मेरे एक दोस्त की कहानी उसी की जुबानी: यह कहानी मेरे ससुराल की है, जहाँ एक रात मैंने उस गाँव देहात में छत पर चाँदनी रात में रसीली चटपटी चूत का आनन्द लिया। मैं ससुराल अक्सर आता जाता रहता हूँ क्योंकि मेरे साले रितेश की बीवी अत्यंत खूबसूरत और दिल-चोर हसीना है। ऐसी सलहज मीनाक्षी को चोदने के लिए कौन नहीं दीवाना हो जाएगा। दोनों पति पत्नी भी छत पर ही बने एक कमरे में सो गये थे। मैंने अपनी आँखें मूंद लीं, रात को वो बेधड़क पेटीकोट उठा कर मूतने जा रही थी, उसकी चिकनी कदलीतरु सरीखी जंघाएँ व संकीर्ण कटि प्रदेश देख कर मेरा लौड़ा एकदम उन्नत हो रहा था कि उसने पेटीकोट पूरा उपर उठा दिया। उफ्फ !! बिना बालों वाली हसीन चूत देख कर मेरा जी ललचा गया, वो मेरे जगने से बेखबर मेरी तरफ अपने खूबसूरत विशाल कूल्हे करके मूत रही थी। यह कहानी आप Xmyra डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! इससे पहले कि वो चिल्लाती मैंने अपने होंठ उसके होंटों में सटा के चुम्बन करना शुरू कर दिया। मैंने उसे अपनी खाट पर लाकर लिटा दिया, उसका पेटीकोट उलट गया था और भीगी चूत मेरे सामने थी। ‘वह आह्ह्ह ! जीजा जी ! प्लीज ऐसा ना करिये !’ कह कर अपनी गर्दन आनन्द के मारे दायें बाएं कर रही थी और बदन ऐंठ रही थी। मैंने अपनी मुखमैथुन क्रिया जारी रखी। उसका गुप्तांग मारे पानी पानी के लबालब किसी प्याले की तरह भर चुका था और मैं प्याले का रस किसी आदी शराबी की तरह पी रहा था। उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और थोड़ी देर के लिए शिथिल पड़ गई पर मुझे चैन कहाँ था, मैंने अपना लंड जो कि फूल कर लौकी की तरह हो चुका था, उसके मुख में दे दिया। वो आराम से किसी लाइमचूस की तरह चूसती रही और मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा। मैंने मीनाक्षी की गाण्ड की सेवा पहले लेने की सोची, चूंकि कुँवारी इंडियन गाण्ड भी काम जीवन को परम सुख देती है। मैंने कठोर मोटे लंड का सुपारा उसकी गाण्ड के नन्हे संकीर्ण छेद पर रख कर उसकी दोनों चूचियाँ मसलनी शुरु कीं, जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को जोर से मसला, वो छटपटाई और कराही, उसी दौरान एक तेज धक्के ने लंड के मोटे सुपाड़े को गाण्ड की गहराई में पहुँचा दिया। मैंने अपने होंटों से उसके होटों को बंद कर दिया था। अब मैं उसकी योनि की थाह लेने को तैयार था, उसे इतना मोटा लंड कभी नसीब न हुआ था और वो आनन्द की पूर्वानुभूति में अपनी आँखें बंद करके अपने को समर्पित कर चुकी थी। मैंने उसकी गाण्ड तले तकिया रख चूत को पोजिशन में लिया और ऊपर आकर मिशनरी स्टाइल में उसके जांघों के बीचोंबीच लण्ड को रास्ता दिखाया। मैंने हल्के हल्के उसकी चूत में लंड को उतारना शुरु किया और वो कराहते हुए अपने गर्दन को ऐंठने लगी, मानो कोई उसे चीर रहा हो बीचो बीच। मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया और उसके चूचे पकड़ कर मसलते हुए नीचे से पचाक पचाक पचाक धचाक उसकी चूत में झटके मारने शुरु किये, वह खुद ही कमर लचका लचका कर मुझे चोद रही थी। उसने मुझे गहरे चुम्बन देते हुए चोदा और आखिर मैं स्खलित हो ही गया क्योंकि उसने अपनी स्पीड लगातार बेतहाशा बढ़ा दी थी। उसने अपनी वीर्य से भरी लबालब चूत से जिसमें कि उसका खुद का भी कामरस मिला हुआ था, मेरा लण्ड निकाल कर मेरे मुँह पर रख दी। उस पूरी रात सुबह तक मैंने कइ बार चाँदनी रात में चूत विहार किया।
मेरा नाम प्रशान्त है और मैं आप लोगों को यह अनुभव अपने शब्दों में पात्रों के नामों में कुछ फेर बदल के साथ सुना रहा हूँ जिससे किसी की गोपनीयता भंग न हो और आपकी छुपी Xmyra जाग उठे।
ऊपर वाले ने उसे फुर्सत से दिलों का कत्ल करने के लिए बनाया है, उसके आकर्षक, गठीले पर मुलायम छत्तीस इंच के चूतड़ों का प्लेटफार्म जिन्हें मटकते देख कर लंड से पानी अपने आप निकलने लगता है, उसकी छ्त्तीस की ही चूचियाँ, जिनको हिलते देख कर कच्छे की पूरी कायनात हिल जाती है और जिसकी अठ्ठाइस की कंटीली कमर देख दीवाने हो जाते हैं हर उम्र के लोग।
तो उस दिन मैं शाम को फिर से इस शादीशुदा पर हुस्न की मलिका, चूत की रानी को चोदने की आस में ससुराल गया।
सच तो यह है कि उसका पति रितेश भी करियाने की दुकान पर दिन भर नून-तेल बेचता, एकदम कछुए जैसा मोटा और भोंदू हो गया है, शादी के तीन साल बाद तक उसे कोई बच्चा नहीं हुआ और होता भी कैसे, दुकान से आकर वो जवानी का ताला खोलता ही नहीं, थक कर सो जाता है और खर्राटे लेने लगता है।
उस रात पूर्णिमा की चाँदनी थी और मेरा बिस्तर छत पर ही लगाया था मीनाक्षी ने।
मुझे नींद नहीं आ रही थी और मैं बस उपर वाले से सही मौके पर चूत देने की दुआ कर रहा था कि मीनाक्षी मुझे पेटीकोट और ब्लाउज में कमरे से बाहर निकल के पेशाब करने के लिए आती दिखाई दी।
मूतने से ‘शर्र शर्र’ सीटी की आवाज सी मेरे कानों में टकरा रही थी और लंड को चौकन्ना कर रही थी।
यह सब मेरी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, मैं दबे पांव उठा और जाकर उसे मूतते हुए ही दबोच लिया। वो आधा ही मूत पाई थी कि मैंने उसे पीछे से पकड़ कर बैठे हुए मुद्रा में ही गोद में उठा लिया और वो अपना पेशाब ना रोक पाई, मेरे ऊपर मूतती मुझे भिगोती चली गई।
वो आश्चर्यचकित भयभीत और आनन्दमयी हो गयी थी, ऐसी कल्पना शायद उसने की नहीं थी।
मैंने पेशाब लगा होने की परवाह न की और उसके जांघों के बीच घुस गया, अपनी जीभ से उसके जांघों के बीच चूत के होटों में मुँह लगाकर जीभ ऊपर नीचे करते हुए मैंने उसके दोनों चूचे पकड़ लिए।
हम दोनों ही वासना के नशे में बह रहे थे और वो पांच मिनट के गहन मुखमैथुन क्रिया के बाद मेरे मुख में स्खलित होकर निढाल पड़ गई।
इतना सुखद अनुभव उसकी काम जीवन में शायद ही कभी हुआ हो।
अब मैंने दो उंगलियाँ निकाल कर बड़ी वाली उसकी गाण्ड में और तर्जनी उंगली उसकी चूत में करनी शुरु कर दी।
सच तो यह है कि इस तरह से चूत से निकले कामरस से गाण्ड में भी चिकनाई आ गई थी।
मैंने उसकी टांगें पकड़ कर खटिया के किनारे खींच लिया, अब उसकी गांड खटिया के सहारे थी और दोनों पैर मेरे कंधे पर !
चुम्बन करते हुए और स्तन मर्दन करते हुए मैंने उसकी गाण्ड की गहराई में उतरना जारी रखा और फिर पूरे जोश से गाण्ड को पंद्रह मिनट तक चोदा।
जब मुझे लगा कि मैं अब उसकी गांड में ही स्खलित हो जाऊँगा तो मैंने लंड को बाहर खींच थोड़ी देर के लिए उसके मुह में दे दिया। उसने फिर उसे किसी लॉलीपॉप की तरह चूषण करने में जरा भी हिचक ना दिखाई।
चमकती चाँदनी में चाँद सा हुस्न और जवान हसीना को चोदने के अनुभूति में मेरा बदन का रोम रोम खड़ा था।
बीस मिनट तक मैं उसे चोदता रहा इस तरीके से और वो कराहती रही पर धीरे धीरे उसकी सहभागिता बढ़ती चली गई और उसने अपने नितम्ब ऊपर नीचे करके ताल-लय में चुदाई करवानी शुरु कर दी।
मैं उसे पी गया और फिर एक नई ताजगी प्राप्त की।
