Mombatti ki Roshni me Nibha ki Chudai एक साल की पढ़ाई के दौरान मैंने उसे पटा लिया और शादी कर ली। ‘किसने खोली तुम्हारी सील??’ मैंने पूछा। साली मादरचोदी.. पहले तो बड़ा नाटक कर रही थी, फिर बड़े मुश्किल से बताया हरामिन ने कि अपने बुआ के लड़के से फंसी थी। ‘तो घर का आदमी ही मेरी मिठाई जूठी कर गया?’ निभा ने ‘हाँ’ में सिर हिलाया। मैंने सोचा कि जब मादरचोदी.. पहले से ही चुदवा चुकी है तो काहे की बीवी। इसकी इतनी चूत मारो कि फट जाए। मैं उसकी जमकर चुदाई करने लगा। एक दिन मैं सोचने लगा कि क्यों न निभा के पुराने यार यानी उसकी बुआ के लड़के को बुलाया जाए और दोनों मिल कर इस कुतिया की चुदाई करें, क्यों न उसे रंडी बना कर चोदा जाए। मेरे डैडी और मम्मी बहुत पहले ही मर चुके थे, घर में सिर्फ मैं और निभा ही रहते थे। ‘क्यों, अपने यार से मिलना है..??’ मैंने एक दिन शरारत करते हुए पूछा। वो कुछ नहीं बोली, मैं समझ गया कि मादरचोदी अभी भी पुराना लंड खाना चाहती है। ‘शनिवार की रात को उसे फोन करके बुला लेना, दोनों साथ में होंगे तो तुझे रंडी बना देंगे। ऐसा चोदेंगे कि कभी नहीं भूलेगी।’ निभा को तो जैसा मन की मुराद पूरी करने वाला मिल गया था, उसका चेहरा खिल उठा। मैं जो कर रहा था.. वो क्या था?? क्या ये पाप था? ‘निभा.. तेरी-मेरी शादी हो चुकी है और नियमों के मुताबिक दूसरे के साथ सोना पाप है.. रोकना चाहती है, तो मना कर दे.. मरने के बाद तू अलग जाएगी और मैं अलग.. अभी सोच ले।’ ‘अपनी बुआ के लड़के से तो मेरा पहला प्यार हुआ था.. उसे कैसे भूलूँ?’ ‘ठीक है….बुला ले।’ रात के 11 बजे का हम दोनों इंतजार करने लगे। आखिर वो पल्सर से आया। साला मुझसे 1 या 2 इंच लम्बा होगा। देखने में कोई बहुत स्मार्ट भी नहीं था। तो यह था, जिसने मेरी बीवी की सील तोड़ी है.. मैंने सोचा। उसका नाम सुनील था। निभा ने उसे सब बता दिया था कि समर को सब पता चल गया है। ‘हाय..’ मैंने हाथ मिलाया। निभा मादरचोदी उसे देखने ही फूल की तरह खिल गई थी। मैं और सुनील साथ में बैठ कर बातें करने लगे। मैं काम की बात करना ठीक समझा। ‘तुम्हारी बीवी की सील बंद थी??’ मैंने पूछा। ‘नहीं, खुली थी।’ उसने कहा। ‘अच्छा..!’ मुझे ताज्जुब हुआ। ‘किसने चोदा था उसे पहली बार??’ ‘उसके साथ पढ़ता था…उसी ने..’ ‘अरे मादरचोद… आजकल सील बन्द लड़कियाँ तो बड़ी दुर्लभ बात हो गई है। निभा को साथ में चोदा जाए??’ मैं मुआयना लेते हुए पूछा। सुनील तो खिल पड़ा। ‘देखो, वैसे तो मैं मिल-बाँट कर खाने वाला आदमी नहीं हूँ, पर तुमने इसकी सील पहले ही तोड़ दी है, इसलिए अब वो नियम इस पर लागू नहीं है।’ तीनों ने चाय पी। ‘सुन निभा… आज तुम्हें रंडी बनाएंगे..’ निभा चुप रही। जो लड़की एक से ज्यादा से चुद जाती है… वही तो रंडी होती है। घर का बड़ा हाल खाली थी और बिस्तर तैयार था। मैंने कमरे की बत्तियाँ बुझा दीं और दो मोमबत्ती जला दीं। सुनील अपने कपड़े उतारने लगा। निभा साड़ी में थी। मैंने भी अपनी शर्ट उतार दी और बनियान अंडरवियर में आ गया। निभा ने लाल रंग की गोल बड़ी बिन्दी लगा रखी थी, उसे हम लोगों ने बिस्तर में खींच लिया। ‘तू इसे गरम कर..’ मैंने कहा। सुनील तो साली को पहले ही खा चुका था, मादरचोदी का पेटीकोट उठा दिया और बीच वाली ऊँगली उसकी बुर में डाल दी। हाल में हल्की-हल्की दोनों मोबत्तियों की रोशनी बस थी। ज्यादा रोशनी में मुझसे साली की चुदाई न हो पाती। निभा ने झांटें भी बना ली थीं। फिर सुनील ने रंडी के मुँह में लौड़ा दे दिया, वो रण्डियों की तरह चूसने लगी। ‘आज ये रंडी बनेगी..’ मैंने कहा। फिर मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह में दे दिया और निभा चूसने लगी। ‘पहले तू चोद ले..’ मैंने कहा। सुनील ने निभा की तुरन्त ही चुदाई शुरू कर दी। साली बड़े आराम से लण्ड खा रही थी। ‘देखा….बन गई आज ये रंडी..’ मैंने हँसकर चिल्लाया। सुनील ने उसकी मस्त चुदाई की और चूत में ही झड़ गया। मैंने सोचा कि मादरचोदवाली को थोड़ा सांस लेने दो.. कहीं मर-मरा न जाए। लगभग 15 मिनट बाद मैंने उसकी चुदाई शुरू की। ‘मरेगी तो नहीं साली??’ मैंने एक बार पूछा। निभा कुछ नहीं बोली। मैं जान गया रंडी और लण्ड खाना चाहती है। फिर मैंने उसकी बुर पर लंड रखा और कस कर चोदा। ‘बन गई… बन गई….ये आज रंडी..!’ मैं जीत के स्वर में बोला। 15 मिनट के बाद मैं भी झड़ गया। मोमबत्ती अभी भी जल रही थी। ‘क्यों निभा मजा आया??’ मैंने पूछा ‘हाँ..’ वो बोली। उस रात उसे मैंने और सुनील ने पूरी रात चोदा था, जब मैं थक जाता सुनील उसे चोदता, जब सुनील थक जाता तो मैं निभा को चोदता, उसके मुँह में लंड भी हमने सैकड़ों बार दिया था। उसके बाद जब मन करता था हम दोनों सुनील को बुला लेते थे और निभा को रंडी बना देते थे। आपको यह कहानी कैसे लगी, बताइयेगा जरूर।
दोस्तो, मेरा नाम आशीष है। मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी जिसका नाम निभा था। मादरचोद बड़ी ‘झक्कास’ माल थी।
जब मादरचोदी को सुहागरात के दिन चोदा तो उसकी सील खुली हुई थी।
उसमें कहीं से भी बीवी वाली बात नहीं थी, मेरे मन में गुस्सा था कि जूठी चूत मारनी पड़ रही है, इसे मैं इज्जत क्यों दूँ।
दोनों आज साथ में उसे चोदेंगे, यह भी बता दिया था।
सुनील की शादी हो चुकी थी।
इतनी जोर से अन्दर-बाहर किया कि निभा मादरचोदी चीख उठी।
