सभी पाठको को मेरा नमस्कार ! जब मैं स्कूल में पढ़ता था, तब मैं रामलीला में सीता का रोल किया करता था। मुझे गली के सारे लड़के बहुत तंग करते थे क्यूंकि मैं था ही बहुत सुन्दर, और अब भी हूँ, सभी मेरे पीछे लगे रहते थे जैसे मैं लड़का नहीं लड़की हूँ, दिन में भी, स्कूल आते-जाते समय भी पर मुझे परेशान करते थे, इसमें पता नहीं क्या मज़ा आता था उन्हें ! धीरे-धीरे समय बीतता गया पर मेरे अन्दर लड़की बनने की कवायद शुरू हो गई। फिर मेरी नौकरी मेरे शहर से दूर एक बड़ी कंपनी में लग गई। वहाँ मैं कमरा लेकर अकेला रहता था। तो आते है मेरी पहली रात पर : रविवार था, मैं चैटिंग कर रहा था, खाने के लिए कुछ भी नहीं बनाया था। बनाता भी कैसे? मैं मस्ती में था, मैंने लड़कियों की पैंटी ब्रा पहनी हुई थी, मेरा बहुत मन कर रहा था कि कोई आए और मुझे चोदे ! तभी मुझे एक ख्याल आया, क्यूँ ना पिज़्ज़ा वाले को बुलाया जाए, क्यूंकि मैं उसे पहले भी बुला चुका था। बहुत ही स्मार्ट है, रंग सांवला, 6 फुट का है वो ! फिर क्या था मैंने पिज़्ज़ा वाले को कॉल की, वो 15 मिनट में आने को बोला। इधर मैं भी तैयारी करने लग गया। घण्टी बजी ! मैं- कौन है? वो- पिज़्ज़ा बॉय ! मैं- अंदर आ जाओ ! मैं जान बूझ कर रसोई में पानी लेने चला गया था। मैंने उसे पानी दिया पर वो बोला- मुझे बाथरूम जाना है, बहुत ज़ोर से लगी है। तभी उसका ध्यान मेरी पैंटी पर गया। वो- यह तो लड़कियों वाली है? मैं- हाँ है तो क्या हुआ? लड़कियाँ क्या हमारे जीन्स शर्ट्स नहीं पहनती? वो कुछ नहीं बोला, बाथरूम का दरवाजा नहीं था, तो वो बोला- दरवाजा नहीं है? मैं- नहीं ! वो- तो तुम इधर से जाओ। मैं- ठीक है। फिर वो वहाँ पेशाब करने लग गया, मैंने चुपके से देखा उसका 3-4 इंच का काला मोटा था। उसने भी मुझे देख लिया था कि मैं उसे देख रहा हूँ। वो पेशाब करके आ गया, मैंने उसके हाथ धुलवाए, तभी मुझे एक ख्याल आया मैंने जान करके उस पर पानी का लौटा गिरा दिया और मैं भी गिर गया जैसे कि पानी की वजह से गिरा हूँ, उसके सारे कपड़े गीले हो गये। वह मुझ पर चिल्लाने लगा- यह क्या कर दिया? अब मैं वापिस कैसे जाऊँगा? तभी उसका ध्यान मेरे पर गया, मैं भी गिरा हुआ था, फिर उसने मुझे उठाया और बिस्तर तक ले आया। वो- ठीक तो हो? मैं- हाँ ठीक हूँ ! नाटक कर रहा था मैं तो गिरने का ! मैं- तुम मेरे कपड़े पहन लो ! वो- नहीं, अभी सूख जाएँगे। मैं- चलो उतार दो, मैं प्रेस कर देता हूँ, जल्दी सूख जाएँगे। वो- ठीक है। उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए, अब सिर्फ़ अंडरवीयर ही रह गया था, वो भी गीला था। मैं- इसे भी उतार दो, मेरे वाला अलमारी में है, वो पहन लो। वो- तुम तो लड़कियों वाला पहनते हो? मैं- वहाँ लड़कों वाला भी है। वो अंडरवीयर निकाल कर ले आया। वो- तौलिया कहाँ है? मैं- तौलिया तो मैला है ऐसे ही बदल लो ! वो वहीं बदलने लगा, उसका 4 इंच का बढ़ कर 6 इंच का हो गया था। पर उसे मेरा अंडरवीयर नहीं आ रहा था। वो- यह तो पूरा नहीं आ रहा? मैं- इधर आओ, मैं देखता हूँ ! मैं अभी बिस्तर पर ही लेटा हुआ था। वो मेरे पास आया, मैंने उसका लंड पकड़ा और कहा- इतना बड़ा है ! यह किस अंडरवीयर में आएगा? तब तक वो 7 इंच का हो गया था, मैंने धीरे से उसे मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया वो भी समझ चुका था कि पानी कैसे गिरा और उसके कपड़े कैसे गीले हुए? मैं उसका 7 इंच का लंड मुँह में लेकर आराम से चूस रहा था। वो- तो इसीलिए मेरे कपड़े उतरवाए थे? मैं कुछ नहीं बोला, धीरे से उसकी तरफ देख कर आँख मार दी, वो मुस्करा दिया। अब वो भी मेरे मुँह में झटके मारने लग गया था, मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था तो वो बोला- सीधे हो जाओ और अपनी गर्दन बेड से नीचे कर लो ! मैंने वैसा ही किया। अब मेरी आँखें सिर्फ़ उसके लंड के नीचे वाली दो बड़ी-बड़ी गोलियाँ देख रही थी। उसने पूरा का पूरा मेरे मुँह में डाल दिया था, मेरे गले तक आ रहा था पर फिर भी कुछ बाहर था। वो अपनी तरफ से पूरा ज़ोर लगा रहा था। थोड़ी देर बाद उसने अपना सारा वीर्य मेरे मुँह के अंदर ही निकाल दिया, मैं भी उसका सारा वीर्य पी गया और उसके लंड को चाट कर पूरा साफ कर दिया। वो मेरे पास आकर बैठ गया। मैं- मज़ा आया? वो- हाँ ! मैं- मेरी गाण्ड मारने में और भी मज़ा आएगा। वो- चलो फिर ! तैयार करो इसको। मैं कहाँ रूकने वाला था, मैं भी शुरू हो गया एक बार फिर उसका लंड मुँह में लेकर… तब मैंने उसका लौड़ा चुसना शुरू कर दिया, उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी, तो उसने देखा कि मेरी चूचियाँ लड़कियों की तरह हैं। वह- क्या बात है? अब मुझे समझ में आया कि तू एक लड़की है पर बाहर से लड़का है। मैं उसका लण्ड मुंह में लेते हुआ सिर्फ मुस्करा दिया और आँख मारी, वह और ज्यादा उतेजित हो गया, उसने मेरी निप्प्ल अपनी दो उँगलियों में मसलनी शुरू कर दी, मुझे भी अब ज्यादा मजा आने लगा। उसका लण्ड 5 मिनट में ही दुबारा खड़ा हो गया, अब वह एकदम तैयार था मेरी कुंवारी गांड में जाने के लिए ! उसने मुझे झुकने के लिए कहा, मैं झुक कर घोड़ी बन गया, उसने अपना लण्ड जो अब एक लोहे की रॉड बन चुका था, मेरी गांड में डालने लगा, धीरे-2 डालते-2 उसने एक जोर का झटका मारा और मेरी ईईईईई की चीख से पूरा कमरा गूंज उठा। उसने फुर्ती से मेरा मुंह बंद कर लिया, मैं म्म्म्म करता रह गया पर उसने कोई तरस नहीं खाया बल्कि और तेज़ी से करने लग गया। मेरी आँखों में आंसू आ गए थे पर उसने कोई तरस नहीं खाया, सिर्फ बोला- चुपचाप पड़ा रह, बाद में और मजा आएगा। पर मेरे से वो दर्द सहन नहीं हो रहा था, वह कम से कम बीस मिनट तक लगा रहा, तभी उसने अपना सारा वीर्य मेरी कुंवारी गांड जो अब कुंवारी नहीं रही थी के अन्दर ही निकाल दिया, धीरे से अपना लण्ड निकाला जो अभी भी फनफ़ना रहा था, मेरे मुंह में दे दिया और कहा- सारा साफ़ कर ! मैंने अपने मुंह से उसका सारा लण्ड साफ़ कर दिया, अब मैं अपनी गांड को देख रहा था जिसमें से थोड़ा सा खून भी आ रहा था, मैं जल्दी से बाथरूम की तरफ जाना चाहता था… पर यह क्या? क्या हुआ? मैं सोच में पड़ गया? मुझसे तो खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था चलने की बात तो बहुत दूर थी, उसने मेरी गांड को फ़ाड़ कर रख दिया था ! फिर वो बोला- कोई बात नहीं ! दो-एक घंटे में सही हो जायेगा। मैंने उसका मोबाइल नंबर लिया क्यूंकि वह कपड़े पहन चुका था और जाने की तैयारी कर रहा था। उसने अपना नंबर दिया और मुझे बिस्तर पर लिटा कर अगले रविवार आने का बोल गया। जाते जाते उसने अपना लण्ड दुबारा मुझसे चुसवाया और सारा वीर्य मैं पी गया… क्यूंकि उसने कहा था- तेरी गांड इसे पीने से ही सही हो जाएगी। तो अगले इतवार हम दो नहीं थे बल्कि ज्यादा थे।
मैं एक कहानी लिखने जा रहा हूँ उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी !
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