उस रात की यादें जो हमेशा जलती रहीं...!

एक सच्ची कहानी जो प्रेम, निष्ठा और विवाह के बंधन को दर्शाती है। एक प्रेमी और उसकी पत्नी के बीच की कहानी जो विवाह के बाद क्या होता है, यह जानने के लिए पढ़ें। यौन संबंध, प्रेम और विवाह के बंधन के बारे में एक रोमांटिक कहानी।

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प्रेषक : अक्षय राठौर स्नानगृह में जैसे ही नहाने को मैं निर्वस्त्र हुई, मेरे कानों को लगा सखी, दरवाज़े पे दस्तक कोई हुई, धक्-धक् करते दिल से मैंने, दरवाज़ा सखी री खोल दिया, उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया !! आते ही साजन ने मुझको, अपनी बाँहों में कैद किया, होठों को होठों में लेकर, उभारों को हाथों से मसल दिया, उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया !! फिर साजन ने सुन री ओ सखी, फव्वारा जल का खोल दिया, भीगे यौवन के अंग-अंग को, होठों की तुला में तौल दिया, उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया !! कंधे, स्तन, कमर, नितम्ब, कई तरह से पकड़े-छोड़े गए, गीले स्तन सख्त हाथों से, आटे की भांति गूंथे गए, जल से भीगे नितम्बों को, दांतों से काट-कचोट लिया, उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया !! मैं विस्मित सी सुन री ओ सखी, साजन के बाँहों में सिमटी रही साजन ने नख से शिख तक ही, होंठों से अति मुझे प्यार किया उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया !! चुम्बनों से मैं थी दहक गई, जल-क्रीड़ा से बहकी मैं, सखी बरबस झुककर मुँह से मैंने, साजन के अंग को दुलार किया, उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया !! चूमत-चूमत, चाटत-चाटत, साजन पंजे पर बैठ गए, मैं खड़ी रही साजन ने होंठ, नाभि के नीचे पहुँचाय दिए, उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया !! …और फिर सब बदल गया

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