पहलू दो- संजीव का फ़साना मेरी खूबी यह है कि एक तो लण्ड साढ़े नौ इंच का है और मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है। पर जब आदमी घर से भूखा तो हो वो तो होटल में खाना खाएगा ही। शुरू से ही मैं अपने दोस्तों में मशहूर रहा हूँ। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! घर में जितनी भी बाइयाँ काम करने अब तक लगी हैं उनमें से ज़्यादातर को चोद रखा है, इसके अलावा 2-3 लौंडों को और एक हिजड़े की गाँड भी मार चुका हूँ और जिनकी पैसे देकर मारी है, उन बेहिसाब गश्तियों का मैंने कोई ज़िक्र नहीं किया है। मैंने एक बात और भी नोट की है कि जहाँ भी जाता हूँ, औरतें हमेशा मेरे आस पास होती हैं, जैसे वो मेरे टाइट जीन्स में से मेरे लण्ड का साइज़ भाँप लेती हैं और सिर्फ मज़े लेने के लिए मेरे आस पास रहती हैं, कि चलो ले नहीं सकती तो पास खड़े हो हो कर ही ठर्क मिटा लो। ऐसा ही एक शादी में मैंने एक बिल्कुल अंजान औरत को चोदा, मैंने उसका नाम नहीं जानता, न ही फिर कभी उससे मिला हूँ, पर उससे गर्म औरत मैंने आज तक नहीं देखी। मेरे भाई के दोस्त की शादी थी, तारीख थी 22 फरवरी, 2013 मैं सादी सी जीन्स और टी शर्ट पहन कर ही शादी में चला गया। पहले तो लड़के वालों के घर गए, वहाँ पर शादी की रस्में देखते रहे, उसके बाद सब होटल की तरफ चल पड़े। मूड बनाने के लिए मैंने भी एक दो पेग गटक लिए। तभी मुझे एहसास हुआ के जैसे मुझे पोटी आ रही हो। मैं इंग्लिश वाले में घुस गया और पोटी करने लगा। अभी पोटी करके फारिग ही हुआ था कि बाहर से आवाज़ आई जैसे किसी ने बाथरूम का दरवाजा अंदर से लॉक किया हो और उसके साथ ही झुमके चूड़ी पायल की झन झन झंकार सुनाई दी। मैं कान लगा कर सुनने लगा। मतलब यह कि मर्दों के बाथरूम में कोई औरत आई है। वाकयी दूसरी तरफ तो एक गोरी चिट्टी औरत बैठी थी, साड़ी ऊपर उठी होने की वजह से उसके बड़े बड़े और गोरे गोरे चूतड़ भी दिख रहे थे। मेरे तो लण्ड ने अंगड़ाइयाँ लेनी शुरू कर दी। उसने भी ढेर सारा पेशाब किया। मैं चुप से उतर कर बैठ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ। तभी ख्याल आया कि अगर मैं इसको अपना लण्ड निकाल कर दिखा दूँ, अगर मान गई तो मारने को चूत मिल जाएगी। जब वो हाथ धोने गई तो मैंने भी अपनी पैंट से अपना लण्ड बाहर निकाला और बाहर आ गया। जब उसने शीशे में मुझे देखा तो थोड़ा घबराई सी मगर जब उसने मेरा लण्ड पैंट से बाहर निकला हुआ देखा तो एकदम से कड़क कर बोली- यह क्या बदतमीजी है? ‘क्यों मैडम… क्या हुआ?’ मैंने पूछा। ‘नीचे देखो, तुम्हारा वो बाहर ही है।’ ‘तो क्या हुआ, क्या आप ऐसी चीज़ पहली बार देख रही हैं?’ मैंने थोड़ा बेशर्मी से कहा, चाहे मेरी भी फटी पड़ी थी, क्योंकि अगर वो शोर मचा देती तो मेरी तो बैंड बज जाती। ‘नहीं पहली बार तो नहीं देखा, पर इतना बड़ा आज पहली बार देखा है।’ उसकी इस बात से मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैं बोला- अगर इतना बड़ा पहली बार देखा है तो इसका मतलब आपके पति का इतना बड़ा नहीं है, शायद इसका आधा ही हो, क्या आप इसे छूकर देखना चाहेंगी। अब मेरे मन में डर कम हो गया था, क्योंकि वो लगातार मेरे लण्ड को ही घूरे जा रही थी। यह बात पक्की हो रही थी कि अगर उसने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया तो फिर तो वो मुझसे चुद कर ही जाएगी। तभी वो थोड़ा आगे बढ़ी और उसने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया। बहुत ही सुंदर और नर्म हाथ था उसका। गोरा हाथ, नाखूनों पे गुलाबी नेल पालिश और उसके हाथ में पकड़ा मेरा काला लण्ड। जब उसने ठीक से पकड़ लिया तो मैं थोड़ा उसके पास हुआ और उसका दूसरा हाथ पकड़ कर उसमें भी अपना लण्ड पकड़ा दिया। उसकी गालों का रंग गुलाबी हो गया था, सांस तेज़ चल रही थी और नज़र तो उसकी बस लण्ड पे जम गई थी। मैंने मौका देख कर अपनी कमर आगे पीछे करनी शुरू की ताकि वो मेरे लण्ड की हरकत देख सके और मेरा लण्ड उसको गुलाबी होंठों तक पहुँच सके। जब मैंने उसके दोनों गोरे गोरे हाथों में अपना लण्ड चलाना शुरू किया तो मेरा लण्ड पूरी तरह से अकड़ गया। जब लण्ड तन गया तो मैंने उसके दोनों कंधों पे हाथ रखे और उसे नीचे बैठने के लिए दबाया। उसने दो तीन बार अपने होंठों पर जीभ फेरी जैसे उसका गला सूख रहा हो। जब वो मेरे लण्ड के सामने बैठ गई तो मैंने कहा। ‘अपने यार को प्यार नहीं करोगी?’ यह सुन कर उसने अपनी निगाह मेरे लण्ड से हटा कर मेरी तरफ देखा। मैंने उसकी आँखों में देखते हुये अपना लण्ड उसके होंठों से लगाया तो उसने भी बिना कोई विरोध किए मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। ‘उफ़्फ़ !’ उसके नर्म होंठों का स्पर्श कितना प्यारा था। उसके बाद खुद ही उसने मेरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया, जैसे वो कोई लॉलीपोप या सोफ़्टी खा रही हो। मैं आनन्द से सरोबार था कि तभी मुझे लगा शायद किसी ने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया है। मैंने उससे कहा- शायद कोई दरवाजा खटखटा रहा है, हमें जाना होगा। यह कह कर मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला मगर उसने तो मेरे लण्ड को दोनों हाथों से कस के पकड़ लिया और बोली- नहीं, अभी मेरा दिल नहीं भरा, मुझे यह चाहिए और अभी चाहिए। मैं बोला- ठीक है, पर अभी नहीं थोड़ी देर बाद, मैं कोई इंतजाम करता हूँ, हम आराम से करेंगे, यहाँ लोग आएँगे तो मुश्किल हो सकती है। ‘ठीक है, पर जल्दी कोई इंतजाम करो, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा, प्लीज़!’ ‘तो ऐसा करते हैं, आधे घंटे बाद यहीं मिलते हैं, ठीक है?’ ‘ठीक है, पर जाने से पहले एक काम करके जाओ।’ यह कह कर उसने अपनी साड़ी ऊपर उठाई और बोली- प्लीज़, एक बार अंदर डाल दो , मैं मरी जा रही हूँ। मैं उसके पीछे गया और उसकी एक टांग उठा कर वाश बेसिन पे रखी, अपना लण्ड उसकी चूत पे रखा जिसे उसने अपने हाथ से पकड़ के अपनी चूत के सुराख पर एडजस्ट किया, जब मैंने धक्का मारा तो मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया। शायद वो इस एहसास में पागल हो चुकी थी और बोली- और डालो, जितना डाल सकते हो डाल दो, मैं पूरा लेना चाहती हूँ। मैं बोला- अगर अभी सारा ले लोगी तो बाद में क्या लोगी? ‘प्लीज़, वहाँ भी लूँगी पर अभी भी पूरा लेना है, तुम डालो बस!’ एक और धक्का, जिससे आधे के करीब लण्ड उसकी चूत में घुस गया, मैं उसके दोनों बड़े बड़े चूतड़ अपने पेट पर महसूस कर रहा था। जब सामने शीशे में मैंने उसके स्तानों का आकार देखा ‘हे भगवान… कितने बड़े, गोल और नर्म नर्म बूब्स थे उसके!’ ‘हाँ बहुत बड़े हैं, तुमने इतने बड़े बूब्स नहीं देखे और मैंने इतना बड़ा लण्ड नहीं लिया।’ मैं अपना लण्ड उसकी चूत में ठेलता रहा और पूरा लण्ड उसकी चूत के पानी से भीग चुका था। आज पता चला कि मर्द का लण्ड चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो औरत की चूत से बड़ा नहीं होता। मैंने कुछ जोरदार शॉट्स मारे और बहुत ही बेदर्दी से उसके स्तनो को दबाया। जी तो कर रहा था कि उसके बूब्स का जूस निकाल दूँ, उसे दर्द हो रहा था और मुझे मज़ा आ रहा था। करीब 2-3 मिनट की चुदाई के बाद मैंने लण्ड बाहर निकाल तो बिजली की स्पीड से नीचे बैठ गई और अपनी चूत के पानी से भीगे मेरे लण्ड को फिर से अपने मुँह में ले लिया। इतनी गर्मी एक औरत में मैंने तो आज तक नहीं देखी थी। यह कह कर मैंने अपना लण्ड खींच कर उसके मुँह से बाहर खींचा और उसे कमोड सेक्शन में धकेल दिया। मैंने अपने अपना लण्ड अंदर डाला और बाहर झांक कर देखा, बाहर सब खाली था, मैंने कहा- जल्दी करो, कोई नहीं है, जल्दी से निकल जाओ और आधे घंटे बाद यहीं मिलना। वो जल्दी से बाहर निकल गई और मैं वहाँ से सीधा होटल की रेसेप्शन पर गया और एक रूम बुक करवाया। रूम की चाबी ले के वापिस शादी वाली जगह पे आ गया और उसको ढूंढने लगा। थोड़ी देर बाद ही मैंने उसे कुछ लोगों में खड़े बातें करते देखा। जब उसकी नज़र मुझ पर पड़ी तो मैंने उसे कमरे चाबी दिखाई और वो भी तभी उन लोगो से अलग हो कर मेरी तरफ आई। उसे आते देख मैं आगे आगे चल पड़ा और उसे ऊपर अपने कमरे में ले गया। मैंने जैसे ही कमरे का दरवाजा बंद किया वो मुझसे लिपट गई। बस उसके बाद हम दोनों ने बिना कोई समय गंवाए सबसे पहले अपने कपड़े उतारने शुरू किए, एक मिनट में ही हम दोनों बिल्कुल नंगे हो चुके थे। कपड़े उतारने के बाद वो और भी शानदार लग रही थी, बहत गोरा और भरपूर बदन था उसका। वो खुद ही जा कर बेड पे लेट गई और अपनी टांगें चौड़ी करदी, जिससे उसकी चूत एकदम से खुलकर सामने आ गई। मैं भी जाकर उसकी टाँगो के बीच में उसके ऊपर लेट गया, मैंने उसके बड़े बड़े बूब्स का स्पर्श अपने सीने पर महसूस कर रहा था। मैंने उसके होंठों पे एक लंबा सा चुम्बन लिया तो उसने खुद ही मेरा लण्ड अपनी चूत पे सेट किया और बोली- जितनी जल्दी हो सके मुझे चोद लो, मेरे पास ज़्यादा टाइम नहीं है। मैंने भी अपने लण्ड को धक्का मारा और वो उसकी पहले से ही पानी से भीगी चूत में घप्प से घुस गया। मैंने अपनी जीभ निकली और उसके मुँह में डाल दी जिसे वो बड़े प्यार से चूसने लगी। मैं भी चुदाई करते वक़्त अपना पूरा बदन उसके बदन से रगड़ रहा था, मैं चाहता था कि मैं उसके बदन को अंदर बाहर दोनों तरफ से छील के रख दूँ। मैंने उसके दोनों स्तन अपनी दोनों हाथों में पकड़े और बड़े ज़ोर से दबाये, शायद उसको दर्द हुआ पर फिर भी वो खुश होकर बोली- दबा राजा, और ज़ोर से दबा, सच कहती हूँ तुम्हारा लण्ड लेके ज़िंदगी का लुत्फ आ गया। ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारा लण्ड मेरे अंदर से मेरे दिल तक पहुँच गया हो, मार डालो मुझे आज! मैंने भी जवाब दिया- सही कहती हो मेरी जान, मैंने भी आज तक तुम्हारे जितनी गर्म औरत नहीं देखी, लण्ड लेने की इतनी तड़प मैंने इससे पहले किसी औरत में नहीं देखी, मेरी किस्मत अच्छी है कि मुझे तुम जैसी एक सम्पूर्ण औरत को चोदने का मौका मिला। धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई तो वो भी नीचे से कमर उचका कर मेरा साथ देने लगी। मैं पूरा लण्ड उसके अंदर तक डाल के अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे चोद रहा था कि थोड़ी देर की चुदाई के बाद ही वो अकड़ गई। मैंने उसे बड़ी मजबूती से पकड़ रखा था और उसने अपने नाखून मेरे सीने में गड़ा दिये। मैंने अपना पूरा लण्ड उसके अंदर तक ठेल रखा था। जब वो निढाल हो कर लेट गई तो मैंने अपनी स्पीड फिर से बढ़ाई। एक सफल चुदाई की खुशी उसके चेहरे से झलक रही थी। मेरा काम भी होने वाला था, मैंने उससे पूछा- क्या तुम मेरा वीर्य पीना पसंद करोगी? मैं तुम्हारे मुँह में झड़ना चाहता हूँ। उसने हाँ में सर हिलाया तो मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। दो-एक मिनट की चुसवाई के बाद ही मेरा वीर्य छुट गया। कुछ वो पी गई बाकी मुँह से बाहर टपक गया, मैंने अपना लण्ड उसके चेहरे पे फिराया। वो मुस्कुरा कर बोली- अगर मुझे आज जाना न होता तो मैं सारी रात तुमसे सेक्स करती, पर जाना तो है, हो सका तो फिर मिलेंगे।
हैलो दोस्तो, मेरा नाम संजीव शुक्ल है, मैं 28 साल के सजीला बांका नौजवान हूँ।
शादी हो चुकी है, एक बेटा है, पत्नी बहुत सुंदर है।
सरकारी नौकरी है, तनख्वाह अच्छी है, बस एक छोटी सी दिक्कत है कि मेरी पत्नी बहुत ही धार्मिक ख्यालों की है और सेक्स की तरफ उसका झुकाव कम ही है।
बस यह समझो के सेक्स के लिए तो मैं हर वक़्त तैयार रहता हूँ। यह भी हो सकता है कि मेरे बड़े लण्ड से शायद बीवी को तकलीफ होती होगी, तभी वो सेक्स कम करती हो।
सो अपन को तो सब तरह की चलती है, काली गोरी, मोटी पतली, बस चूत लगी होनी चाहिए।
बहुत से तो मुझे गधे के लण्ड वाला भी कहते हैं।
मतलब यह कि जितना उनका अकड़ के होता है उतना तो मेरे ढीले में होता है।
जिस भी औरत या लड़की को एक बार चोद दिया, वो आज तक याद करती है और जब मिलती है तो सीधा लण्ड को झपटती है।
यकीन मानो अपने तीन दोस्तों की बीवियाँ, 4 दोस्तों की गर्ल फ़्रेंड्स, ऑफिस में एक सफाई वाली, दो क्लर्क्स, अपनी एक बॉस के अलावा तीन स्टाफ गर्ल्स को चोद चुका हूँ।
मेरा उस शादी में जाने का कोई मन नहीं था क्योंकि भाई के दोस्त की शादी थी, पर विवेक (दूल्हे) ने ज़ोर दिया कि भैया ज़रूर आना तो सोचा चलो जा आता हूँ।
होटल में तो पहले से ही माहौल बना हुआ था, शराब और शवाब की नदियाँ बह रही थी।
जब थोड़ा सुरूर हुआ तो मेरा दिल किसी हसीना की तलाश करने लगा मगर कोई साली लाइन ही नहीं पकड़ रही थी, तो मैंने यह सोच कर के हर बार तो शिकार भी नहीं मिलता, मैं व्हिस्की वाले काउंटर की तरफ चला गया और 2 पेग और खींच दिये।
मैं बाथरूम में गया, वहाँ पर दो सेक्शन थे, इंग्लिश कमोड और इंडियन स्टाइल कमोड।
मेरे नाक में ढेर सारी पर्फ्यूम की खुशबू आई।
फिर मैंने आवाज़ ध्यान से सुनी।
वो मेरे बगल वाली इंडियन स्टाइल कमोड सेक्शन में घुसी, जब उसके पेशाब करने की आवाज़ आने लगी तो मैंने उत्सुकतावश बिना कोई आवाज़ किए कमोड के ऊपर चड़ा और दीवार के ऊपर से दूसरी तरफ देखा।
मगर मैं उसके बड़े बड़े बूब्स भी दबाना चाहता था तो मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर से फिराते हुये पेट के ऊपर से लेजा कर उसके ब्लाउज़ और ब्रा के अंदर घुसा दिये और उसका ब्लाउज़ और ब्रा ऊपर उठा कर उसके दोनों विशाल बूब्स बाहर निकाल लिए।
‘तेरी बहन की चूत, मादरचोद, तेरे चुच्चे कितने बड़े हैं, मैंने आज तक इतने बड़े बुब्बे नहीं देखे!’
उससे अपना लण्ड छुड़वाने के लिए मैंने कहा- अरे छोड़ो मेरी जान, छोड़ो इसे, मैं बाहर देखता हूँ, तुम छुप जाओ, मैं देखता हूँ अगर बाहर कोई न हुआ तो तुम पहले निकाल जाना, मैं बाद में बाहर आऊँगा।
उसने कसके मुझे अपनी बाहों में भर लिया, ऐसे लग रहा था जैसे मुझसे ज़्यादा उसे चुदने की जल्दी थी।
उसके बाद हमने अपने अपने कपड़े पहने, एक दूसरे को गुड बाय किस की और वापिस आकर शादी में शामिल हो गए।
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