राज पाण्डेय मैं एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ जिसका नाम मिर्ज़ापुर है जो वाराणसी के नजदीक एक जिला है। एक दिन मैंने उससे बात करने की कोशिश की, मैंने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? उस समय मुझे चुदाई के बारे में कुछ ख़ास जानकारी नहीं थी। तो उसने मुझे फ़ोन पर बातचीत के दौरान चुदाई के बारे में बात करके बहुत सी नई जानकारी दीं। एक बार उसने कहा- कहीं अकेले में एक रूम में मिलो, तब मज़ा आएगा। मैंने अपने दोस्त से एक कमरे की जुगाड़ लगाने को कहा तो उसने कहा- कल मेरे घर पर कोई नहीं रहेगा, तुम अपनी गर्ल-फ्रेण्ड लो लेकर आ सकते हो। मैंने पूजा से कहा- कल हमारे दोस्त के घर पर कोई नहीं रहेगा वहाँ चलोगी? तो उसने कहा- ठीक है मैं आ जाऊँगी लेकिन वहाँ कोई आएगा तो नहीं? मैंने कहा- कोई नहीं आएगा। दूसरे दिन हम वहाँ पहुँच गए। मैं जैसे ही पलंग पर बैठा उसने मेरे गालों को चूम लिया। मुझे बहुत ही अच्छा लगा। तो मैंने कहा- मैं भी तुम्हारे गालों को चूम लूँ? तो उसने कहा- तुम मेरे होंठों को चूसो। मैं उसके होंठों को चूसने लगा, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था उस मजे को मैं बता नहीं सकता। करीब 15 मिनट के बाद वो हमसे बोली- होंठ ही चूसते रहोगे कि आगे ही कुछ करोगे? तो मैंने कहा- आगे क्या करना है… मुझे तो इसी में मज़ा आ रहा है। तो उसने कहा- आगे और मज़ा आएगा। उसने मेरे लंड पर हाथ लगाया तो मेरा लौड़ा खड़ा हो कर अपने 7 इन्च के आकार में तन गया। तो उसने कहा- यह तो बहुत बड़ा है, यह तो मेरे बुर का भोसड़ा बना देगा। मैंने कहा- वो कैसे? तो पूजा बोली- तुम इस लंड को मेरी बुर में डालोगे, तो मुझे भी बहुत मज़ा आएगा और तुम्हें भी मज़ा आएगा। तो मैंने कहा- चलो डालें। तो वो बोली- अभी रूको… अभी तो तुमको चूत रस पिलाना है। तो मैं बोला- वो क्या होता है? ‘अब तुम अपने कपड़े उतार दो।’ मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और वो बोली- चलो हमारे कपड़े भी उतारो। वो जींस और टी-शर्ट पहने हुई थी। मैंने उसका कपड़े उतारे। वो बोली- पूरे उतारो न। तो मैंने उसकी चड्डी और ब्रा को भी उतार दिया। उसके बाद उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया। उसकी चूचियाँ बड़ी मस्त और मुलायम थीं। मैंने उसकी नारंगियों को वो बोली- मेरी चूचियों को चूसो। मुझे तो मसकने में ही मजा आ रहा था फिर उसके कहने पर मैंने अपना मुँह उसकी रसीली नारंगियों पर लगा दिया। ‘आहा… बहुत ‘आहहहाहा… और चूसो.. काटो.. हहा.. वूऊओ हमारी चूची खूब दबाओ..!’ मैं और जोर से दबाने लगा। सच में बहुत मज़ा आ रहा था। उसके बाद वो बोली- अब हमारी बुर को चाटो। मैं उसकी बुर के पास आ गया और उसकी बुर को चाटने लगा। तो वो बोली- अपनी जीभ से चाटो। मुझे कुछ नमकीन का स्वाद लग रहा था लेकिन अच्छा लग रहा था। पूजा मेरा सर पकड़ कर अपनी बुर में दबाने लगी और मुँह से आवाज़ निकालने लगी- चाटो… ओऊऊऊ अहहहाआ ऊऊ माय गॉड… तुम कितना अच्छा चूसते हो। मैं बहुत देर तक उसकी बुर को चूसता रहा और उसी दरम्यान उसने तीन बार मेरे मुँह में अपना पानी गिराया। जब भी वो अपना पानी गिराती, मुझसे बोलती- मेरा चूत रस पी लो.. चाट लो.. चूसो ऊऊऊऊओ बहुत अच्छा लग रहा है चूसते रहो। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैं भी उसका चूत रस पी कर लाल हो गया था। फिर वो बोली- अब अपना लंड रस पिलाओ। तो मैंने कहा- वो कैसे? तो वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मुझे तो जन्नत की सैर करने का आनन्द आने लगा। उसके बाद वो मेरे लंड को अपने मुँह में आगे-पीछे करने लगी। तो 15 मिनट बाद मेरे लंड में से कुछ सनसनी सी हुई और कुछ गिरने लगा तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और वो ज़ोर से मेरे लंड को चूसने लगी। तो वो बोली- अब चुदाई का वक्त हो गया है। वो पलंग पर मेरे बाजू में लेट गई और अपनी टाँगें खोल कर हवा में उठा दीं। और बोली- मेरे बुर में अपना लंड पेलो। मैंने उसकी बुर में अपना लंड डाला तो वो घुस ही नहीं रहा था। शायद उसकी बुर तंग थी। तो मैंने कहा- मेरा लंड इस छोटी से बिल मे कैसे जाएगा? तो वो बोली- तुम सही जगह डालो तो.. घुस जाएगा! उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी बुर में लगा दिया और मुझसे बोली- अब लगाओ धक्का। मैंने धक्का मार दिया, मेरा लवड़ा उसकी चूत में घुस गया और वो अपने मुँह से आवाज़ निकालने लगी। ‘आहह हहाह्वोव अहहहाआआआहा.. जल्दी से मुझे चोद दो।’ मेरा आधा ही लंड घुसा था, तो उसने कहा- धक्का मारो लंड घुस जाएगा। मैंने धक्का मारा और देखा तो मेरा पूरा लंड उसकी बुर में घुस गया था और वो मजे में चिल्ला उठी- वाऊ.. आआअ हाहः पेलो मुझे..!’ मैंने कहा- कैसे? तो वो बोली- मादरचोद 7 इन्च का लौड़ा लिए घूम रहे हो पेलना नहीं जानते हो। अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करो। तो मैं वैसे ही करने लगा। मुझे भी मज़ा आने लगा। वो बोली- जल्दी-जल्दी आगे-पीछे करो.. इसे ही चुदाई कहते है। अब मुझे सब समझ में आ गया था। मैं उसकी चुदाई करने लगा और वो अपनी गाण्ड उठा-उठा कर मज़े लेने लगी। तो मैंने कहा- और करूँ चुदाई? वो बोली- हाँ करते रहो जब तक तुम झड़ न जाओ। मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया बस मजा आ रहा था सो चुदाई करता रहा। वो फिर से मस्त हो गई और सिसियाने की आवाज़ निकालने लगी। मैंने कहा- मुझे तुम्हारी बुर चूसना है। तो वो बोली- चाट लो मेरी बुर.. ये तो तुम्हारी ही है। मैंने लौड़ा खींचा और मैं उसकी रस से सराबोर चूत चाटने लगा। उसके बाद पूजा ने कहा- अब मेरी गाण्ड की बारी है, इसे भी चाटो। तब मैं उसकी गाण्ड चूसने लगा। गाण्ड चूसने में भी बहुत मज़ा आ रहा था। उसके बाद वो बोली- अब मुझे गाण्ड मरवानी है। वो कुतिया की तरह बैठ गई और बोली- अब अपना लंड मेरी गाण्ड में डालो और मेरा गाण्ड मारो। मैं उसकी गाण्ड में अपना लंड डालने लगा तो वो बोली- पहले अपनी ऊँगली मेरी गाण्ड में डाल के थोड़ा छेद बड़ा कर दो.. उसके बाद अपना लंड डालो। मैंने अपनी एक ऊँगली डाली, तब उसने कहा- अब दो ऊँगली डालो। मैंने दो ऊँगली डालीं। दस मिनट बाद वो बोली- अब लंड डालो। तब मैं अपना लंड डालने लगा। वो चिल्लाने लगी और कहने लगी- तुम मेरी गाण्ड मारते रहो… मेरे चिल्लाने की परवाह मत करो.. वो तो मुझे मज़ा आ रहा है। मैंने जोश में आकर अपना मूसल उसके पिछवाड़े में ठूंस दिया और हचक कर बीस मिनट तक उसकी गाण्ड मारता रहा और वो ‘आअहहहूऊऊव’ करके मज़ा लेती रही। उसके बाद मुझे अकड़न सी हुई और मेरे लंड में से पानी गिर गया। मैंने उससे कहा- अब मैं तुम्हारी गाण्ड नहीं मार सकता मैं थक गया हूँ। तो उसने कहा- तुमने तो बहुत देर तक मेरी बुर की चुदाई की और मेरी गाण्ड भी मारी… इतनी देर तक तो जल्दी कोई नहीं कर पाता है..। उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और वहाँ से चले आए। हम दोनों ने 3 घंटे तक मज़े लिए। उसके बाद जब भी मुझे कोई कमरा मिलता, मैं खूब उसकी बुर चाटता हूँ और हम दोनों ही चुदाई का मज़ा लेते हैं। एक साल बाद उसकी शादी हो गई.. अब मैं बिल्कुल अकेला हो गया हूँ। दोस्तो आप लोलों को मेरी कहानी कैसी लगी। मुझे ज़रूर मेल करें, मेरी ईमेल आईडी है।
मेरा नाम राज है और मैं अपनी पहली कहानी लिख रहा हूँ।
आप लोग ज़रूर मेल करें कि यह कहानी आप लोगों को कैसी लगी।
जब मैं 18 साल का था तब मेरे घर के सामने एक लड़की रहने आई, उसका नाम पूजा था और वो देखने में बहुत ही सुन्दर थी।
उसकी उम्र भी लगभग 18 साल की होगी। वो हमेशा मुझे प्यार भरी निगाहों से देखती थी और मैं भी उसको देखता था।
तो उसने अपना नाम बताया और उसने भी मेरा नाम पूछा, हमारी आँखों में दोस्ती की झलक दिखी, फिर मैंने उससे उसका फ़ोन नम्बर पूछा तो उसने मुझे अपना नम्बर दे दिया और उसके बाद हम लोग फोन पर बात करने लगे।
वहाँ कमरे में जाकर वो पलंग पर बैठ गई और मुझसे बोली- आओ तुम भी बैठो।
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हौले से पकड़ा और बड़े प्यार से मसलने लगा, मुझे बहुत मज़ा आया।
मज़ा आ रहा था और उसके मुँह से भी मस्त आवाज़ निकल रही थी।
मेरा दही जैसा कुछ उसने पूरा चाट लिया।
मेरा बदन कुछ ढीला सा पड़ गया और लौड़े का तनाव भी कुछ कम होता सा लगा लेकिन वो उसके बाद भी मेरे लंड को चूसती रही।
कुछ ही मिनटों में मेरा लंड फिर से अकड़ने लगा।
करीब 15 मिनट बाद उसने अपना पानी छोड़ दिया।
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