सुनीता और अजय दोनों भाई-बहन अपनी दीदी अनीता के यहाँ आ गये थे। अनीता ने भाई बहन की खूब खातिरदारी की। सुनीता बोली- दीदी, जीजू कैसे हैं? उनमे कोई बदलाव आया है क्या? अनीता जीजू के नाम पर झुझलाकर बोली- अब उनमें कोई बदलाव नहीं आने वाला। एक दिन तो उन्होंने साफ़-साफ़ कह दिया कि अगर रहना है तो रह मेरे पास वर्ना किसे से भी अपने यौन-सम्बन्ध बना ले, मुझे कोई एतराज नहीं। अब तुझे मैं उनके बारे में क्या खाक बताऊँ? अनीता ने पूछा- तू बता इतनी जल्दी कैसे वापस आ गई? क्या मौसा जी की याद खींच लाई। सुनीता ने सर हिलाकर हामी भरी और बोली- दीदी, तुमने वह सीडी दिखाकर मेरे तन-बदन में जो आग लगाई है न, वो अब बुझाये नहीं बुझ रही है। मन में आया कि चलकर मौसा जी से ही मज़े लिए जाएँ। वैसे दीदी बुरा न मानना, मैंने अजय भैया को भी अपनी दे डाली है। क्या करती, हम-दोनों खिड़की की ओट से बड़े भैया और मझली भाभी की ब्लू-फिल्म देख रहे थे कि अजय भैया ने मेरी चूचियाँ सहलानी शुरू कर दी और मैं उनके बढ़ते हुए हाथों को कतई रोक न पाई। हम लोग कमरे में आ गए और उन्होंने मेरी सलवार उतार कर मेरी चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। मैंने तो फिर उनके आगे हथियार डाल दिए और अपने को उनके हाल पर छोड़ दिया। फिर क्या था, उन्होंने मेरी ब्रा खोली और खूब जमकर उन्होंने मेरी चूचियों को रगड़ा, चूसा और सहलाया। मुझे विरोध न करते देख उनकी हिम्मत इतनी बढ़ गई कि उन्होंने मेरी सलवार भी उतार फैंकी और खुद भी नंगे होकर मुझ पर चढ़ गए और फिर उन्होंने मेरी चूत पर अपना मोटा लंड टिकाकर मुझे जोरों से चोदना शुरू कर दिया। सारी रात उन्होंने मेरी ली। मेरा भी मन नहीं भर रहा था इसलिए मेरे कहने पर उन्होंने मेरी बुर चार-पांच बार चोदी। फिर मैं उन्हें पटाकर तुमसे मिलने का बहाना बना कर अजय भैया को यहाँ ले आई। सुनीता की जुबानी सारी सच्चाई सुनकर अनीता ने पूछा- कहीं अजय अब मेरी तो नहीं लेगा। देख सुनीता, तूने तो मेरे इतना मना करने के बावजूद भी उससे अपनी चुदवा ली, पर याद रखना मैं ऐसा हरगिज़ नहीं करवा सकती। चाहे वह बुरा माने या भला। बहरहाल मुझे किसी कीमत पर उसे अपनी नहीं देनी है। सुनीता बोली- दीदी, यह तुम्हारी अपनी मर्ज़ी है। पर एक बात तो है कि मैं मौसा जी से आज रात जरूर चुदवाऊँगी। ‘देख अजय के लंड की इतनी तारीफें कर-करके मेरे मुँह में पानी मत भरवा। तू कितनी ही कोशिश कर मैं खूंटे पर रख कर फाड़ दूँगी अपनी परन्तु अजय को नहीं दूँगी।’ सुनीता की बात पर अनीता अजय की वारे में बहुत देर तक सोचती रही। वह सोच रही थी की जब सुनीता उसके लंड की इतनी तारीफ़ कर रही है तो उसका स्वाद भी चख लिया जाए। जब मैं पिता समान ससुर से चुदवा सकती हूँ तो वह तो फिर भी मेरा भाई ही है। उसे तो तब पता चला जब रामलाल दुकान से समान लेकर भी लौट आया और उसने ढेरों बातें सुनीता से भी कर डालीं। अनीता ने पास आकर रामलाल से कहा- जानू आज मेरा छोटा भाई आया है। उसके सामने अपनी पोल न खुल जाए इसलिए सुनीता मौका पाकर तुम्हारे कमरे में खुद ही आ जायेगी, ज्यादा द्वन्द मत काटना। खूब लेना मज़े लेकिन सुनीता के साथ। मुझे बिल्कुल भी आवाज न देना। रामलाल एक समझदार ससुर की भांति बहू की बात मान गया। खाना खाकर सब लोग अपने-अपने कमरे में चले गए। अनीता और अजय अपने-अपने बिस्तर पर लेटे नीद आने का इन्तजार कर रहे थे। अनीता के मन में धक्-धक् हो रही थी कि कहीं अजय उसके साथ कुछ करने लगे तो उसे कैसे रोकेगी वह। सुनीता की तो ले ही चुका है, अब उसका अगला निशाना कहीं वह न हो। इसी बीच अजय ने अनीता को आवाज दी- दीदी, क्या सो गईं? अनीता कुछ न बोली और अजय उसकी मौन स्वीकृति को भांप कर अनीता के सिरहाने जा बैठा और हलके-हलके उसका सर दबाने लगा। अजय के हाथ अनीता के सर पर इस प्रकार से फिर रहे थे कि उसे स्वयं भी अच्छा लगने लगा था। अनीता ने सोने का अभिनय करते हुए खर्राटे भरने शुरू कर दिए थे। अजय ने अवसर पाकर उसके कन्धों से नीचे की ओर अपने हाथ फिसलाने शुरू कर दिए और उसकी चूचियों को भी हल्के से सहलाना आरम्भ कर दिया। अजय को उससे अनीता के सारे बदन को टटोलने में काफी सुविधा हो गई, वह अपने हाथ धीरे-धीरे फिसलाता हुआ उसकी जाँघों तक ले आया। अनीता ने मस्ती में आकर अपना एक हाथ अजय के लिंग को टटोल कर उसे पकड़ लिया और बोली- अजय, तू मुझसे कितना छोटा है, तुझे चोदने को सिर्फ मैं ही मिली थी। ऐसा कहकर अजय ने अपनी उंगलियों से अनीता की चूत सहलानी शुरू कर दी और दोनों छातियों को कस-कस कर दबाने और चूसने लगा। और फिर अजय ने एक ही धक्के में अनिता की चूत में अपना पूरा लंड घुसेड़ दिया। ‘देख अजय, मैं कब से अपने ससुर से चुदवा रही हूँ। अनीता ने सिर्फ एक सप्ताह ही अपने मौसा जी से चुदवाई है। उसकी मुझसे ज्यादा चुस्त तो होगी ही। अच्छा, अब देर मत कर, मेरी चूत को जितनी तेजी से फाड़ सके, फाड़ डाल इसे।’ अनीता चूतड़ उछाल-उछाल कर अजय के लंड को अन्दर ले जाने का भरसक प्रयास कर रही थी। और अंत में दोनों ही एक साथ झड़ गए। सुबह सुनीता ने आकर दोनों के ऊपर से कम्बल उठाया तो दोनों को नंगा लिपटे देखकर खिलखिलाकर हंस पड़ी तो उनकी नींद टूटी। अनीता की बात बन आई, वह बोली- क्यों दीदी, याद है तुमने क्या कहा था कि ‘खूंटे पे रखकर फाड़ दूँगी पर भाई को नहीं दूँगी।’ ‘दीदी…’ सुनीता बोली- अब तो मैं अजय भैया से रोज रात को चुदवा सकती हूँ? सच बताओ तुम्हें भैया का लंड कैसा लगा। शेष आगामी भाग में..
सुनीता ने पूछा- दीदी, कहीं मौसा जी दिखाई नहीं पड़ रहे हैं?
अनीता ने मुस्कुराते हुए पूछा- क्या बात है सुनीता, मौसा जी को देखे बिना चैन नहीं पड़ रहा? ठीक है, अभी दुकान तक ही गए हैं, आते ही होंगे।
अनीता ने पूछा- अच्छा सुनीता एक बात बता, अजय का लिंग भी तेरे मौसा जी के लिंग के बराबर ही है?
सुनीता बोली- दीदी, है तो करीबन उतना ही लम्बा और मोटा किन्तु सख्त बहुत है। सच मानना दीदी, तीन दिन तक तो मेरी बुर सूजी रही थी। पूरे एक घंटे तक ली थी भैया ने मेरी। आह: दीदी, सच पूछो तो अजय भैया का लंड भी न, बड़ा ही मज़े देता है। मेरी बात मानकर अपनी चूत में एक बार उनका लंड ले जाकर तो देखो, अगर न अपने तन की सुध-बुध भूल जाओ तो कहना।
सुनीता बोली- जैसा तुम ठीक समझो दीदी, मैं तो रात में अपने बिस्तर से उठ कर मौसा जी के कमरे में चली जाऊंगी। आज रात तुम्हारे कमरे में अजय भैया और तुम ही सोओगी सिर्फ।
इसी उधेड़-बुन में कब रात हो गई।
अजय ने पूछा- मौसा जी, जीजू कहाँ गए हैं?
रामलाल ने बताया कि आज उसे अनाज लेकर अनाज मंडी भेजा है। अजय की तो मन की बात हो गई। उसके दिल में अन्दर ही अन्दर लड्डू फूटने लगे थे, अब वह आसानी से दीदी की चूत ले सकेगा।
रात के करीब 11 बजे का वक्त होगा, सुनीता चुपचाप अनीता के पास से उठकर रामलाल के कमरे में जा घुसी।
अनीता ने कहा- नहीं तो, क्या बात है?
अजय बोला, दीदी, तुम्हें भी नीद नहीं आ रही क्या?
अनीता बोली- ऐसी बात नहीं, पर मेरे सिर में कुछ दर्द सा है, इसी लिए नीद नहीं आ रही है। अजय बोला- दीदी आपका सिर दबा दूं? मेरे हाथों में जादू है। हल्के हाथ से दबाने पर ही सर दर्द गायब हो जाएगा।
‘दीदी, कन्धों में भी दर्द हो रहा है न !’ ऐसा कहकर उसने अनीता की हाँ, ना का इंतजार न करते हुए उसके कन्धों पर भी धीरे-धीरे हाथ फिराने शुरू कर दिए थे।
अनीता तो जगी ही पड़ी थी किन्तु फिर भी वह अनजान बनी चुपचाप लेटी रही।
उसने नीद में होने का अभिनय करते हुए अपने बदन को बिल्कुल सीधा कर दिया।
धीरे से उसने अनीता की साड़ी उठाकर उसके पेट पर रख दी और उसकी चिकनी मासल जाँघों पर हाथ फिराने लगा।
अनीता के मुँह से एक हल्की सी सिसकारी फूटी जिसका अजय ने तुरंत लाभ उठाकर अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसेड़ कर उसे अन्दर-बाहर करने लगा।
अजय बोला- नहीं दीदी, आपसे पहले मैं सुनीता को भी चोद चुका हूँ चुदवाते वक्त सुनीता ने मुझे सब-कुछ बता दिया कि सबसे पहले उसने तुम्हारे ससुर से अपनी चूत फटवाई है। उसने यह भी बताया क़ि जीजू तो नामर्द हैं। इसी लिए दीदी भी अपने ससुर से अपनी आग शांत करवाती हैं। अब दीदी, एक बात बताओ, अगर तुम्हारा छोटा भाई भी बहती गंगा में हाथ धो लेगा तो तुम्हारा क्या बिगड़ जाएगा।
अनीता के बदन के सारे तार झनझना उठे। उसने कस कर अजय को अपनी बांहों में जकड़ लिया और बोली- अच्छा चल तू भी ले ले मेरी, डाल दे अपना पूरा लंड मेरी चूत में। पर तुझे मेरी कसम, इस बात का ज़िक्र किसी से भूल कर भी न करना।
अजय बोला- दीदी, क्या मैं पागल हूँ जो किसी से ऐसी बातें कहूँगा। लोग मुझे ‘बहनचोद’ कहकर नहीं पुकारेंगे।
‘तो ठीक है, आ जा सारे कपड़े उतार कर मेरे ऊपर।’
अजय बोला- दीदी, आपको तो जरा भी दर्द नहीं हुआ और मेरा समूचा लंड तुम्हारी बुर में समा गया। सुनीता ने कुछ दर्द महसूस तो किया था।
अजय ने एक जोरदार धक्का फिर अनीता की चूत में दे मारा और अनीता ख़ुशी से उछल पड़ी और उसकी सिसकारियाँ उस बड़े कमरे में गूंजने लगीं ‘…आह: अजय…मेरे भाई… आज पूरी ताकत से मेरी बुर को फाड़ डाल मेरे भैया, अगर तूने मुझे खुश कर दिया तो फिर तेरे लिए अपनी चूत के द्वार हमेशा-हमेशा के लिए खोल दूँगी …आज मेरी चूत का चित्तोड़-गढ़ बना डाल। तेरा जीजू तो न मर्द है साला ….’
काफी देर तक दोनों एक दूसरे से नंगे बदन लिपटे रहे।
अनीता झेंप सी गई और बोली- चुप हरामजादी, तूने ही तो इसके लंड की तारीफों के पुल बाँध कर मुझे इससे चुदने को मजबूर कर दिया।
अनीता मुस्कुरा भर दी। अगले दिन सुनीता और अजय ने विदा ली और अपने घर की ओर चल पड़े।
रास्ते भर दोनों लोग अपने अगले प्लान के बारे में सोचते रहे। अंत में उन्होंने तय किया कि वह किस प्रकार अपने बड़े भैया जो मंझली भाभी को चोदते हैं, को ब्लैकमेल करके पहले उनसे खुद चुदवायेगी और फिर वह मंझली भाभी को डरा-धमका कर अजय भैया से चुदवाने को मजबूर कर देगी।
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