Malkin ke Sath Naukrani ko bhi Choda-3 मैंने कहा- तुम्हीं बताओ.. कितने इंच का है? तो उसने कहा- ह्ह्म्म… 8 इंच? फिर मैंने कहा- 8 इंच नहीं.. 7 इंच का है.. पर मैं तो ये मानता हूँ कि लड़कियों को खुश रखे.. लंड ऐसा ही होना चाहिए। मैं तुमसे ही पूछ रहा हूँ.. बताओ क्या तुम मेरे लंड से खुश हो? मानसी ने कहा- मैं इसका जवाब कुछ दूसरे तरह से दूँगी… तो तुमको भी पता चल जाएगा.. दूसरे ही पल में उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और मुझे इसका जवाब मिल गया। वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूस रही थी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। पहली बार में ही मैंने मानसी को तृप्त कर दिया था इसलिए वो अब आराम से मजे ले रही थी। लेकिन मेरी नजर दरवाजे पर गई तो मुझे लगा कि उधर कोई है। कमरे का दरवाजा थोड़ा खुला रह गया था.. पर मैंने सोचा घर में मानसी और वो नौकरानी के अलावा तो कोई है भी नहीं। मेरे मन आया कि मानो या ना मानो बाहर नौकरानी ही है.. पर यह बात मैंने मानसी को नहीं कही। मानसी मेरा लौड़ा चूसने में मसगूल थी… मानसी अब मेरे ऊपर आ गई और लंड को चूत में फिट करने लगी। मानसी मेरे लंड पर धीरे से बैठ रही थी। मेरा लंड अब पूरा मानसी की चूत में था। मानसी धीरे-धीरे ऊपर-नीचे हो रही थी। क्या मजा आ रहा था यारो… मानसी बड़ी गहराई तक मेरा लंड ले रही थी और मुझे भी काफी अन्दर तक उसकी चूत में मेरा लंड महसूस हो रहा था। इतने में मानसी एक बार फिर झड़ गई थी। अब मैंने मानसी से कहा- अब मैं तुमको दूसरे तरीके से चोदता हूँ.. मैंने उसको घुटनों के बल बैठने को कहा। वो वैसे बैठ गई। अब मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया और धक्के लगाने लगा। मेरी नजर मानसी की गान्ड पर पड़ी.. मैंने उसकी गान्ड पर थूक लगाया और एक उंगली गांड में डाल दी। मैं उंगली से उसकी अनचुदी गान्ड को चोदने लगा। चूत में लंड और गान्ड में उंगली से चुद कर मानसी जैसे सातवें आसमान पर उड़ने लगी थी। उसकी आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। ‘आह्ह्ह…आहहहम… उईईई..’ अब मेरी चुदाई की रफ़्तार की कोई सीमा नहीं थी। फिर से लंड ओर चूत की प्यार भरी लड़ाई में हम दोनों की जीत होने वाली थी। मेरी कुछ मेहनत के बाद मेरी मंजिल मुझे सामने दिखाई दे रही थी। कुछ धक्कों के साथ मेरी रफ़्तार और बढ़ गई और मेरे लंड ने एक बार और गरम लावा उसकी रसीली चूत में छोड़ दिया। मैं अब निढाल हो कर मानसी के ऊपर ही लेट गया। मैंने फिर मानसी से धीरे से कहा- शायद बाहर कोई है। मानसी तुरन्त खड़ी हुई और उसने जल्दी से दरवाजा खोल दिया। उसने बाहर देखा तो उसकी नौकरानी ही थी। वो छुप-छुप कर हमारी चुदाई देख रही थी। मालकिन को देख कर वो भागने लगी, पर मानसी ने कहा- रुक जाओ.. वरना अच्छा नहीं होगा। वो रुक गई और उसको लेकर मानसी कमरे में आ गई। मैं और मानसी पहले से ही नंगे थे और उसकी नजर मेरे लंड पर ही टिकी थी। वो घबराई और कांपती हुई हमारे सामने खड़ी थी। मानसी ने मुझसे अंग्रेजी में कहा- श्लोक इसका क्या करें.. अगर यह किसी को बता देगी तो? मैं मानसी को एक तरफ लेकर गया और उससे अंग्रेजी में कहा- देखो मानसी तुम चिंन्ता मत करो.. कुछ नहीं होगा, पर सिर्फ मुझे इसको भी चोदना पड़ेगा। मानसी ने मना कर दिया- नहीं… मैं तुमको किसी के साथ नहीं बाँट सकती.. तुम अब सिर्फ मेरे हो। मैंने मानसी को समझाया- जान.. यह सब मैं तुम्हारे लिए ही कर रहा हूँ.. वरना उसको धमकी देंगे तो अभी नहीं.. पर कभी ना कभी तो किसी को बताएगी और उसको चोदूँगा तो तुम भी कभी बोल सकती हो कि मेरी बात बताई तो तेरी भी बात तेरे पति को बता दूँगी। मानसी ने कहा- ठीक है… पर यह चुदवाने को राजी हो जाएगी? मैंने कहा- उसने हमारी चुदाई देखी है तो उसको भी चुदवाने का मन हुआ होगा.. अगर उसकी पैन्टी गीली होगी तो जरूर चुदवाएगी। ‘हम्म..’ मैंने मानसी को कहा- मैं जैसा बोलता हूँ तुम सिर्फ वैसा करना। मानसी ने कहा- ठीक है। मैंने उसकी नौकरानी को पास बुलाया और डांटा- तुम ऊपर क्यूँ आई.. किसने बुलाया तुम्हें यहाँ आने के लिए… नाम क्या है तेरा बता? वो बहुत डर गई थी… उसने डरते-डरते कहा- मेरा नाम सविता है। फिर मैंने सविता से कहा- देखो, यह बहुत बड़े घर की बहू है.. अगर तुम यह बात किसी को बताओगी तो कोई तुम्हारी बात नहीं मानेगा और इसका कुछ नहीं होगा.. लेकिन यह घर में कहेगी कि सविता को चोरी करते पकड़ा है.. तो सब मान लेंगे और तुम्हारी नौकरी चली जाएगी.. बोलो अब मैं कहूँ वैसा करोगी? सविता ने कहा- नहीं साहब.. मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी.. मुझे माफ कर दो.. आप जैसा कहोगे मैं वैसा करूँगी। मैंने कहा- ठीक है सविता… पहले तो तुम डरना छोड़ दो और अपनी साड़ी निकालो। सविता ने कहा- नहीं साहब.. मुझे जाने दो। मैंने सविता से कहा- जो मैं कहता हूँ.. वो करो। फिर उसने अपनी साड़ी निकाल दी। ‘अब पेटीकोट और ब्लाउज भी उतारो।’ उसने तनिक झिझकते हुए वो भी निकाल दिए। अब वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में थी। साली क्या माल लग रही थी। मेरा लवड़ा खड़ा हो गया। मैंने उठ कर उसकी ब्रा निकाल दी। उसने दोनों हाथों से अपने मम्मों को छुपा लिया। मैंने उसके हाथों को मम्मों से अलग कर दिया और उसके मम्मों को दबाने और चूसने लगा। वो ‘आआआ.. उउऊए..’ करने लगी और जैसे ही मैंने पैन्टी में हाथ डाला तो मुझे पता चल गया कि यह साली तो पहले से ही चुदवाने के लिए तैयार है। मैंने धीरे से उसकी पैन्टी भी उतार दी। फिर मैंने उससे कहा- जाओ और जाकर तीन गिलास वाइन लेकर आओ। वो वैसे ही नंगी रसोई में गई और वाइन लेकर आई। एक गिलास मैंने और एक मानसी ने ले लिया। सविता ने पूछा- तीसरा गिलास किसके लिए है? तो मैंने कहा- तुम्हारे लिए है.. पीओ इसे। तो पहले तो उसने मना किया। फिर मानसी ने कहा तो उसने वाइन पी ली। अब उसको नशा होने लगा.. फिर मैंने उससे कहा- अपनी मालकिन की चूत चाटो। अब वो वाइन के सुरूर में मानसी की चूत चाटने लगी थी। मानसी की ‘आआह… आअह… अआ…’ की आवाजें निकाल रही थीं। मैं सविता के मम्मों को चूस रहा था और उसकी सफाचट चूत के दाने को सहला रहा था। फिर मैं उसकी बुर में दो उंगली डाल कर चोदने लगा और मानसी मेरे लंड को आगे-पीछे कर रही थी। हम तीनों एक-दूसरे में लगे हुए थे। कभी मानसी की मैं चूत चाट रहा था.. कभी सविता मेरा लंड चूस रही थी.. तो कभी मानसी सविता के मम्मों को चूस लेती और दबा देती थी। मैंने पहले सविता की चूत में लंड पेल दिया उसको जोर के झटके लगाने लगा। कमरे में जम कर चुदाई चल रही थी। सविता की आवाज से पूरे कमरे का माहौल बदल गया। सविता मस्ती में बोल रही थी- और करो साहब.. ऐसी चुदाई तो मेरा पति भी नहीं करता साहब.. और जोर से करो… और जोर से करो… और जोर से…. मेरी चूत में आज कुछ महसूस हो रहा है.. साहब क्या लौड़ा है आपका…आआई… वो इतनी मस्त हो चुकी थी कि एकदम से अकड़ गई झड़ गई। अब मैंने मानसी की चूत में लंड डाल दिया और उसकी चूत को पेलने लगा। ‘उऊउऊऊ… मम… हहह…’ वो भी उछल-उछल कर चुदवा रही थी। उसकी चूत ने भी कुछ ही देर में पानी छोड़ दिया। अब मेरा लावा निकलना बाकी था… तो मैंने सविता को घोड़ी बना कर चुदवाने को कहा। उसने तुरन्त घोड़ी बन कर चूत और गान्ड के जलवा दिखा दिए। अब मैंने सविता की गान्ड मारने की सोची उसकी गान्ड में बहुत सारा थूक लगाया और चूत की बजाए गान्ड पर लंड रख दिया। सविता कुछ समझती.. उसके पहले ही लंड का सुपारा गांड में घुस चुका था। उसकी जोर से चीख निकल गई। पर मैंने सिर्फ सुपारा डाल कर थोड़ी देर ऐसे ही रुका रहा। उसके लटकते मम्मों को सहलाया.. फिर जब उसका दर्द कम हुआ तो धीरे-धीरे लंड गान्ड में पेलने लगा। अब पूरा लंड उसकी गान्ड में पेवस्त हो चुका था। अब मैंने धक्के लगाने चालू किए.. मेरी चुदाई की रफ़्तार बढ़ गई। उसका चुदवाने का मजा दुगना होने लगा। मैं सविता की गान्ड को बड़ी शिद्दत से चोदे जा रहा था। गांड मारने का मजा और वाइन का नशा मुझ पर छाने लगा। गान्ड की कसावट ने मेरे लंड को कुंवारी चूत की याद दिला दी। सब कुछ भूल कर कुछ कीमती धक्कों ने मुझे जन्नत की सैर करा दी। मेरा गरम लावा उसकी गांड में पड़ी टट्टी में सन गया। मेरा वीर्य उसकी गान्ड में छूट गया था। मैंने लौड़े को बाहर खींचा और उसको कपड़े से पौंछ कर दोनों के मुँह के पास अपना लंड लगा दिया। मेरे लंड से सविता की गान्ड की महक आ रही थी। मानसी और सविता ने लौड़े को चाट कर वो महक को अलविदा कर दिया। दोस्तो, मेरी कहानी आपको कैसी लगी.. मेरी कहानी पर अपने विचार मुझे जरूर बतायें।
मानसी ने लंड देख कर कहा- यह बहुत अच्छा है कितने इंच का होगा?
हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर।
‘ओए माँ.. मर… गईई…निकालो साहब दर्द हो रहा है।’
मुझे जरूर मेल करें।