प्रेषक : अक्षय कुमार ओझा तो भाई लोगो, मैं अपनी कहानी बताने जा रहा हूँ कि कैसे हम चार दोस्तों ने अपने ही एक दोस्त की बीवी की प्यास बुझाई थी। हम पाँच दोस्त कोलकाता में रहते थे मोनू, रामरूप, पिंटू, सोनू और महावीर। सोनू की शादी तय हुई, लड़की का नाम शम्मो था। क्या माल थी यारो ! मेरी नजर तो बस उसकी तस्वीर देखते ही ख़राब हो गई थी। वो उसके बड़े बड़े मम्मे और पीछे से 38″ के चूतड़ ! भाई लोगो, चलती फिरती सेक्स की दुकान थी वो ! मैंने और महावीर ने तो सोच ही लिया कि कुछ भी हो, इसकी चूत तो फाड़नी ही है। शादी हो गई और हम सभी गए थे शादी में ! उधर शादी हो रही थी और मैं इधर शम्मो के नाम पर मुट्ठी मार रहा था। शादी के बाद सभी कोलकाता आ गए और सोनू ने अलग घर ले लिया। एक छोटा सा फ्लैट ही था। हम लोग अवसर खोज रहे थे कि एक बार हमारे दोस्त की रात की ड्यूटी हो गई और वो रात को काम पर जाने लगा। हमें एक सुनहरा अवसर मिल गया। एक दिन जैसे ही वो घर से निकला, मैं उसके घर पहुँच गया, घण्टी बजाई तो भाभी रात के कपड़ों में ही आ गई और मुझे देख कर अन्दर बुला लिया। मेरा लंड फड़कने लगा कि आज तो मस्ती हो सकती है। भाभी ने पूछा- बात क्या है? तो हमने बोला- सोनू से मिलने आये हैं। तो शम्मो बोली- वो तो ड्यूटी गए हैं। मैं बोला- चलो, फिर हम जा रहे हैं। तो भाभी ने बोला- अरे रुको, चाय तो पीते जाओ तुम लोग ! और हमें बैठा लिया, मेरी तो मन मुराद ही पूरी हो गई। भाभी रसोई में चली गई और पीछे पीछे मैं भी चला गया, बोला- भाभी, आपकी मदद करूँगा ! तो भाभी ने बोला- नहीं, मैं अकेले ही बना लूँगी। मैं बोला- नहीं, मैं आपकी हेल्प करूँगा। और इसी खींचा-तानी में उनके मम्मे मेरे सीने से टकरा गए, मेरे शरीर में करंट दौड़ गया। उनको भी अच्छा लगा और मेरा हाथ पकड़ने लगी और इसी चक्कर में मैंने उन्हें पकड़ लिया। मेरा लौड़ा तो पहले से ही तना हुआ था, अब उनकी समझ में आ गया था कि हम किस लिए आये हैं। बस मैंने पीछे से शम्मो को पकड़ा- भाभी, प्लीज, एक बार हमें भी अपना दीदार करा दो ! वो चुप रही, मैं समझ गया कि आज शम्मो भाभी की चूत फाड़ने का सुअवसर मिला है। बस उसके बाद हम बेडरूम में आये और मैंने खुद अपने हाथों से भाभी के कपड़े हटाये और अपना लौड़ा उनको थमा कर शम्मो के मम्मों के माप लेने लगा। कुछ देर बाद मैंने मम्मों पर अपनी जीभ लगा दी और भाभी लगी सिसकारने जैसे कि उन्होंने मिर्ची खा ली हो। फिर मेरा हाथ उनकी चूत पर गया, मैंने अपनी उंगली उनकी चूत में घुसा दी तो देखा कि चूत ने पानी छोड़ रखा है। मैंने अपनी जीभ वहाँ लगा कर पानी को चाटने लगा। अब भाभी तो जैसे पागल हो रही थी। इसी बीच घण्टी बजी दरवाजे की और हमारी योजना के मुताबिक महावीर भी आ गया। अब दो दो लंड भाभी के लिए तैयार थे। भाभी ने दोनों के लण्डों को पकड़ लिया और हाथ से सहलाने लगी। मैं तो चूत पर भिड़ा हुआ था, महावीर भाभी के मम्मे दबाने लगा। बस हमारा खेल शुरू ! मैंने अपना लंड भाभी के ओठों से लगा दिया। भाभी को लगा कि जैसे आइस क्रीम मिल गई, लगी अपना होंठ फेरने लौड़े पर और मेरा लौड़ा अपने विकराल रूप में आ गया।उधर महावीर भी पागल हो रहा था। अब मैंने भाभी को बेड से नीचे उतरने को बोला- भाभी जरा नीचे झुको ! यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं। और मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रखा और हल्का हल्का रगड़ने लगा। शम्मो भाभी बोलने लगी- फाड़ दो इस चूत को ! फिर मैंने एक जोर का झटका दिया और लगा हिलाने ! और उधर महावीर भाभी की गांड फाड़ने की तैयारी में लग गया, शम्मो एक साथ दो दो लंड खाने लगी। भाभी अब तो सिसकने लगी। इधर हमारी रफ़्तार बढ़ती ही जा रही थी, मैंने महावीर को बोला- तू अभी रुक जा ! मुझे अकेले ही फाड़ने दे ! महावीर बोला- ठीक है, मैं बाद में ही फाड़ लूँगा। उसके बाद मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटा कर उनकी टाँगें अपने कंधे पर रखी और लगा फाड़ने दे दनादन ! भाभी की आँखे बंद और हाथ अपने मम्मों पर थे। अचानक ही भाभी एकदम जोर से ऐंठने लगी और उनकी चूत से रस निकलने लगा और मैं भी अब झड़ने वाला था, मैंने अपना लण्ड निकाला और भाभी को बोला- जरा साफ करो इसे ! भाभी ने फिर से चाटा और मैंने इस बार अपने लंड को उनकी चूत में लगाया और फिर दे दनादन मारने लगा चूत को ! "फाड़ दो ! मेरी प्यास बुझा दो !" लगी बोलने भाभी। और तभी मैं झड़ गया। जैसे उनकी चूत में बाढ़ आ गई हो, उसके बाद महावीर का नम्बर आ गया, वो भी आकर भाभी की गलियों में तूफान मचा गया। उस रात भाभी ने हमें जाते समय हमारे लौड़े को एक एक चुम्बन दिया और बोली- आज मेरी प्यास बुझी है, आज अच्छी नींद आएगी। और बोली- आप लोग भी सो जाइये न मेरे साथ ! मैंने बोला- नहीं भाभी, सुबह तक या तो आप चलने के लायक नहीं रहेंगी, या तो हम लोग ! अब आप हमें माफ़ कीजिये। तो दोस्तो, कैसा लगा शम्मो भाभी की चुदाई का वाकया ! मुझे जरूर बताइयेगा आप लोग। अन्तर्वासना की कहानियाँ आप मोबाइल से पढ़ना चाहें तो एम.अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ सकते हैं।
