Tumko na Bhool Paunga-3 इतने में ही सीमा की आँखों में से आँसू निकलने लगे और वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी- अहह… अह्ह्ह्ह… जल्दी बाहर निकालो… मैं- कुछ नहीं होगा जान.. अभी थोड़ी देर में ही तुम्हें मज़ा आएगा। यह कहकर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उन्हें चूमने लगा। फिर मैंने एक और झटका मारा तो मेरा आधे से ज्यादा लौड़ा उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया। सीमा को बहुत दर्द हो रहा था और वो चिल्लाना चाहती थी, पर मेरे होंठ उसके होंठों को चूम रहे थे इसलिए वो चिल्ला नहीं पाई। फिर मैंने एक और झटका मारा तो मेरा पूरा लौड़ा उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया और फिर मैं उसे धीमी गति से अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी चूत की सील टूट चुकी थी और मेरा लौड़ा पूरा खून से लथपथ था। तब मुझे अहसास हो गया कि मेरी सीमा आज तक किसी से भी नहीं चुदी है। अब मैंने धक्कों की गति बढ़ा दी, तेजी से उसकी चूत में अपना लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं। उसने भी मुझे कस कर चिपका लिया। सीमा बोली- अह्ह्ह्हा… राज ऽऽऽ… ह्म्म्म और चोदो…जोर से चोदो… अह्ह्ह.. कसकस्क… अचानक ही सीमा ने मुझे कस कर पकड़ लिया और वो शांत हो गई… वो झड़ चुकी थी। कुछ देर बाद वो सामान्य हो गई और उसने कहा- फ़िर से अन्दर डालो ना… बहुत अच्छा लग रहा है…। मैंने अपना लौड़ा फ़िर से उसकी चूत में डाला और धक्के मारने लगा और थोड़ी ही देर में मैं झड़ गया। सीमा- आय लव यू राज। मैंने उसे प्यार से चूम लिया। थोड़ी देर तक हम दोनों एक-दूसरे को चूमते हुए बिस्तर पर लेट गए। करीब 15-20 मिनट में सीमा फ़िर से जाग गई और मुझे चूमने लगी तो मेरी नींद टूट गई। सीमा- सॉरी… मैंने तुम्हें जगा दिया। मैं- कोई बात नहीं जान.. मैं भी सीमा को अपनी बाँहों में लेकर चूमने लगा। फ़िर वो बाथरूम में चली गई, शायद वो अपनी चूत साफ़ कर रही थी। जब वो लौट कर आई तो मैंने पूछा- जान, सब ठीक तो है ना? सीमा- हाँ.. सब ठीक है। बस वो चूत से खून निकल रहा था इसलिए थोड़ा डर गई थी.. अभी मैंने खून साफ़ कर लिया है। मैं- तुम्हें काफी दर्द हुआ होगा ना? सीमा- हुआ तो था, पर जैसा तुमने कहा था… थोड़ी ही देर में मुझे अच्छा लगने लगा था.. परेशान मत हो जान… सीमा मुझे गले से लगा कर मुझे चूमने लगी। हम दोनों पहले से ही निर्वस्त्र थे। वो फ़िर से गरम होने लगी थी, उसकी साँस तेजी से चलने लगी थी। सीमा- यह क्या कर रहे हो? मैं- मैं तुम्हारे साथ नहाना चाहता हूँ। सीमा- लेकिन पानी तो बहुत ठंडा होगा ना? मैं- जान, मैं तुम्हें इतना गरम कर दूँगा कि तुम्हें ठंड का पता भी नहीं चलेगा। मैंने शावर चालू किया, ठंडे पानी की फ़ुहार हम पर बरसने लगी। सीमा के बदन पर टपकती हुई पानी की बूँदों की वजह से वो सिहर उठी, उसे ठंड लग रही थी। मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया। मैं उसके पूरे भीगे बदन को चूमने लगा। उसके भीगे हुए मम्मे और भी ज्यादा रसीले लग रहे थे। मैं उसके मम्मों को कस कर दबाने के साथ ही जोरों से चूसने लगा। एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा। मैंने उसके पूरे शरीर को साबुन लगा कर सहलाने लगा। उसकी चूत को और मम्मों को और भी ज्यादा प्यार से साबुन लगा कर सहलाने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं- सी…सी…ऽऽऽऽ आह्ह… सी… सी… उम्म… उसके शरीर से साबुन साफ़ करने के बाद वो मेरे शरीर पर साबुन लगाने लगी। वाह वो क्या सुखद अहसास था.. ऊपर से पानी की ठंडी बूँदें शरीर को तरोताजा कर रही थीं और नीचे सीमा मेरे लन्ड को चूस-चूस कर उत्तेजना बढ़ा रही थी। अब मैं नीचे बैठ कर सीमा की रसीली चूत का रस पीने लगा। वो कहने लगी- उम्म… आह्ह… बस्स भी करो जान, अब और कितना तड़पाओगे… मुझे चाहिए… मुझे तुम्हारा लन्ड चाहिए… मैंने उसे उसकी गांड को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसने अपनी टांगों से मेरी कमर को घेर लिया और कस कर पकड़ लिया। उसे शायद दर्द हुआ होगा, उसने अपना मुँह मेरे कंधे पर रख कर कस कर दबाया और दर्द के मारे उसने मुझे काटा भी। उसके काटने से कुछ तो दर्द मुझे भी हुआ, पर शायद सीमा की चूत के दर्द के आगे मेरा दर्द कुछ नहीं था। मैं उसके चूतड़ों को ऊपर-नीचे करता रहा और उसके होंठों को चूमता रहा। ऊपर से पानी बरस रहा था और नीचे चुदाई हो रही थी। आज तक ज़िन्दगी में मुझे इतना सुखद अहसास कभी नहीं मिला, जितना मुझे सीमा को चोदने से मिल रहा था। मदहोशी में सीमा बड़बड़ाने लगी- और जोर से चोदो मेरे राज… आज मेरी चूत को फ़ाड़ दो… बिल्कुल भी रहम मत करना राज… उम्म्म.. आह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… आह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह… हम दोनों एक ही तौलिए में लिपट कर बाहर आए। उसने भी मेरे लन्ड को बड़े प्यार से पोंछ कर साफ़ कर दिया। अब उसने अपनी ब्रा और पैंटी पहन ली और मैंने भी अपनी निक्कर और बनियान पहन ली। हम दोनों वापस बिस्तर पर आ कर लेट गए, उसने मेरे सीने पर सर रख दिया और इसी अवस्था में हमें कब नींद आ गई कुछ पता नहीं चला। जागने के बाद हमने फ़िर से दो बार चुदाई की। मैं उसके इलाके के लोकल स्टेशन तक साथ रहा, पूरे सफ़र में वो मुझसे लिपटी हुए थी। बाद में मैं भी अपने हॉस्टल वापस आ गया। दो महीनों बाद अचानक ही एक सड़क दुर्घटना में सीमा का दुःखद निधन हो गया।
मैंने उसकी चूत पर अपना लौड़ा रखा और जोर से झटका मारा तो मेरा थोड़ा सा लौड़ा उसकी चूत में घुस गया।
वो अपने नितंब उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी, शायद उसका दर्द कम हो गया था। मैंने उसे कस कर अपनी बाँहों में ले लिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा।
नींद कब लगी, कुछ पता ही नहीं चला।
उसके गोरे-गोरे मम्मे मेरी छाती पर दबाव डाल रहे थे।
उसके मम्मों का स्पर्श पाते ही मैं भी उत्तेजित होने लगा।
मैं भी उसके होंठों को कस कर चूमने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा और उसके चूचुकों को ऊँगलियों से मसलने लगा।
मेरा लन्ड फ़िर से खड़ा होने लगा।
मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और बाथरूम के अन्दर ले गया।
उसने मेरे लन्ड के साथ भी वो ही बरताव किया जो मैंने उसकी चूत और मम्मों के साथ किया था।
बड़े ही प्यार से वो मेरे लन्ड को सहलाते हुए साबुन लगाने लगी।
अच्छे से धोने के बाद वो मेरे लन्ड को चूसने लगी।
उसके मुँह से फ़िर से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैंने उसे दीवार के सहारे टिका कर एक हाथ से अपने लन्ड को उसकी चूत के ऊपर लगा दिया।
अब मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ के नीचे खिसकाया।
मेरा तना हुआ लन्ड तुरन्त ही उसकी चूत में अन्दर तक घुस गया।
उसके मम्मे मेरे सीने से रगड़ रहे थे।
एक लम्बी आह्ह्ह… के साथ वो झड़ गई।
मैंने उसे नीचे उतारा और उसको मेरा लन्ड चूसने को कहा, उसने चूस-चूस कर मेरे लन्ड का पानी निकाल दिया।
मैंने उसके शरीर को पोंछ कर अच्छी तरह से साफ़ कर दिया खास कर उसके मम्मों को और चूत को।
अब तक शाम हो चुकी थी और सीमा को भी घर जाने के लिए काफ़ी देर हो रही थी, हम वहाँ से निकल गए।
पहुँचने के बाद उसने मुझे चूमा और ‘आय लव यू’ कह कर चली गई, जाते वक्त उसकी आँखें नम थीं।
तब से मैं अकेले ही उसकी यादों के सहारे जी रहा हूँ। आज भी उसके साथ बिताया हुआ हर एक पल भुलाए नहीं भूलता…!
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