प्रेषिका : नितिका सिंह दोस्तो ! मैं अन्तर्वासना की पिछले कुछ समय से नियमित पाठिका हूँ, मैंने देखा कि बहुत से दोस्त और सहेलियां अपना-अपना अनुभव यहाँ बताते हैं तो मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी अपना अनुभव आपको बता कर आपका मनोरंजन करूँ ! दोस्तों यह बात उस समय की है जब मैं केवल १८ साल की थी, आज से २० साल पहले सन् १९८८ की ! मेरे घर में मेरे एक अंकल जिन्हें मैं चाचू कहती थी (वो मेरे दूर के रिश्ते में चाचा थे, उनकी उम्र ३३-३४ साल थी) जो काफी समय से आते थे, जो अक्सर मुझे अपनी गोद में लेने की कोशिश किया करते थे (मैं बाद में समझी कि वो ऐसा क्यों करते थे) उस दिन मैं एक पार्टी में थी मेरे अंकल के यहाँ। उस दिन वो मुझे बड़े अजीब से देख रहे थे, जनवरी का महीना था और मैं जींस शर्ट पहने थी, जो मम्मी ने मुझे पहली बार पहनने दिए थे और जैकेट था। मुझे कुछ ठण्ड सी लग रही थी, मुझे छींक आई तो अंकल ने देखा तो बोले- नीतू बेटे ! तुझे ठण्ड लग रही होगी ! चल अन्दर चलते हैं, नहीं तो तुझे ज्यादा ठण्ड लग जायेगी तो तू बीमार हो जायेगी ! मैं बोली- नहीं चाचू ! ठीक है ! वो बोले- नहीं ! तू चल ! उसके बाद वो मुझे अपने कमरे में ले आये और रजाई में लिटा दिया और खुद भी बगल में लेट गए और बोले- मुझे भी बहुत ठण्ड लग रही है ! उसके बाद चाचू ने टीवी चला दिया, मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन मैं कुछ बोली नहीं। २-३ मिनट बाद बोले- नीतू, तू एक काम करेगी ! बहुत मजा आएगा ! मैं बोली- क्या? तो उनकी आँखों में चमक आ गई और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और बोले- इसे रगड़ती रह ! तुझे गर्मी मिलेगी। मैं कुछ शरमाई लेकिन वो बोलने लगे- बहुत मजा आता है, तू एक बार कर ! फिर मैं शरमाते हुए (मेरे भी मन में कुछ उत्सुकता थी) लण्ड हिलाने लगी, वो मुस्कराने लगे। फिर तकिये के नीचे से एक किताब जिसमें सब ब्लू फिल्म वाली तस्वीरें थी निकाल कर दिखाने लगे, थोड़ी देर लण्ड हिलाने से उनका लण्ड गीला सा हो गया, कुछ चिपचिपा सा निकलने लगा और मेरी उँगलियाँ गीली हो गईं। वो बोले- तू रुक जा ! और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर मुझे चूमने लगे और एक हाथ से मेरी बेल्ट और जींस खोलकर हाथ अन्दर डाल कर मेरी योनि के पास सहलाने लगे। मैं बहुत सकुचाई और बोली- चाचू ये सब ठीक नहीं लग रहा ! (हालाँकि मुझे भी मन ही मन अच्छा लग रहा था) वो बोले- अब तू बड़ी हो गई है, बच्चों की तरह बात मत कर ! और मेरी चूत रगड़ने में लगे रहे। खैर थोड़ी देर बाद मेरी योनि से भी थोड़ा सा पानी आया तो वो मुस्करा दिए और हल्के-हल्के से हाथ चलाने लगे। मेरे मुंह से आह सी निकली तो उन्होंने दुबारा मेरे होटों पर अपने होंठ रख दिए और होंठ चूसते हुए मेरी चूत में ऊँगली डाल कर हिलाते रहे। उसके बाद वो उठे और टीवी में एक वीडियो-कैसेट-प्लेयर जोड़ कर एक ब्लू फिल्म लगा दी, जो थोड़ा फँस फँस कर चल रही थी। मुझे भी कुछ रोमांच महसूस होने लगा। फिर उन्होंने रोशनी बंद कर दी, मेरी जींस उतार दी, चड्डी (जो थोड़ी गीली थी) भी उतार दी और अपनी भी पैंट और चड्डी उतार दी। चाचू ने मेरी दोनों टांगें फैला दी और अपनी जाँघों पर रख कर हवा में ऊपर उठा दिया। फिर अपने लण्ड में सरसों का तेल लगाया और मेरी योनि के होंठों पर रख दिया और हलके से धक्का लगाया। मैं चीख पड़ी, वो थोड़ा डरते हुए रुक गए और मेरी जैकेट और शर्ट के बटन खोलते हुए मेरे स्तनों (जो कि उस समय बहुत छोटे थे) को दबाने लगे और मेरे होंठ चूसने लगे, २-३ मिनट बाद फिर से जोर से धक्का मारा तो लगभग आधा लण्ड अन्दर चला गया और मैं जोर से चिल्लाई तो वो वहीं रुक गए और फिर से मेरे होंठ चूसने लगे। ३-४ मिनट बाद जब मैं कुछ सामान्य हुई तो उन्होंने फिर जोर से धक्का मारा और पूरा लण्ड अन्दर चला गया, मैं जोर जोर से चीखने लगी और वो डर कर वहीं रुक कर मेरे लबों पर किस करने लगे, ३-४ मिनट बाद जब मेरे चेहरे पर कुछ मुस्कान सी आई तो वो भी मुस्कुराने लगे और उठ कर जोर से अन्दर बाहर धक्के मारने लगे और एक हाथ मेरे मुंह पर रख दिया ताकि मैं जोर से चीख नहीं पाऊँ। मैं मछली की तरह छटपटाने लगी और वो जोर जोर से धक्के पे धक्के मार रहे थे, ५-७ मिनट बाद मुझे अपनी चूत में कुछ गरम सा, गीला-गीला सा महसूस हुआ और वो हांफते हुए मेरे ऊपर निढाल हो कर गिर पड़े। मैं बोली- चाचू ! आपने यह क्या किया? वो बोलने लगे- नीतू तुझे मजा नहीं आया? मैं बोली- बहुत दर्द हो रहा है ! खैर फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरी योनि से निकाला और चादर से पोंछ दिया और मेरी चूत को भी पोंछा, टी वी बंद किया और बोले- अपने कपड़े पहन लो ! मैं उठी तो बदन में बहुत दर्द हो रहा था। खैर फिर मैंने कपड़े पहने और चाचू अपने कपड़े पहनने लगे। फिर उन्होंने बिजली जलाई तो मैंने देखा चादर पर काफी खून था, मैं बोली- चाचू यह क्या है? वो बोले- कुछ नहीं ! मैंने कहा- बहुत दर्द हो रहा है ! तो चाचू ने मुझे दर्द की दवा दे दी और बोले- चल कर बाथरूम में मुंह धो ले ! फिर जब मैं बाहर आई तो मुझे चॉकलेट दिए और कहने लगे- किसी से तू कहना मत ! बहुत मजा आएगा तुझे इसी तरह से ! और मेरे स्तन दबा के मुस्कुराने लगे, मैं भी मुस्कुराने लगी। दोस्तों ! उसके बाद डैड से कह कर चाचू ने मुझे एक हफ्ते के लिए वहीं अपने घर पर ही रोक लिया, दोस्तों ! आप लोग समझ सकते होंगे कि एक हफ्ते में मैं कितनी बार चुदी ! खैर मैं ये सब बातें आप लोगों को आगे की कहानी में लिखूंगी और राज की बात यह है कि वो अभी भी मुझे चोदते हैं लेकिन साल में केवल २-३ बार ! दोस्तों उस समय ओरल सेक्स इतना नहीं होता था और चाचू ने मुझे ३-४ साल तक लगातार चोदा लेकिन कभी भी मुझसे अपना लण्ड नहीं चुसवाया। मेरे बॉय-फ्रेंड ने मुझे पहली बार लण्ड का स्वाद चखाया। ये सारी कहानी भी मैं बाद में लिखूंगी। उम्मीद है आप लोगों को मेरी चुदाई अच्छी लगी होगी।
