अनीता अपने ससुर की पक्की चेली बन गई। अब वह ससुर के खाने-पीने का भी काफी ध्यान रखती थी ताकि उसका फौलादी डंडा पहले की तरह ही मजबूत बना रहे, पति की नपुंसकता की अब उसे जरा भी फ़िक्र न थी। और अनीता समाज के सामने एक लम्बा घूंघट निकाले उसके पैर छूकर ससुर का आशीर्वाद लेती और रात में अपने सारे कपड़े उतार कर उसके आगे टांगें फ़ैला कर पसर जाती थी। अनीता से यौन-सम्बंध बनाने के बाद से वह पहले की अपेक्षा कुछ और अधिक जवान दिखने लगा था। अनीता ने कहा- राजा जी, मेरी छोटी बहन के ससुराल वालों ने पूरे पांच लाख रूपए की मांग की है। मेरे तीनों भाई मिलकर सिर्फ चार लाख रूपए ही जुटा पाए हैं। उन लोगों का कहना है कि अगर पूरे पैसों का प्रबन्ध नहीं हुआ तो वे लोग मेरी बहन सुनीता से सगाई तोड़ कर किसी दूसरी जगह अपने बेटे का ब्याह कर लेंगे। रामलाल कुछ सोचता हुआ बोला- उनकी माँ का खोपड़ा सालों की… तू चिन्ता मत कर, उनका मुँह बंद करना मुझे आता है। बस इतनी सी बात को लेकर परेशान है मेरी जान। यह कहानी आप Xmyra डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! रामलाल बोला- अपनी बहन को यहीं बुला ले मेरी रानी, मेरी जान ! हम भी तो देखें तेरी बहन कितनी खूबसूरत है। रामलाल के मुँह में पानी भर आया, उसकी बहन की इतनी सारी तारीफें सुनकर, वह आहें भरता हुआ बोला- हाय, हाय, हाय ! क्या मेरा दम ही निकाल कर छोड़ेगी मेरी जान, अब उसकी तारीफें करना बंद करके यह बता कि कब उसे बुला कर मेरी आँखों को ठंडक देगी। मेरा तो कलेजा ही मुँह को आ रहा है उसकी बातें सुन-सुन कर… रामलाल ने उसे पानी चढ़ाया बोला- फिर तू किस मर्ज़ की दवा है मेरी बालूशाही ! तेरे होते हुए भी अगर हमें तेरी बहन की कातिल जवानी चखने को न मिली तो कितने दुःख की बात होगी। हाँ, रूपए-पैसों की तू चिंता न करना। यह चाबी का गुच्छा तेरे हाथों में थमा दूँगा, जितना जी चाहे खर्च करना अपनी बहन की शादी में। तू तो इस घर की मालकिन है मालकिन ! रामलाल 500 बीघे का मालिक था। ट्रेक्टर-ट्राली, जीप, मोटर-साइकिल, नौकर-चाकर, एक बड़ी हवेली सब-कुछ तो उसके पास, क्या नहीं था? तिजोरी नोटों से भरी रहती थी उसकी। अगर कहीं कमी थी तो उसके बेटे के पास पुरुषत्व की। अनीता तो तब भी रानी होती और अब भी महारानियों की तरह राज कर रही थी रामलाल की धन-दौलत पर और साथ ही उसके दिल पर भी। अनीता ने रामलाल की बात पर कुछ देर तक सोचा और फिर बोली- हाय मेरे राजा… मैं कैसे राज़ी करूंगी उसे तुम्हारे साथ सोने को? रामलाल ने बहू की योनि में अब अपना समूचा लिंग घुसेड़ दिया और उसे धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करता हुआ बोला- मेरी बिल्लो, वह सीडी किस दिन काम आएगी। उसे दिखा कर पटा लेना। जब वह बाकें मर्दों, हब्शियों को नंगी औरतों की योनि फाड़ते हुए देखेगी तो उसकी भी पानी छोड़ने लगेगी। तू उसको पहले इतने नज़ारे दिखा डालना, फिर वह तो खुद ही अपनी बुर में उँगलियाँ घुसेड़ने लगेगी। अगर वह ना अपनी फड़वाने को राज़ी हो जाए तो मैं तेरा हमेशा के लिए गुलाम बन जाऊँगा। अनीता बोली- यह कौन सा बड़ा काम करोगे। गुलाम तो मेरे अब भी हो मेरे दिल के राजा ! मैं तो तुम पर अपना सब-कुछ लुटाये बैठी हूँ, अपनी लाज-शर्म, अपनी इज्जत-आबरू और अपना ईमान-धर्म तक। अब धीरे-धीरे मेरी फ़ुद्दी संग मजाक और खिलवाड़ मत करो, जरा जोरों के धक्के मार दो कस-कस के। इतने तेज धक्कों की चोट तो शायद ही कोई औरत बर्दाश्त कर पाती पर अनीता तो आनन्दित होकर ख़ुशी की किलकारियाँ भर रही थी- आह मेरे शेर… कितना मज़ा आ रहा है मुझे… बस ऐसे ही सारी रात मेरी दहकती भट्टी में अपना भुट्टा भूनते रहो। तुम्हारी कसम मैं अपनी बहन की जवानी का पूरा-पूरा मज़ा दिलवा कर रहूंगी… आह: ओह… सी ई ई ई ई ई…आज तो मेरी पूरी तरह से फाड़कर रख दो … भले ही कल तुम्हें मेरी चूत किसी मोची से ही क्यों न सिलवानी पड़े। रामलाल ने धक्कों की रफ़्तार पूरी गति पर छोड़ दी, दे दना दन …आज रामलाल ने तय कर लिया कि जब तक अनीता उससे रुकने को नहीं कहेगी, वह धक्के मारता ही रहेगा। करीबन तीस-चालीस मिनटों तक रामलाल ने थमने का नाम नहीं लिया। अंत में जब तक अनीता निचेष्ट होकर न पड़ गई रामलाल उसकी बजाता ही रहा। दूसरे ही दिन अनीता ने खबर भेज कर अपनी छोटी बहन सुनीता को अपने यहाँ बुलवा लिया। अनीता के मायके में तीन भाई और एक बहन थी उससे सिर्फ तीन साल छोटी। कुल मिलकर उसके मायके वालों की दशा कुछ ख़ास अच्छी न थी। उस पर सुनीता के ससुराल वालों का दहेज़ में पांच लाख रूपए की मांग करना, किन्तु रामलाल द्वारा उनकी मांग पूरी करने की बात सुनकर अनीता की सारी चिंता जाती रही। आज ही उसकी छोटी बहन उसके घर आई थी। ससुर रामलाल ने अनीता को अपने पास बुलाकर उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा- रानी समझ गई न तुझे क्या करना है, किसी प्रकार अपनी बहन को वह सीडी दिखा दे। तेरी कसम, जबसे उसके रूप को मैंने देखा है, तन-बदन में आग सी लगी हुई है। आज की रात अनमोल भी बाहर गया हुआ है, तुम दोनों बहनों की जवानी का रस खूब छक कर पिऊँगा, खूब जम कर मज़ा लूँगा रात भर जा, जाकर उसे वह सीडी दिखा… अनीता अपने कमरे में आई और उसे ब्लू-फिल्म दिखाने की कोई तरकीब सोचने लगी। दोपहर का खाना खाकर दोनों बहनें पलंग पर लेट कर बातें करने लगीं। सुनीता ने अनजान बनते हुए शरमाकर पूछा- क्या होता है दीदी, उस रात को? बताइये, मुझे कुछ नहीं मालूम। ‘अरी पगली, पति-पत्नी एक दूसरे को प्यार करते हैं। पति पत्नी के ओठों का चुम्मन लेता है, उसके ब्लाउज के हुक खोलता है और फिर उसकी ब्रा को उतार कर उसकी चूचियों का चुम्मन लेता है, उन्हें दबाता है। धीरे-धीरे पति अपना हाथ पत्नी के सारे शरीर पर फेरने लगता है, वह उसकी छातियों से धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी जाँघों पर ले जाता है और फिर उसकी दोनों जाँघों के बीच की जगह को अपनी ऊँगली डाल कर उसका स्पर्श करता है।’ ‘फिर क्या होता है दीदी, बताइये न, आप कहते-कहते रुक क्यों गईं?’ ‘दीदी, बताओ प्लीज, फिर पति क्या करता है पत्नी के साथ?’ कहानी जारी रहेगी।
रामलाल सबके सामने अनीता को बहू या बेटी कहकर पुकारता परन्तु एकांत में उसे मेरी रानी, मेरी बुलबुल आदि नामों से संबोधित करता था।
आजकल रामलाल अपनी बहू अनीता के साथ कामक्रीड़ा के लिये मौके ढूंढने में लगा रहता था।
अपने बेटे अनमोल को वह अक्सर विवाह-शादियों में भेजता रहता था ताकि वह अधिक से अधिक रातें अपनी पुत्र-वधू अनीता के साथ बिता सके।
एक बार बहू की योनि में अपनी उंगली डाल कर उसे इधर-उधर घुमाते हुए उसने पूछा- रानी, मैं देख रहा हूँ, कुछ दिनों से तुम किसी चिंता में डूबी हुई नज़र आ रही हो?
रामलाल ने एक साथ तीन उंगलियाँ बहू की योनि में घुसेड़ दीं। अनीता ने एक लम्बी से आह भरी।
ससुर की बात पर अनीता खुश हो गई, उसने रामलाल का लिंग अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाना शुरू कर दिया और उसके उसके अंडकोषों की गोलियों को घुमा-घुमा कर खेलने लगी।
‘मेरी बहन मुझसे सिर्फ तीन साल ही छोटी है। देखने में बहुत गोरी-चिट्टी, तीखे नयन नक्श, पतली कमर, सुडौल कूल्हे, साथ-साथ उसके सीने का उभार भी बड़े गज़ब का है।’
अनीता बोली- देखो जानू, बुला तो मैं लूंगी ही उसे मगर उस पर अपनी नीयत मत खराब कर बैठना। वह पढ़ी-लिखी लड़की है, अभी-अभी बीए पास किया है उसने। आपके झांसे में नहीं फंसने वाली वो !
रामलाल ने अपने लिंग में तेजी लानी शुरू कर दी, उस पर मानो मर्दानगी का भूत सवार हो गया था।
माता-पिता उसके बचपन में ही मर चुके थे, सभी भाई-बहनों को बड़े भाई ने ही पाला था। अनीता के दो भाई विवाहित थे और सबसे छोटा भाई अभी अविवाहित था, वह हाल में ही नौकरी पर लगा था।
बातों ही बातों में अनीता ने उसके ब्याह का ज़िक्र छेड़ दिया। इसी दौरान अनीता ने सुनीता से पूछा- सुनीता, तुझे सुहागरात के बारे में कुछ नालेज है कि उस रात पति-पत्नी के बीच क्या होता है? फिर न कहना कि मुझे इस बारे में किसी ने कुछ बताया ही नहीं था।
अनीता बोली- पगली, इस रात को पति-पत्नी का शारीरिक मिलन होता है।
‘कैसे दीदी, जरा खुल के बताओ न, कैसा मिलन?’
‘कुछ नहीं, मैं भी तुझे कैसे बातें बताने लगी। ये सारी बातें तो तुझे खुद भी आनी चाहिए, अब तू बच्ची तो नहीं रही।’ अनीता ने नकली झुंझलाहट का प्रदर्शन किया।
‘उसे पूरी तरह से नंगी कर देता है और फिर खुद भी नंगा हो जाता है। दोनों काफी देर तक एक दूसरे के अंगों को छूते हैं, उन्हें सहलाते हैं और अंत में पति अपनी पत्नी की योनि में अपना लिंग डालने की कोशिश करता है। जब उसका लिंग आधे के करीब योनि के अन्दर घुस जाता है तो पत्नी की योनि की झिल्ली फट जाती है और उसे बड़ा दर्द होता है, योनि से कुछ खून भी निकलता है। कोई-कोई पत्नी तो दर्द के मारे चीखने तक लगती है। परन्तु पति अपनी मस्ती में भर कर अपना शेष लिंग भी पत्नी की योनि में घुसेड़ ही देता है।’ ‘फिर क्या होता है दीदी?’
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