Pahli Chudai Pahle Pyar ke Sath-2 इस बीच हम फ़ोन पर कुछ खुली बातें करने लगे थे। उस दिन वो कुछ भी ठीक से नहीं कर पाई। अब तन को सुकून देना तो फ़ोन पर संभव नहीं था। हम और बेताब होते चले गए। आप लोगों को मालूम होगा इंजीनियरिंग के प्रवेश के फॉर्म्स दिसंबर से ही निकलने लगते हैं। मैंने अपने सेंटर के नाम पुणे के नाम से ही डाले ताकि हमारी मुलाकात भी हो जाए। फिर क्या मेरी बेताबी और बढ़ती गई और मैं उससे मिलने का इंतज़ार करने लगा। हमने ऐसा कोई योजना नहीं बनाई थी कि हमें चुदाई करnii है, वैसे मेरे दिमाग में कुछ तो था, लेकिन कुछ भी तय नहीं था कि क्या करना है, कैसे करना है क्योंकि मैं कुँवारा था, मैंने बस पोर्न फिल्मों में ही देखा था। अक्सर पोर्न फिल्मों को देखते हुए मुठ्ठी मारता था। इतना ही नहीं एक दिन में 3-4 बार जरुर मुठ्ठी मार लेता था। अनामिका से गर्म बातें करते हुए भी बहुत बार मुठ्ठी मार लेता था लेकिन मुठ्ठी मारने में और चुदाई करने में बहुत फर्क होता है। घर से निकलने से 2-3 दिनों पहले मैंने अपनी झांटों आदि को साफ कर लिया। बैग में अलग-अलग फ्लेवर्स के 3 पैकेट कंडोम के रख लिए। इम्तिहान के एक दिन पहले मैं पुणे पहुँच गया। मैं तो काफी शर्मा रहा था क्योंकि यह मेरी पहली डेट थी। उसे भी थोड़ी शर्म आ रही थी। उसने काली जींस और सफ़ेद टॉप पहना था। उसकी फिगर 34-28-32 की थी, जैसा कि उसने फ़ोन पर मुझे बताया था। थोड़ी देर में हमारे दोस्त चले गए, हम दोनों कॉलेज कैंपस में ही बेंच पर बैठे थे। मैं अभी भी शर्म से उसकी तरफ नहीं देख पा रहा था। आखिर उसने कह ही दिया- तुम तो लड़की की तरह शरमा रहे हो। मैं झेंप गया और कहा- नहीं.. मैं कहाँ शरमा रहा हूँ। मैंने इधर-उधर नजरें दौड़ाई, दूर कुछ लोग थे, पर वो हमारी तरफ नहीं देख रहे थे। मैं अपनी बात साबित करने के लिए उसके गालों को चूमने के लिए बढ़ा लेकिन वो मुझसे दूर हो गई। ‘देखा.. मैं नहीं शरमा रहा हूँ, तुम शरमा रही हो।’ फिर हम इधर-उधर की बातें करने लगे। कॉलेज कैंटीन से वो मेरे लिए कुछ खाने को ले कर आई थी। चूँकि मेरा दोस्त हॉस्टल में रहता था, तो मैंने ठहरने के लिए होटल ले लिया था। अगले दिन ही मेरा इम्तिहान भी था। हमारा प्लान था कि हम लोग, मेरे इम्तिहान के बाद मिलेंगे लेकिन मेरा मन अब इम्तिहान देने का नहीं था। होटल आने के बाद मैंने रात को उससे कहा- मेरा इम्तिहान देने का मन नहीं है और वैसे भी यह बहुत जरूरी इम्तिहान नहीं है। तुम सुबह ही होटल आ जाओ। उसने भी हामी भर दी। शायद वो भी मेरे साथ ज्यादा समय बिताना चाहती थी। अगले दिन सुबह मैं जल्दी जाग कर फ्रेश होकर उसका इंतज़ार करने लगा। मैंने उस दिन जीन्स और शर्ट पहनी थी। मैंने कंडोम का एक पैकेट जीन्स में रख लिया ताकि जरूरत पड़ने पर ढूंढना न पड़े। करीब आधे घंटे बाद वो आ गई। उसे होटल में जाने में बहुत डर लग रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा- बिना कुछ बात किए मेरे साथ चलो। थोड़ी ही देर में हम होटल के कमरे में थे। हम टीवी देखते हुए बात करने लगे। मैं अभी भी उसकी तरफ देख नहीं पा रहा था। कुछ समय बाद हमने नाश्ते में चाय और ब्रेड आमलेट मँगा लिया। चाय खत्म करने के बाद हमने बिस्तर पर ही ब्रेड आमलेट खाना शुरु किया। खाते हुए भी हमारी बातचीत जारी थी। अचानक से मैंने उसे होंठों पर चुम्बन किया और करता ही चला गया। लगभग 30 सेकंड तक मेरे होंठ उसके होंठों से चिपके रहे, वो मुझसे दूर नहीं जा पाई। जब मैंने उसे छोड़ा तो वो मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थी। उसकी सांसें तेज़ हो गई थीं और वो बिस्तर पे लेट गई। हमने खाना खत्म नहीं किया था। मैंने उसे हाथ पकड़ कर बिठाने की कोशिश की। मैंने उससे खाने को कहा, उसने कुछ जबाव नहीं दिया बस ‘ना’ में गर्दन हिला दी। वो अभी भी बिस्तर पर ही लेटी थी, पर शायद थोड़ी डरी हुई थी। मैं भी बिस्तर पर उसके बगल में लेट गया। उसने अपनी आँखें बंद की हुई थीं। इसी तरह लेटे-लेटे मैं अपने होंठों को उसके होंठों के करीब ले गया। मेरी सांसें उसकी साँसों से मिल रही थीं। उसकी सांसें और भी तेज़ हो गईं और अब तो उसके स्तन साफ-साफ नीचे-ऊपर होते दिखाई दे रहे थे। मुझे यह देख कर बहुत अच्छा लग रहा था, मेरे लिंग में तनाव आ चुका था और शायद उसके स्तन भी सख्त हो चुके थे। फिर मेरे होंठों ने उसके होंठों से मिलने में देरी नहीं की। यह चुम्बन पिछली बार से ज्यादा गहरा और प्रगाढ़ था। मैं उसके दोनों होंठों का रस ले रहा था। चंद पलों में वो भी मेरा साथ देने लगी। उसके हाथ कुछ हरकत में आए। शायद वो मुझे गले लगाना चाहती थी, पर मैं बगल से उसके ऊपर था तो उसने मुझे गर्दन से पकड़ कर और भी ज्यादा करीब खींच लिया। मुझे और ज्यादा जोश आ गया और मैं पागलों की तरह उसके नरम होंठों को चूसने लग गया। अकस्मात ही मेरा बायाँ हाथ उसके स्तनों पर चला गया और उसके दाहिने गोले को दबाने लग गया। मेरा अनुमान सही था, वो काफी सख्त हो चुके थे। उसने एक जोर की ‘आह’ भरी और मेरी गर्दन पर उसका दबाव बढ़ गया। मैंने चूमना नहीं छोड़ा था। फिर मैं थोड़ा उठा और दोनों हाथों से दोनों स्तनों को दबाते हुए उसके गालों से होते हुए उसके गर्दन और सीने को चूमने लगा। वो जोर-जोर से ‘आहें’ भरती गई। अब मैंने उसे चूमना छोड़ कर उसके स्तनों की तरफ ध्यान दिया। उसकी सांसें थोड़ी थमी हुई थीं। मैंने गले की तरफ से कमीज़ में हाथ डाल कर उसके स्तनों को छुआ और कमीज़ थोड़ी ऊपर करके उसके सख्त हो चुके स्तनों को देखने की कोशिश कर रहा था। उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी, मैं उसके स्तनों का कुछ ही भाग देख पा रहा था। उसने अपनी आँखें खोलीं और मुझे देखते हुए उसने कहा- मत करो। लेकिन मैं नहीं रुका या फिर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। उसने कहा- ये ऐसे बाहर नहीं आयेंगे। मैंने जल्दी से उसकी कमीज़ नीचे से गर्दन तक मोड़ दिया। अब मैं उसके कपनुमा ब्रा को देख सकता था, पर मुझे फिर भी चैन नहीं मिला और मैं कमीज़ को पूरा निकालने लगा। उसने आपत्ति जताते हुए कहा- अब पूरा बाहर निकालोगे क्या? मैं हैरत में था।
मैंने जाना कि वो कुँवारी है मैं भी कुँवारा था।
पहली बार जब मैंने खुली बातें कीं तो वो बहुत गरम हो गई।
उसने मुझे अगली बार ऐसा ना करने को कहा।
लेकिन दोस्तों किसी लड़की से पहली बार दोस्ती करना एक ऐसा नशा है जो जब तक तन और मन दोनों तक न पहुँचे.. सुकून नहीं मिलता।
जो भी हो, मैंने घर में ही सारा इन्तजाम कर लिया था।
उसी दिन मैं उससे मिलने उसके कॉलेज पहुँचा।
यही थी हमारी पहली मुलाक़ात।
वो अपने कुछ दोस्तों के साथ थी, मैं भी अपने पुणे वाले दोस्त के साथ था।
हमने साथ-साथ वो खाया, फिर थोड़ी देर में मैं वहाँ से चला आया।
वो आकर बिस्तर पर बैठ गई। मैंने टीवी ऑन किया। मैं उससे थोड़ी दूर जा बैठा।
उसने सलवार-कमीज पहना हुआ था, उसके बाल खुले हुए थे और कानों में झुमके लटक रहे थे।
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। यह मेरा, उसका और हमारा पहला चुम्बन था।
मेरी भी धड़कनें तेज़ हो चली थीं। उसके बाद हम खाने की हालत में नहीं थे।
बगल में लेटे हुए ही मैं उसे निहारने लगा।
उसकी सांसें अभी भी तेज़ थीं और मैं उसके स्तनों को ऊपर-नीचे होता देख पा रहा था।
मैं जल्द से जल्द उसके गोलाइयों को निहारना चाहता था। मैं कमीज़ के गले की ओर से ही उन दो उभारों को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा।
कहानी जारी रहेगी।
आपके विचारों का स्वागत है।
