Tumko na Bhool Paunga-2 मैंने कहा- वक्त आने पर मैं तुम्हें वो भी दे दूँगा जान। उसने कहा- जान, हम अगली बार किसी पार्क में या खुली जगह पर नहीं मिलेंगे। किसी ऐसी जगह पर मिलेंगे जहाँ दूर-दूर तक हमें कोई भी ना देख पाए। थोड़ी देर वहीं बैठ कर हमने बातें कीं और हम वहाँ से जाने लगे। प्यार करते रहना। मैंने उसके माथे को चूमते हुए कहा- तुम्हें छोड़ कर जाने का ख्याल आने से पहले ही मेरी जान चली जाए और रही बात प्यार करने की… तो तुम्हें प्यार किए बिना मैं साँस भी नहीं ले पाता हूँ। मेरी बातें सुनकर उसकी आँखें नम हो गईं और उसने कस कर मुझे अपने गले से लगाया। उस दिन मैं किसी महत्वपूर्ण काम से मुंबई आया था, इसलिए मुझे सीमा को छोड़ कर जल्द ही जाना पड़ा। अगले ही महीने हमारे कॉलेज का टूर नासिक, मुंबई और गोवा जाने वाला था। मैंने उसे गोवा से लौटने के बाद फ़ुरसत से मिलने को कहा और सुबह 7 बजे से शाम होने तक साथ रहने को कहा। मैंने उसे यह भी कहा कि हम पूरा समय किसी ऐसी जगह बितायेंगे कि जहॉ दूर-दूर तक हमें कोई भी नहीं देख पाएगा और हम जी भर के प्यार करेंगे। वो मान गई और कहा- पता नहीं उस दिन क्या होने वाला है, पर मैं तो बेसब्री से उस दिन का इन्तज़ार करूँगी… पता नहीं वो दिन कब आएगा। बड़ी बेसब्री से इन्तज़ार करने के बाद आखिर वो दिन आ ही गया। मैं गोवा से मुंबई सुबह के 5:30 बजे ही पहुँच गया और उसके इलाके के लोकल स्टेशन पर मैं उसका इन्तज़ार करने लगा। थोड़ी ही देर में सीमा भी पहुँच गई और हम अगली लोकल ट्रेन से आगे निकल पड़े। मैंने अपने दोस्त से पहले ही किसी कमरे के बारे में पूछ लिया था। दोस्त के बताए हुए पते पर हम पहुँच गए और हमें कमरा भी आसानी से मिल गया। हम कमरे के अन्दर चले गए और मैंने कमरा अन्दर से बन्द कर दिया। मैं सीमा के लिए गोवा से कुछ उपहार लाया था, नहाने के बाद वो उसे दे दिए। कर वो बहुत खुश हुई। सीमा को प्रभु यीशु की इनरी पहनना अच्छा लगता था। उसने झट से मुझे कस कर गले से लगाया, मैंने भी उसे अपनी बाँहों में भर लिया। लगभग पाँच-दस मिनट तक हम यूँ ही एक-दूसरे की बांहों में खोये रहे। फ़िर धीरे से मैं उसके माथे पर चूमने लगा और उसकी पीठ पर हाथ घुमाने लगा। मैं उसके गालों को चूमता हुआ गरदन को चूमने लगा। उसकी आँखें बन्द थीं लेकिन साँसें तेज़ हो रही थीं। उसकी बढ़ती हुई तेज़ धड़कनों को मैं महसूस कर रहा था। मैंने उसे बिस्तर पर बैठाया और उसे चूमने लगा। मैं अपने एक हाथ से उसके मम्मों को दबाने लगा और एक हाथ उसकी जुल्फों में फेर कर उसकी गरदन सहलाने लगा। वो गरम होने लगी थी, तभी मैंने उसे लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और उसे चूमते हुए उसके पूरे बदन को सहलाने लगा। उसने मुझे अपनी टी-शर्ट उतारने को कहा, मैंने उससे कहा- तुम खुद ही उतार दो। उसने मेरी टी-शर्ट और इनर उतार दिया फ़िर मैंने भी उसे उसकी कमीज उतारनी चाही.. लेकिन उसकी कमीज बहुत कसी होने के कारण मैं उसे ठीक से नहीं उतार पाया.. तो उसने खुद ही उतार दी। उसकी कमीज़ उतारते ही मैं उसे देखता ही रह गया। क्या खूब लग रही थी वो… उसका वो गोरा-गोरा बदन और उस पर काले रंग की ब्रा में से आज़ाद होने का इन्तज़ार करते हुए बड़े-बड़े मम्मे, उसके गोरे बदन को गुदगुदाते हुए उसकी काली ज़ुल्फ़ें, पेट पर भूरे रंग के छोटे-छोटे बालों की हल्की सी लकीर सीधे मम्मों के बीचों-बीच लुप्त हो रही थी। अभी तक तो मैंने उसे पूरी तरह से नंगा भी नहीं किया था कि वो इतनी कयामत ढा रही थी। उसे शर्म आ रही थी। मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और फ़िर से उसे चूमने लगा। उसके मुँह से ‘ओह…आह… सीऽऽऽसीऽऽऽ…’ जैसी आवाजें निकलने लगी। मेरा एक हाथ उसकी पीठ के नीचे था और एक हाथ से मैं उसका पेट सहलाने लगा। पेट को सहलाते हुए मेरा हाथ और भी नीचे जाने लगा और अब मैं उसकी जांघ सहलाने लगा। उत्तेजना से उसकी भी ‘आहें’ निकलने लगीं और उसने मुझे अपनी बाँहों में कस कर जकड़ लिया, कभी मेरी पीठ को तो कभी मेरे बालों को नोंचती। अब मैंने भी उसकी जांघ सहलाते हुए उसकी चूत की ओर अपना हाथ बढ़ाया और धीरे-धीरे उसकी चूत सहलाने लगा। मैंने धीरे से उसका लोवर खोल दिया और नीचे खिसकाने लगा। उसने हल्का सा विरोध जताया, पर कोई फायदा नहीं हुआ और मैंने लोवर उतार दिया। आह… क्या बला की खूबसूरत लग रही थी मेरी सीमा.. पूरा गोरा-नंगा बदन दमक रहा था और शरीर पर ब्रा और पैन्टी के अलावा कुछ भी नहीं था। अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था, मै सीधे उसके मम्मों को चूमने लगा और जोरों उसके मम्मों को दबाने लगा। उसके तने हुए चूचुक गुलाबी रंग के थे। मैं उसके चूचुकों को चूसने लगा और कभी दाँतों के बीच दबा देता। अब मेरे लण्ड की हालत ख़राब होने लगी थी और निक्कर के अन्दर वो फुंफकार मारने लगा था। मैंने एक हाथ से अपने 7″ लम्बे लंड को बाहर निकाल कर उसके हाथों में थमा दिया। जिसे वो बड़े प्यार से सहलाने लगी। मेरे लंड की अकड़ धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। मैंने अपने हाथों का दायरा थोड़ा और बढ़ाया और धीरे-धीरे अपनी उँगलियों को उसकी चूत की तरफ बढ़ाने लगा। पहले तो वो थोड़ा सा कसमसाई पर मेरे जोर देने पर फिर मान गई। मेरी ऊँगलियाँ ज्यों-ज्यों उसकी चूत की तरफ बढ़ती जा रही थीं, उसकी सांसें उतनी ही तेज चलने लगी थीं। उसके मुँह से अजीब सी आवाजें निकल रही थीं ‘ऊओह.. आह स श श..’ मैं फिर से उसके शरीर को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा जिससे उसमें मादकता छाने लगी। जैसे ही मेरे होंठों ने उसकी नाभि को छुए, वो बेचैन होने लगी। मेरे ऊपर भी एक अलग सा नशा छाने लगा था और मैंने अब उसकी पैंटी को भी उसके शरीर से अलग कर दिया और धीरे-धीरे मेरे होंठ उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगे। उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, इससे लगता था कि उसने एक-दो दिन पहले ही अपने बाल साफ़ किए थे। जैसे ही मेरे होंठ उसकी चूत से लगे, वो सीत्कार कर उठी। बहुत देर तक मैं उसकी चूत को चूसता रहा, फिर सीमा बोली- प्लीज राज… ऐसे क्यूँ तड़पा रहे हो… आह…सीऽऽऽसीऽऽऽ… जल्दी डालो… मुझे चाहिए… आह्ह्ह.. अब बर्दाश्त नहीं होता। थोड़ी देर बाद मैंने अपने लौड़े से उसकी चूत रगड़नी चालू कर दी। फिर मैं उसकी चूत में लौड़ा डालने ही वाला था कि वो बोली- राज धीरे से डालना। मैं- तुम चिंता मत करो… उसकी चूत का छेद बहुत छोटा था और मेरा लौड़ा बहुत बड़ा और मोटा था इसलिए वो घबरा गई थी। मैंने उसकी चूत पर अपना लौड़ा रखा और जोर से झटका मारा तो मेरा थोड़ा सा लौड़ा उसकी चूत में घुस गया। इतने में ही सीमा की आँखों में से आँसू निकलने लगे और वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी- अहह… अह्ह्ह्ह… जल्दी बाहर निकालो…
उसने कहा- यह क्या कर रहे हो जान? प्लीज़ ऐसा मत करो… वरना मुझे चाहिए होगा… और इस जगह पर तुम दे नहीं पाओगे।
जाने से पहले मैंने उसे कस कर गले लगाया, उसने कहा- आय लव यू राज, प्लीज़ मुझे छोड़ कर कभी मत जाना और हमेशा मुझे यूँ ही
फ़िर हम लोग वहाँ से चले गए।
सीमा ने भी दुःखी मन और नम आँखों से मुझे विदा किया।
दुबारा जल्द ही मिलने का वादा कर के मैं चला गया।
हमारा टूर पहले नासिक फ़िर मुंबई से होकर गोवा जाने वाला था।
गोवा जाने से पहले मैं एक बार सीमा से मिलना चाहता था।
हम शहर के किसी छोटे और व्यस्त पार्क में बैठ कर बातें कर रहे थे।
मैं रात भर सफ़र कर के आया था, इसलिए मैं पहले नहा लिया।
उसे मेरे द्वारा दिए गए उपहार पसन्द आए।
फ़िर मैंने उसे आँखें बन्द करने को कहा, उसकी आँखें बन्द करते ही मैंने उसे गोवा से लाया हुआ प्रभु यीशु की इनरी पहनाई जिसे देख
मम्मों का रंग तो उसके बाकी शरीर से भी अधिक गोरा था।
उसने मेरी नज़रों का पीछा किया तो उसे पता चल गया और वो अपने दोनों हाथों से अपने आप को ढकने की कोशिश करने लगी।
उसकी गोरी-गोरी मांसल जांघ और गोरी-गोरी टांगें, उसके मम्मे अब पहले से भी अधिक सख्त हो चुके थे और तने हुए सीधे खड़े थे।
अब वो भी ब्रा से आज़ाद होना चाहते थे।
मैंने उसकी ब्रा का हुक पीछे से खोल दिया और उसके मम्मों को ब्रा से आज़ाद कर दिया।
जिंदगी में पहली बार इस सुखद एहसास का आनन्द मिल रहा था, जिसे मैं किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था।
मेरे होंठ अभी भी सीमा के होंठों पर चिपके हुए थे और मेरी ऊँगलियाँ उसकी चूचियों पर तैर रही थीं।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार मेल करें।
