मेरे प्रिय Xmyra के पाठको, कृपया मेरा अभिनन्दन स्वीकार कीजिये ! कुछ दिनों पहले Xmyra की एक पाठक युवती ने मुझे उसके जीवन में घटित एक घटना पर आधारित कुछ अनुच्छेद लिख कर भेजे थे। उन अनुच्छेदों को भेजते समय उस युवती ने मुझसे आग्रह किया था कि मैं उसके जीवन की उस घटना के लिखित विवरण को सम्पादित अथवा शुद्ध करके Xmyra पर प्रकाशित करवा दूँ! इस आग्रह के साथ उस अनजान युवती ने अपनी गोपनीयता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के कारण मुझे उसकी निजी जीवन के विवरण का खुलासा करने के लिए वर्जित भी किया इसलिए मैं उस युवती के द्वारा बताई गई घटना और उससे सम्बंधित सिर्फ उपयुक्त जानकारी, उसी युवती के द्वारा लिखे शब्दों में ही, आप सब के साथ नीचे साझा कर रही हूँ! प्रिय Xmyra के पाठको, नमस्कार! मेरे जीवन में घटित उस घटना से संबंधित मुख्य व्यक्तियों का साझा करने योग्य विवरण कुछ इस प्रकार है: लगभग पाच वर्ष पहले मुझे अपने घर से दूर एक छोटे से शहर में कॉलेज की पढ़ाई के लिए जाना पड़ा था! क्योंकि मैं एक निम्न मध्यम आय वर्ग के परिवार की हूँ, इसलिए मैंने छात्रावास में न रह कर, एक सहपाठी सखी के साथ मिल कर एक निजी घर में पेइंग-गेस्ट की तरह रहती थी! तीसरे शयनकक्ष में गृहस्वामी ने हम दोनों युवतियों को पेइंग-गेस्ट की तरह रखा हुआ था। उनका 23 वर्षीय बेटा और उसकी पत्नी पास के ही एक बड़े शहर में एक बहु-राष्ट्रीय कंपनी के कार्यरत थे, वे दोनों उसी बड़े शहर में रहते थे लेकिन माह में एक बार अपने माता–पिता से मिलने के लिए ज़रूर आते थे और उस दूसरे शयनकक्ष में ही रहते थे। मेरे जीवन की उस घटना वाली रात को जब ग्यारह बजने वाले थे तब मैंने अपनी किताबें बंद कर सोने की तैयारी की क्योंकि अगले दिन सुबह मुझे जल्दी उठना था। सोने से पहले जब मैं शौचालय में लघुशंका से मुक्त हो रही थी तब मुझे गृह-स्वामी वाले शयनकक्ष से कुछ आवाज़ें सुनाई दी तथा उनकी तरफ के दरवाज़े के नीचे से मध्यम रोशनी आती दिखाई दी। उन आवाजों को सुनने के लिए उत्सुकतावश मैं लघुशंका से मुक्त होने के बाबजूद भी अपनी सांस बंद किये शौचालय में ही बैठी रही। अन्दर से आने वाले वे स्वर उस शयनकक्ष में सो रहे गृहस्वामी और उनकी पत्नी के थे। मैंने कुछ देर और वहीं बैठकर उनकी आवाजों को ध्यान से सुना तब समझ में आया कि पति अपनी पत्नी से यौन संसर्ग करने के लिए कह रहे थे। पति और उनकी पत्नी बिल्कुल नग्न अवस्था में बिस्तर पर लेटे एक दूसरे के साथ यौन-संसर्ग से पूर्व की केलिक्रीड़ा में लीन थे। यह कहानी आप Xmyra डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! दस मिनट के बाद पत्नी ने बहुत ही जोर की आवाज़ करते हुए सिसकारी ली और अपनी टाँगें अकड़ा दी तथा अपने दोनों हाथों से पति के सिर को पकड़ कर अपनी योनि पर दबा दिया। लेकिन पति अपनी पत्नी की योनि को चाटते ही रहे और उन्होंने उस योनि रस के भी चाट कर योनि को बिल्कुल साफ़ कर दिया। अनायास ही मेरा हाथ मेरी पैंटी के अन्दर उस गुदगुदी को शांत करने के लिए मेरी योनि के पास पहुँच गया। वह गुदगुदी किस विधि से शांत होगी इसका ज्ञान मुझे चंद क्षणों के बाद मालूम हुआ जब मैंने अपनी योनि में उंगली करना शुरू कर दी थी। तब पति ने उठ कर अपनी पत्नी को सीधा कर के लिटाया और उसकी चौड़ी की हुई टांगों के बीच में बैठ गया। जब पत्नी ने पति को संसर्ग करने में देरी करते हुए देखा तब उसने अपने एक हाथ से उनका लिंग पकड़ कर अपनी योनि के मुख से लगा दिया और नीचे से उचक कर उनके लिंग मुंड को अपनी योनि के अन्दर प्रविष्ट करा दिया। तब उन्होंने भी दो-तीन धक्के देकर अपना पूर्ण लिंग को अपनी पत्नी की योनि में घुसा दिया। लिंग के योनि के अन्दर प्रवेश करते ही उनकी पत्नी के चेहरे पर आनन्द के भाव दिखने लगे और ऐसा लग रहा था कि उसकी कोई मुराद पूरी हो गई थी। इसके बाद पति ने थोड़ा ऊँचा होकर आहिस्ता आहिस्ता अपने धड़ को ऊपर नीचे हिलाते हुए अपने लिंग को पत्नी की योनि के अन्दर बाहर करते रहे। दस मिनट तक तीव्र संसर्ग करते हुए गृह-स्वामी की पत्नी ने ऊंचे स्वर में चिल्ला कर अपनी योनि में से रस के स्खलन का संकेत दिया और निढाल हो कर लेट गई! धक्कों के साथ वह दोनों अपने मुख से ऊँचे स्वर में सिसकारियाँ भी भरने लगे। उधर लिंग जैसे ही योनि रस में डुबकी लेता तभी योनि में से ‘फच’ की आवाज़ निकलती और वहाँ के वातावरण को अत्यंत उत्तेजक बना देती। पति और पत्नी के मुख से निकल रही सिसकारियाँ और योनि से हो रही ‘फच फच’ के मधुर संगीत के बीच उन दोनों का यौन संसर्ग उनके चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया। इस दृश्य को देख कर मैं भी अत्यधिक उत्तेजित होकर अपनी योनि में तीव्र गति से उंगली करने लगी। तभी अचानक दोनों पति पत्नी ने एक साथ जोर की सिसकारी भरते हुए चार पांच झटके दिए और फिर निढाल हो कर एक दूसरे से चिपक कर लेट गए। शायद मेरी सिसकारी उन दोनों ने भी सुन ली थी क्योंकि दोनों ने मुड़ कर शौचालय की ओर देखा और तत्काल उठ कर अपने आप को ढकते हुए शौचालय की ओर आये। मैं पकड़े जाने से बच तो गई थी लेकिन भय के मारे मेरा दिल बहुत ही जोर से ‘धक् धक्’ कर रहा था, साँसें बहुत तेज़ चल रही थी और मेरा पूरा शरीर कांप रहा था। तो प्रिय मित्रो, यह थी उस युवती के द्वारा भेजी गई, उसके जीवन में घटित एक घटना का विवरण !
मैं टी पी एल आप सबके मनोरंजन के लिए एक बेनाम युवती की रचना पेश कर रही हूँ!
मुझे दुख है कि मैं आपको अपने निजी जीवन के बारे में अँधेरे में ही रख कर अपने जीवन में घटी एक घटना का विवरण बता रही हूँ लेकिन मैं अपनी, अपने परिवार और अपनी कक्षा-सखी की गोपनीयता अथवा सुरक्षा को ले कर चिंतित एवं सजग होने के नाते ऐसा कर रही हूँ!
आशा करती हूँ कि आप सब मेरी इस चिंता और विवशता को समझेंगे और मेरे निजी जीवन के बारे में कुछ भी जानने के लिए प्रयत्न नहीं करेंगे !
उस घर में तीन शयनकक्ष थे जिनमें से एक तो गृहस्वामी और उनकी पत्नी के रहने के लिए था, दूसरा शयनकक्ष उनके इकलौते बेटे और उनके के परिवार के लिए था!
पहले और तीसरे शयनकक्ष के बीच में एक साझा स्नानगृह एवं शौचालय था जिसे वे पति पत्नी और हम दोनों युवतियाँ उपयोग में लाती थी!
उस साझा स्नानगृह एवं शौचालय में दो दरवाज़े थे जिन में से एक उनके कमरे में खुलता था और दूसरा हमारे कमरे में खुलता था।
गृ-स्वामी की आयु 46 वर्ष थी और नजदीक के बाजार में उनकी एक छोटी सी दुकान थी जिस में दैनिक आवश्यकताओं का सामान मिलता था तथा उसकी पत्नी एक गृहिणी थी जिसकी आयु 43 वर्ष थी।
फिर दो मिनट के बाद ही उनके कमरे में से सिसकारियों की आवाजें आनी शुरू हो गई, तब मैं समझ गई कि उनकी संसर्ग-क्रिया शुरू हो चुकी थी।
जिज्ञासावश जब मैंने उनके शयनकक्ष की ओर खुलने वाले दरवाज़े को हाथ लगाया तो उसे खुला पाया तब मैंने ओट में होकर उसे थोड़ा सा खोल दिया।
शयनकक्ष के अंदर नाईट लैंप की कम रोशनी होने के बाबजूद मुझे सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था।
उस समय दोनों 69 की स्तिथि में लेटे हुए में एक दूसरे के गुप्तांगों को चूस एवं चाट रहे थे और उत्तेजित होकर सिसकारियाँ भर रहे थे।
पति अपनी पत्नी की योनि को चाटने के साथ साथ उसके स्तनों तथा उन पर लगी गहरे भूरे रंग की मोटी मोटी चुचुकों को भी मसल रहे थे।
उधर उनकी पत्नी अपने पति के लिंग को चूसने के साथ साथ अपने हाथों से उनके अंडकोष को भी सहला रही थी।
इसके बाद पत्नी की योनि में से रस का स्खलन हो गया और वह निढाल हो कर लेट गई।
इसके बाद जब पति ने अपनी पत्नी की योनि के होंठों और भगान्कुर को चूसा एवं उसे अपनी जिह्वा से मसला तो वह फिर से उत्तेजित हो गई!
उसकी पत्नी के मुख से निकल रही सिसकारियाँ मुझे भी उत्तेजित करने लगी थी और मेरे शरीर में अजीब सी कंपकंपी तथा मेरी योनि में एक मधुर सी गुदगुदी होने लगी थी।
उधर कुछ ही समय में गृहस्वामी की पत्नी इतनी उत्तेजित हो गई कि उसने अपने पति से योनि को चूसना और चाटना बंद करके उसके साथ सम्भोग करने की याचना करने लगी।
फिर वे अपने लिंग को अपनी पत्नी की योनि के होंटों तथा भगान्कुर पर रगड़ने लगे जिससे उनकी पत्नी अत्याधिक उत्तेजित होकर तड़पने लगी और अपने पति से शीघ्र अति-शीघ्र संसर्ग करने की याचना करने लगी लेकिन पति ने अपनी पत्नी की याचना के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई।
लिंग मुंड के अन्दर जाते ही पति को योनि की गर्मी का एहसास हुआ और उनकी भी उतेएजना में वृद्धि हो गई।
कुछ क्षणों के लिए दोनों ने लिंग को योनि के अन्दर डाले हुए उसी मुद्रा में लेटे रहे और एक दूसरे को चुम्बनों का आदान प्रदान करके अपने प्रेम का प्रदर्शन करते रहे।
इस क्रिया को करते हुए उन्हें अभी पांच मिनट ही हुए थे कि पत्नी ने सिसकारियाँ लेनी शुरू कर दीं और पति को धक्कों की गति तेज करने को कहा।
पति द्वारा धक्कों की गति तीव्र करते ही उनकी पत्नी की सिसकारियों की ध्वनि-मात्रा भी तीव्र हो गई, वह ऊँचे स्वर में अपने पति को और भी तीव्रता से हिलने को उकसाने लगी तथा खुद भी नीचे से उचक उचक कर उनका साथ देने लगी।
लेकिन गृहस्वामी उसी गति से अपनी पत्नी के साथ सम्भोग की क्रिया ज़ारी रखी और अपनी पत्नी की उत्तेजना को फिर से जागृत कर दिया।
पत्नी की उत्तेजना जागृत होते ही वह अपने पति को पहले से भी अधिक जोश से प्रति-उत्तर देने लगी और उनके हर धक्के का उत्तर धक्के से ही देने लगी।
उस समय मेरी उत्तेजना भी अपनी चर्म-सीमा पर पहुँच जाती थी और मेरी उंगली करने की गति भी बढ़ जाती थी।
लेकिन मेरा ध्यान उनके संसर्ग पर अधिक केन्द्रित था इसलिए मेरी उंगली बीच बीच में रुक जाती थी और मेरी उत्तेजना कुछ देर के लिए क्षीण हो जाती थी।
उस समय पति अत्यंत गति से अपना लिंग पत्नी की योनि के अन्दर बाहर कर रहे थे और पत्नी उनका साथ देती हुई नीचे से ऐसे उछल रही थी जैसे आग में भुन रहे पॉपकॉर्न उछलते हैं !
उसी क्षण मेरे मुख से भी एक हल्की सी सिसकारी निकली और मेरी योनि ने भी रस की बौछार कर दी।
मैंने उन दोनों को जैसे ही उठते हुए देखा तो तुरंत उनके कक्ष की ओर का दरवाज़े को बंद करते हुए भाग कर अपने कमरे में चली आई और दरवाज़े को अन्दर की ओर से चिटकनी लगा दी।
कुछ क्षणों के बाद जब वह दोनों शौचालय से चले गए तब मुझे सुध आई, मैंने अपने आप को कक्ष के मध्य में, मेरी योनि द्वारा की गई रस की बौछार से भीगी, जांघें और टाँगें को चौड़ा किये खड़ा पाया।
मैं दोबारा शौचालय में जाने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाई और उसी अवस्था में अपने बिस्तर पर जाकर लेट गई!
मुझे आशा है की उसकी यह रचना आप सबको पसंद आई होगी।
