समय के साथ मेरी चुदाई की कहानी - मैं एक चुदक्कड़ बनती गई

एक युवती की समय के साथ बदलती यौन इच्छाएं और उसकी चुदाई की कहानी जो उसे एक चुदक्कड़ बनाती है।

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प्रेषिका : नीनू

"दोनों ऊपर आ जाओ, मेहमान हो मेरे, फिर कहोगे भाभी ने बैठने को नहीं कहा।"

राहुल बोला- साली, हम तो तेरे साथ लेटना चाहते हैं !

"यह हुई मर्द वाली बात, तुम दोनों कुत्ते हो और मैं तुम दोनों की कुतिया हूँ !'

मैंने पैंटी भी उतार फेंकी, एकदम चिकनी फ़ुद्दी देख राहुल ने कपड़े उतार दिए। उसका लौड़ा बहुत बड़ा निकला।

"तेरा बहुत बड़ा है ! लेकिन अभी है बच्चा !"

"हैं? क्या बच्चा? बच्चा कहो तो आपको बच्चा दे देगा !'

"आकर मेरी फ़ुद्दी को जुबान से चाट !"

राहुल मेरी फ़ुद्दी चाटने लगा, अभय मेरे मम्मे सहला रहा था, हम तीनो नंगे होकर कामसूत्र के खेल खेलने को तैयार थे।

मैंने राहुल के लौड़े को प्यार से सहलाया और चूसने लगी, कभी उसका चूसती, कभी अभय का !

राहुल का लौड़ा सच में बहुत बड़ा था, मोटा भी था, हाँ मनोज जैसा नहीं था, लेकिन हो जाने वाला था।

मैंने सोचा कि आज ब्लू फिल्म की तरह सब करवाऊँ, आज मेरा दिल गांड मरवाने को भी बेताब था। इसी मकसद से मैंने दोनों को अपनी तरफ खींचा था।

"कैसी लगी नंगी भाभी?"

"साली, कुतिया ! तुमने तो रोज़ हमें मस्त किया है कपड़े बदलने के बहाने !"

"राहुल, तू बहुत कुत्ता-कमीना है, यह अभय कितना शर्मीला सा है ! तुमसे ज्यादा अभय मुझे पसंद है।"

मैं उनके सामने घोड़ी बन गई, चूतड़ हिलाने लगी, तभी अभय ने मेरे कूल्हों को सहलाया, चूमने लगा।

"हाँ मेरे लाल, चाट मेरी गांड कुत्ते की तरह !"

"दारु पीती हो?" राहुल बोला।

"पिला दे !"

"रुक !"

वो उठा, अपने लोयर की जेब से पव्वा निकाला, बोला- मार ले दो घूँट !

मैंने मुँह से लगाई, काफी सारी नीट ही पी ली, मेरे लिए वही बहुत थी, बाकी उसने पी ली।

"दोनों मेरे जिस्म को सूंघो, चूमो, चाटो ! हाय। बहुत मस्त हो तुम दोनों !"

अभय ने खुलकर मेरी गाण्ड चाटी, राहुल ने मेरे निप्पल लाल कर दिए, फ़ुद्दी चाटी।

"अभय, गांड मार मेरी !"

मैं घोड़ी बन गई, राहुल सामने आया और लौड़ा मेरे मुँह में दे दिया। अभय ने थूक लगाया और लौड़ा गाण्ड में पेल दिया, दर्द हुआ लेकिन मुझे बहुत मजा आया। उसने दबा कर मेरी गाण्ड मारी, अपना पानी मेरी गाण्ड को पिलाया। मैंने पहली बार गांड मरवाई थी।

राहुल ने कहा- चल कुतिया, लेट जा, टांगें उठा !

मैंने टाँगें फैला दी, उसने अपना नौ इंच का लौड़ा मेरे अन्दर घुसा दिया।

"हाय मेरे शेर ! राहुल, जोर जोर से पेल अपनी इस रंडी भाभी को !"

"कुतिया तू कहे तो तुझे रंडी बना देंगे ! बहुत लौड़े हैं तेरे लिए !"

अभय मेरे मम्मे चाटने लगा।

"लगता है अभय के बच्चे की प्यास बुझी !"

"जी नहीं !"

"ला इसको मुँह में घुसा दे, खड़ा कर दूँगी, फिर एक साथ दोनों मेरी लेना !""लोगे ना?"

"हाँ भाभी, आप कहो तो आपका हर छेद भर जाएगा !"

राहुल काफी मास्टर निकला, उधर उकसा उकसा मैंने उसका पानी निकलवा दिया दोनों हांफने लगे पर जल्दी दोनों दुबारा तैयार हो गए, दोनों ने एक साथ, मेरी गांड में अभय का, फ़ुद्दी में राहुल का, दोनों तरफ से मस्त कर दिया मिलकर !

मुझे ससुराल में प्यास बुझाने का साधन मिल गया, पति तो था ही नाकारा ! वो मेरे पास रात के सिवा कम ही आता, वो जानता था उसमें कुछ नहीं है।

सासू माँ मेरे पीछे पड़ गई कि पोता का मुँह दिखा !

पोते का मुँह कहाँ से दिखाती ! पति जानता था उसने कभी वहाँ तक पहुँचाया नहीं था जहाँ से मेरे पेट में उसका बीज रुके !

लेकिन अपने बेटे में दोष नहीं बोलती थी, दोष मेरे में है यह था उनका कहना !

राहुल और अभय के साथ करते समय मैं माला-डी का इस्तेमाल करती थी।

कहानी जारी रहेगी।

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