Pahli Chudai Pahle Pyar ke Sath-3 उसने आपत्ति जताते हुए कहा- अब पूरा बाहर निकालोगे क्या? मैं हैरत में था, वो मुझे देख कर मुस्कुराई। मैंने कहा- हाँ.. प्लीज निकालो न। वो उठकर बैठी और अपनी कमीज़ निकाल दी। बैठे-बैठे ही मैं दोनों हाथों से उसके नारंगियों को प्यार से गोलाई में मसलने लगा और फिर से मैंने अपने होंठ उसके होंठों से लगा दिए। चूमते हुए मैंने ब्रा के कप को मम्मे के ऊपर खिसका दिया। पहली बार मैं उसके नग्न मम्मों को अपने हाथों में ले कर छू रहा था। उसके चूचुक नुकीले और हल्के भूरे रंग के थे और उसके आस-पास का घेरा 2 रुपये के सिक्के के माप का था। जल्दी ही उसके निप्पल मेरे मुँह में थे। मैं उसके दायें निप्पल को चूस रहा था और दूसरा मेरी हथेली में कैद था। मैंने उसके निप्पल को चूसते हुए ही अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ की तरफ ब्रा के हुक के पास ले जाकर उसे बिस्तर पर लिटा दिया। फिर मैं ब्रा के हुक को खोलने की कोशिश करने लगा। जब मेरी कोशिश के बाद भी हुक नहीं निकला तो मैंने पूछा- यह कैसे निकलेगा? इस बार उसने बिना कुछ कहे मेरी तरफ देखा और थोड़ा ऊपर उठकर ब्रा के हुक को खोल दिया। बाकी का काम पूरा करने में मैंने उसकी मदद की। शायद उसे अपनी कान की झुमकियों से तकलीफ हो रही थी, उसने खुद ही कान की झुमकियों को निकाल कर एक ओर रख दिया। अब उसकी कमर से ऊपर कोई भी कपड़े नहीं थे। मैं उसके स्तनों को टक-टकी लगा कर देख रहा था। वो कभी अपनी आँखें खोलती, कभी बंद कर लेती। शायद वो देखना चाहती थी मैं क्या कर रहा हूँ। मैंने उसके मम्मों को निहारते हुए अपना शर्ट निकाल लिया। मैंने शर्ट के नीचे कुछ नहीं पहन रखा था तो मैं उसके जैसी ही अवस्था में आ गया। मैं फिर से उसके होंठों को चूसने लगा। फिर तेज़ी से उसकी गर्दन और मम्मे चूमते हुए उसकी नाभि के पास जा पहुँचा। मैं उसकी नाभि पर हल्की-हल्की जीभ फेर रहा था। उसकी आँखें मटक रही थीं और नाभि का भाग काँप रहा था, जैसे मैं तरंगें छोड़ रहा हूँ। यह देख मुझे ‘मर्डर फिल्म’ का हॉट सीन याद आ गया था। मैं फिर भी जीभ फेरता रहा और वो पलट कर पेट के बल हो गई मैंने उसकी पीठ पर जीभ चलाना जारी रखा। उसकी पीठ पर थोड़े सर के बाल आ रहे थे, जिसे मैंने हाथों से हटा कर एक ओर कर दिया। फिर मैंने उसे पीठ के बल लिटा दिया और एक तरफ लेट कर उसके मम्मों को चूसने और दबाने लगा। वो फिर से ‘आहें’ भरने लगी। मैं उसके चूचुकों से भी खेल रहा था और बारी-बारी से दोनों को चूस रहा था। बीच-बीच में मैं उसके मुलायम मम्मों को काट लेता था, ये सब उसे पसंद आ रहा था क्योंकि उसने मुझे ऐसा करने से मना नहीं किया। उसके मम्मों को चूसते हुए मेरा हाथ उसकी सलवार के ऊपर गया, ऊपर से ही मुझे महसूस हो गया कि वो बहुत ज्यादा गीली है। इधर मेरा लिंग अचानक फिर से बहुत ज्यादा तन गया। मैं सलवार के ऊपर से ही उसकी योनि को रगड़ने लगा। उसके मुँह से हल्की सीत्कारें निकल रही थीं। मैंने अचानक से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। अब मुझे अपने आप पर संयम नहीं हो पा रहा था। मैंने अपना हाथ सीधे उसकी पैंटी के अन्दर डाल दिया और उसकी योनि को रगड़ने लगा। उसकी योनि बहुत ही ज्यादा गीली थी। उसकी योनि पर थोड़े-थोड़े बाल थे। थोड़ी देर इसी तरह रगड़ने के बाद मैं सलवार उतारने लगा। इस बार उसने फिर से आपत्ति जताई। वो बोली- मत करो प्लीज़। उसकी ‘हाँ’ या ‘न’ में मुझे कोई फर्क नहीं लगा। वैसे भी मैं कहा रुकने वाला था। चूमते-चूमते मैंने उसका हाथ उफान मार रहे लिंग पर रख दिया। पहले तो एक-दो बार वो हाथ हटाती रही, लेकिन फिर वो उसे सहलाने लगी और मैं उसके बोबों को चूसने और मसलने लगा। उसे भी जोश आया- मुझे देखना है। मेरे लिंग के तरफ इशारा करते हुए उसने कहा। मैंने पीठ के बल लेट गया और कहा- खुद ही देख लो। वो मेरा बेल्ट खोलने लगी और मुझे उसकी थोड़ी मदद करनी पड़ी। फिर उसने मेरे जींस और अंडरवियर को एक साथ नीचे सरका दिया। मेरा लिंग देख कर वो डर गई और बोली- उरी बाबा.. इतना बड़ा। मैंने कहा- कोई बात नहीं… तुम आराम से ले लोगी। मेरा लिंग बहुत ज्यादा बड़ा तो नहीं है। 7 इंच से थोड़ा ही कम होगा.. पर मोटा थोड़ा ज्यादा है। मैंने उसे अच्छे से अपना लिंग दिखाया, उसे बताया सुपारा किसे कहते हैं वगैरह-वगैरह, उसकी झिझक दूर हो चुकी थी। अब उसे भी पहली बार का रोमांच आ रहा था। मैंने फिर से उसे चुम्बन करना शुरू कर दिया। पूरे शरीर पर चूमते-चाटते मैं उसकी योनि के पास पहुँचा। इस बार उसने अपनी टांगें नहीं जोड़ीं। ऐसा ग़जब का रोमांच मेरे जेहन में आया कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। हल्की सी गुलाबी-गुलाबी ऐसा लगा जैसे मुझे जन्नत का नजारा दिख गया हो। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी योनि पर एक प्यारा सा चुम्बन दिया। उसने कहा- छी:! मैंने कोई जवाब नहीं दिया। मेरे चेहरे पर एक मुस्कान थी। पहली बार मैंने ऐसा किया था मुझे भी बहुत अच्छा नहीं लगा। मैंने पहले ही किताबों में और फिल्मों में देखा था कि ये लड़कियों में सबसे अधिक संवेदनशील अंग होता है। मेरे ऐसा करने से वो उत्तेजना में तड़पने लगी। मैं उसके मम्मे भी दबाने लगा। मैंने ऐसा ज्यादा देर तक नहीं किया। मैं नहीं चाहता था कि वो उस वक़्त पानी छोड़े। मैं घुटनों के बल उठा और उसे मेरा लिंग चूसने को कहा। वो राजी नहीं हो रही थी। मैंने कहा- नहीं अच्छा लगे तो फिर मत करना। फिर वो तैयार हो गई। उसने मेरे लिंग को हाथ में पकड़ा और थोड़ा सा अपने होंठों से लगाया। मैंने अन्दर की ओर थोड़ा दवाब दिया। मैंने उसे उसकी ऊँगली अपने मुँह ले कर बताया कि वो कैसे करे। वो मेरा अनुसरण करने लगी। फिर तो जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया। उस वक़्त मुझे मालूम नहीं था कि उसे वाकयी अच्छा लग रहा था या मुझे खुश करने के लिए कर रही थी, लेकिन बाद में मुझे पता चला कि उसे मजा आ रहा था। वो ज्यादा देर तक ऐसा नहीं कर पाई क्योंकि उसके मुँह में दर्द होने लगा। मैंने कंडोम निकाल लिया। मैंने उसे पहले भी फ़ोन पर बता रखा था कि कंडोम फ्लेवर में भी आते हैं। मैंने पूछा- कौन सा फ्लेवर?? उसने स्ट्राबेरी पसंद किया। अब वो बिस्तर पर लेटी थी। मैंने कंडोम का पाऊच जैसे ही फाड़ा। उसने कहा- लाओ मुझे दो। मैंने पूछा- तुम्हें आता है लगाना? जवाब में उसने यही सवाल दोहरा दिया। मैंने कहा- हाँ.. मुझे बिल्कुल आता है। फिर हम दोनों ने मिलकर कंडोम लगाया। सच कहूँ तो मुझे अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा था कि मैं बहुत धैर्य से ये सब कर रहा था। मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया। मैंने उससे पूछा- डालूँ ?? उसने एक गहरी सांस ली और सहमति में अपना सर हिलाया। मैं अपने लिंग के सुपारे को उसकी दरार पर रगड़ने लगा। मुझे लगा कि वो फिर से उत्तेजित हो चुकी है, तो मैंने हल्के से थोड़ा लिंग अन्दर डाल दिया। ‘बहुत दर्द हो रहा है!’ उसने कहा। मैं रुक गया। अपना लिंग अन्दर डाले हुए उसके होंठों को चूसने लगा साथ में मम्मे भी दबाने लग गया। इस बार मैं सबसे ज्यादा जोर से दबा रहा था। इतनी देर में मेरा करीब आधे से थोड़ा कम लिंग अन्दर जा चुका था। जब मैंने देखा कि दर्द पर उसका ध्यान नहीं है तो इस बार मैंने अचानक से पूरा लिंग डाल दिया। वो दर्द से हाथ-पैर मारने लगी। मुझे पीछे की ओर धकलने लगी। लेकिन मैंने अपनी पकड़ बनाए रखी। मैंने लिंग बाहर नहीं निकलने दिया। अगर वो होटल में नहीं होती तो शायद वो बहुत जोर से चीखती। मैं उसी तरह लिंग डाले हुए फिर से उसे चूमने लगा। थोड़ी देर में जब उसका दर्द चला गया तो वो पूछने लगी- क्या सारा अन्दर चला गया?? मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया, “यस डार्लिंग..” ‘पूरा अन्दर चला गया…?’ उसने फिर से दोहराया और उठ कर देखने की कोशिश करने लगी। ‘हाँ… देखो न।’ मैंने उठने में उसकी मदद करते हुए कहा। ‘कितना अजीब है न.. किसी चीज़ को अपने अन्दर ले लेना!’ उसकी इस बात में मुझे हँसी आ गई, मैंने कहा- यह तो स्वाभाविक है। उसने सहमति जताई। मैंने फिर से धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे उसको भी मजा आने लगा। लेकिन अगर मैं गति बढ़ाता था तो उसे दर्द होता था। तब मैंने उसे कुतिया की अवस्था के बारे में बताया। अभी तक मैंने उसके कूल्हे नहीं देखे थे तो मेरा भी मन था। वो यह सोच कर तैयार हो गई कि उसमें दर्द कम होगा। जब मैंने अपना लिंग उसकी योनि से निकाला तो देखा मेरे लिंग पर हल्का खून लगा था और पूरा लिंग उसके योनि रस में सना हुआ था। अब मैंने उसको पेट के बल लिटा दिया। फिर कूल्हे के पास से उसे पीछे की तरफ उठा दिया जिससे वो चुदासी कुतिया के जैसी स्थिति में आ गई। पहले तो मैंने उसके कूल्हों को गौर से देखा। क्या मांसल कूल्हे थे। मैंने उसके कूल्हों की तारीफ करते हुए पीछे से उसकी योनि में अपना लिंग पेल दिया। फिर से मैंने शुरुआत धीरे-धीरे ही की। जब उसके कूल्हे मेरे शरीर से टकराते तो अदभुत आनन्द मिल रहा था। कभी मैं उसके कूल्हे को पकड़ लेता था तो कभी मैं उसकी लटकती नारंगियों से खेलने लगता। यही कोई 4 मिनट इस स्थिति में अपना लिंग उसकी योनि में अन्दर-बाहर करके धक्के लगाता रहा। फिर जब मुझे लगा में छूट जाऊँगा तो मैंने उसे अपने ऊपर आने को कहा। मैं पीठ के बल लेट गया और वो अपना चेहरा मेरी तरफ करके मेरे लिंग को अपनी योनि में डालते हुए बैठ गई। अभी भी उसे पूरा अन्दर लेने में तकलीफ हो रही थी। मैंने उसके कूल्हों को नीचे से अपने हाथों से सहारा देकर धक्के लगाने शुरु कर दिए। वो भी मेरा साथ दे रही थी। मैं ध्यान रख रहा था कि अपना पूरा लिंग उसकी योनि में न डालूँ। मुझे इस तरह धक्के लगते हुए अभी 3-4 मिनट ही हुए होंगे, मुझे फिर लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है तो मैंने जल्दी से उसको पीठ के बल लिटा दिया और ऊपर आकर उसकी टांगों को अपने कंधे पर टिका कर जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। उसके चेहरे पर एक संतोष झलक रहा था। हम इसी तरह नंगे एक-दूसरे से चिपके हुए लेटे रहे। थोड़ी देर में मैंने उससे बात शुरू की- कैसा लगा? जवाब में उसने मुझे एक गहरा चुम्बन दिया और कहा- मेरी मुस्कान बहुत प्यारी है। यह थी मेरी पहली चुदाई और पहली कहानी जो कि ना जाने क्यों मुझे भी लिखने को मन किया। आप लोग अपने कमेंट्स जरूर दें ताकि मैं अपनी अगली कहानी लिखूँ। धन्यवाद। आपके विचारों का स्वागत है।
मैंने जल्दी से उसकी कमीज़ नीचे से गर्दन तक मोड़ दिया।
अब मैं उसके कपनुमा ब्रा को देख सकता था, पर मुझे फिर भी चैन नहीं मिला और मैं कमीज़ को पूरा निकालने लगा।
उस वक्त मेरे अन्दर तूफान कम नहीं था, मैंने अपने लिंग को इतना सख्त कभी नहीं महसूस किया था जितना कि आज कर रहा था। मैंने चूमना छोड़ दिया और उसके स्तनों के दर्शन करने लगा।
उसने फिर से एक गहरी सांस लेते हुए ‘आह’ भरी।
उसने जोर से मेरा सर पकड़ लिया और उसका सर पीछे की ओर लटक रहा था।
मैं पूरी तरह से उसके ऊपर आकर उसके हाथों को अपने हाथों से दबाकर गर्दन से लेकर कमर तक बेतहाशा चूमने लगा।
मुझे थोड़ा दर्द भी महसूस हुआ, मैं उसे बाहर निकालना चाहता था लेकिन मैं ये भी चाहता था कि अनामिका खुद ही बाहर निकाले।
उसने कुछ 4-5 दिन पहले ही सफाई की होगी। मैंने उस वक़्त ऊँगली अन्दर डालने की कोशिश नहीं की, मैं जानता था ये उसके लिए भी पहली बार है।
मैंने एक ही बार में सलवार और पैन्टी दोनों उतार दीं।
जन्नत का द्वार मेरे सामने था। मैं उसकी योनि के होंठों को फैला कर देखना चाहता था लेकिन उसने अपनी टांगें जोड़ लीं। पहले तो मैंने जबरन उसकी टांगें अलग करने की कोशिश की, फिर मैं उसके ऊपर आकर उसके होंठों को चूमने लगा।
मेरा लिंग उफान मारते हुए उसके सामने तम्बू की तरह खड़ा हो गया। मैंने अपने सारे बचे-खुचे कपड़े तन से अलग कर दिए।
पहले तो मैंने उसकी प्यारी योनि को फैलाकर उसके दर्शन किए।
लेकिन फिर भी मैंने उसे ज्यादा उत्तेजित करने का सोच कर फिर से उस नमकीन सागर में अपने होंठ लगा दिए। मैं उसके भगनासे को चूसने लगा और कभी-कभी उसे काट भी लेता।
उसने अन्दर जाने दिया लेकिन वो 2 इंच से ज्यादा नहीं ले पाई क्योंकि उसके मुँह के हिसाब से मेरा लिंग मोटा था।
फिर वो मेरे लिंग को चूसते हुए अन्दर-बाहर करने लगी।
मैंने भी उसे जोर नहीं दिया, चूँकि ये मेरे लिए पहला अनुभव था तो मुझे पानी छूटने का भी डर था।
उसकी हल्की सी चीख निकली।
कुछ 12-15 धक्के के बाद मेरा पानी छूट गया। उसे दर्द तो हो रहा था लेकिन उस दर्द में मजा ज्यादा दिख रहा था।
