको बताया कि शनिवार को मैं देर से जगता हूँ। करीब दस बजे किसी में मेरा दरवाजा खटखटाया। मेरी आँख खुली, और और मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि एकता खड़ी है, मैंने उसे अंदर बुलाया। मैंने पूछ- सपना की तबियत कैसी है और डॉक्टर के पास कब जा रही है? उसने बताया- वो अभी अभी डॉक्टर के पास गई है। मुझे और क्या चाहिए था, मुझे तो जो चाहिए वो मिल गया। मैंने तुरत दरवाजा बंद किया और एकता को अपनी बाँहों में भर लिया। मैं उसे चूमने लगा, वो दीवाल के सहारे खड़ी थी, मेरा खड़ा लंड उसकी चूत से सट रहा था। थोड़ी देर तक वैसे मैं उसके होंठ चूसते रहा और एक हाथ से बूब्स दबा रहा था और दूसरा हाथ उसके मस्त हिप्स पर था। अब मैंने उसकी सलवार को हाथ लगाया, तो वो बोली- नहीं ये नहीं। मैंने उससे बोला कि इस दिन का इन्तजार तो मैं कब से कर रहा हूँ, इसलिए आज मत रोको, अब करने दो। मैंने उसकी सलवार उतारी, फिर उसके ऊपर का कपड़ा खोला, अब वो मेरे सामने गुलाबी पैंटी और ब्रा में थी। अब मैंने उसे बेड पर लाकर लिटा दिया और उसका मसाज करना शुरू किया। पहले मैंने उसके पैरों से शुरू किया और धीरे धीरे ऊपर आता गया। अब मैं उसकी जाँघों का मसाज कर रहा था। अब धीरे धीरे मैं ऊपर जाने लगा, अब मैं उसकी कमर का मसाज कर रहा था। अब थोड़ा और ऊपर गया और उसके पीठ का मसाज कर रहा था। अब मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी मस्त चूचियों को प्यार से दबाने लगा। वो आँखें बंद करके लेती थी, उसने अपने होंठों को दांतों से दबा रखा था। मैंने अब उसकी पैंटी उतार दी। मैंने अब उसके पैर ऊपर उठा दिए और उसकी चूत चाटने लगा। मैंने उसके हिप्स को दोनों हाथों से पकड़ रखा था और उसकी चूत चाट रहा था। थोड़ी देर एक बाद मैं उसके वक्ष पर बैठ गया और अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया। वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं झटके दे रहा था। उसकी चूत भी पूरी तरह गीली हो गई थी। अब समय था लंड को चूत के दीदार कराने का। एक बात और बता दूँ कि एकता अपने ब्यॉयफ्रेंड से तीन बार चुद चुकी थी, लेकिन उसे चुदे हुए काफी समय हो गया था, इसलिए उसकी चूत टाइट थी। मेरा लंड उसकी चूत में टाइट जा रहा था। उसकी चूत की टाइट ग्रिप से मजा आ रहा था, उसे थोड़ी तकलीफ हो हुई लेकिन मैंने धीरे धीरे लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके दोनों पैर ऊपर करके मैं अब उसकी चूत चोद रहा था, लंड अंदर बाहर हो रहा था। मैं लंड बाहर निकलता और एक झटके में अंदर डाल देता। मस्ती में उसके मुंह से आह आह की आवाज हो रही थी, वो बोल रही थी- और जोर से चोदो… और चोदो, जोर से चोदो। अब मैंने उसे घोड़ी पोज़ में किया और मैं बेड के निचे खड़ा होकर उसकी चूत चोदने लगा। मैं उसके चूतड़ पकड़ कर उसकी चूत चोद रहा था। थोड़ी देर तक मैं उसे ऐसे ही चोदते रहा। अब मैंने उसे अपने रिवॉल्विंग चेयर पर बैठा दिया और उसके दोनों पैर कुर्सी के हत्थे पर रख दिया। वाह क्या नजारा था, ऐसे में चूत कुछ ज्यादा ही अच्छी लग रही थी। मैंने अपना लंड फिर से उसकी चूत में डाल दिया और उसकी चूत चोदने लगा। चेयर रिवॉल्विंग थी, इसलिए मैं उसे पूरे कमरे में घुमा घुमा कर चोद रहा था, एक नया एहसास था यह। मैंने उसे चेयर से उठा दिया और बेड पर लाकर उसे लिटा दिया और उसे चोदने लगा, वो नीचे लेटी थी, मैंने उसके पीठ के नीचे से हाथ डालकर उसके कन्धों को पकड़ कर जोर जोर से चोद रहा था। वो बोली- अब गिरा दो, लेकिन चूत में मत गिराना। मैं जोर जोर से झटके देने लगा और जब मुझे लगा अब मेरा निकलने वाला है तो मैंने लंड बाहर निकला और उसके बूब्स पर गिरा दिया। थोड़ी देर के बाद वो उठी और अपने कपड़े पहन कर कंप्यूटर पर बैठ गई। मैंने उसे अन्तर्वासना डॉट कॉम साइट दिखाई और वो कहानियाँ पढ़ने लगी। फिर वो अक्सर अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ती। मैंने उसे बताया कि मैं उसकी कहानी अन्तर्वासना पर भेजूंगा तो वो तुरन्त तैयार गई। इस तरह मैंने एकता बजाज की बजा दी। अब बारी है सपना और एकता दोनों की चूत एक साथ बजाने की, वो कहानी भी मैं आपके सामने लेकर जल्दी ही आऊँगा। आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा। मेरा mail id है [email protected]
मैं सभी पाठकों को धन्यवाद देता हूँ, मात्र दो दिन में ही आपके इतनी प्रतिक्रियाएँ मिली कि मैं सबका जवाब भी नहीं दे पाया हूँ लेकिन मेरी कोशिश होगी कि सबको जवाब दूँ।
फिगर भी कमाल का था- 36-30-36, वो सपना के पास आई थी, मेरी नजर जब उस पर पड़ी तो मैं उसे देखते रह गया।
एक दिन सपना बोली- एकता दिन भर खाली बैठी रहती है, अगर आपको आपत्ति ना हो तो वो आपके कंप्यूटर का इस्तेमाल कर लेगी।
हुआ भी यही, मैं उसे देख रहा था, वो मेरा लंड देख चुकी थी और मुस्कुरा रही थी।
तो एकता मुस्कुरा दी।
वो धीरे धीरे लंड चूसने लगी।
सपना की चुदाई का मौका भी नहीं मिल रहा था।
मैं उसके होंठों को चूस रहा था।
मुझे गुलाबी ब्रा और पैंटी में लड़कियाँ ज्यादा अच्छी लगती हैं और यह बात मैंने उसे भी बताई थी, शायद इसी लिए वो गुलाबी ही पहने थी।
वो पेट के बल लेटी थी।
मैं उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसके हिप्स का मसाज करने लगा।
अब तक वो पेट के बल लेटी थी, मैंने उसे सीधा किया, और उसके बूब्स को धीरे धीरे सहलाने लगा।
मस्त चिकनी चूत मेरे सामने थी, तब मुझे लगा कि वो गुलाबी रंग की पैंटी और ब्रा इस लिए पहने थी कि मैंने बोला था, मैंने उसे ये भी बताया था कि मुझे चिकनी चूत पसंद है तो वो अपनी चूत चिकनी करके आई थी।
चूत चाटना मुझे बहुत पसंद है, इसलिए मैं उसकी काफी देर तक चाटता रहा।
मैं झटके पर झटके मार रहा था, मैं जब झटका मरता उसके बूब्स हिलते, मजा आ रहा था हिलते बूब्स को देख कर।
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