रिस्ता तोड़ना आसान, गज़ब की प्यास बुझाना मुश्किल | एक यादगार मेल-जोल की कहानी

एक प्यारी और आकर्षक कहानी जो दो लोगों के बीच के रिस्ते को दर्शाती है, जो एक दूसरे के प्यार में पड़ते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताने का आनंद लेते हैं।

एक लड़की सलमा गाँव के बाहर गन्ने के खेतों के पास खड़ी एक लड़के पर चिल्ला रही थी- ओए अब्दुल ! तेरी माँ का भोंसड़ा, मादरचोद... हरामी की औलाद !

पास से जा रहे एक साधु ने कहा- बेटी ऐसा नहीं बोलते हैं, क्या बात हुई?

सलमा बोली- उस बहनचोद ने मेरे चुच्चे दबाए !

बाबा ने सलमा की चूचियाँ दबाकर कहा- ऐसे दबाई थी क्या..?

सलमा- हाँ बाबा, फिर उस मां के लौड़े ने मेरा कमीज उतारा !

बाबा उसका कमीज उतार कर बोला- गाली मत दे बेटी ! ऐसे ही तेरा कमीज उतारा था उसने?

सलमा- हाँ बाबा !

बाबा- इस पर गाली देना शोभा नहीं देता ! तूने उसे रोका क्यों नहीं?

सलमा- बाबा, जब उस रण्डी के ने मेरी चूचियाँ मसली तो मुझे मज़ा आया।

बाबा सलमा की चूचियाँ मसलते हुए बोला- ऐसे ही क्या?

सलमा- हाँ बाबा ! फिर उस भौंसड़ी के ने मेरी सलवार खोल कर उतार दी और मुझे लिटा कर चोद दिया।

बाबा ने सलमा की सलवार उतारी, नीचे लिटाया और सलमा की फ़ुद्दी में अपना लौड़ा घुसा कर बोला- ऐसे ही तो चोदा होगा?

सलमा- हाँ बाबा !

बाबा- इसमें भी गाली देना शोभा नहीं देता।

सलमा- पर बाबा, उस गण्डमरे ने चोदने के बाद बताया कि उसे एड्स है।

बाबा- अब्दुल मादरचोद... तेरी माँ का भोंसड़ा... हरामी की औलाद ! बहनचोद... रण्डी के... !

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