Kamsin Kamini Ki Chudai Ka Maja मेरे मन में बहुत ही डर लगा रहता था कि किसी से मैं कुछ कहूँ और वो डांट न दे। एक दिन मेरे साथ ही पढ़ने वाली एक लड़की जिसका नाम कामिनी (बदला नाम) था, वो देखने में तो कयामत थी। मैं उसे बहुत चाहता था लेकिन डर के मारे कभी कुछ कह न सका। वैसे मेरे घर वाले और उसके घर वाले काफी करीब थे, लेकिन हम दोनों की जातियां अलग थीं। उसका घर मेरे घर के पास में था, मैं उसके घर कुछ काम से गया तो वो अकेली घर में बैठी थी। मैंने देखा घर में कोई नहीं है, मैंने उससे हिम्मत करके कहा- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। उसने कुछ भी नहीं कहा, मैं डर गया… कहीं किसी को बता ना दे। फिर मैंने कहा- तुमने कोई जबाव नहीं दिया? तो उसने कहा- ये तो सभी लड़के कहते हैं। मैंने कहा- मैं तो करता भी हूँ। मैं उसके पास बैठ गया, इधर-उधर की बातें करने लगा। फिर मैंने उसके हाथ पकड़ कर चूम लिए, तो उसने कहा- इन्हीं सब बातों के कारण मैं तुमसे कभी अपने प्यार का इजहार नहीं किया.. मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ। तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई और हम अपनी प्यार-मुहब्बत की बातें शुरू की, कुछ देर बाद मैंने उससे चुम्बन करने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया। वो चाय लेने के लिए कह कर रसोई में चली गई। मैंने उससे पूछा- बाकी लोग कहाँ हैं? तो उसने कहा- शादी में फैजाबाद गए हैं। तो मैंने पूछा- कब आएंगे? तो वो बोली- दो दिन बाद.. फिर क्या था मेरे मन में मोर नाचने लगा। मैं उसके पीछे रसोई में चला गया और उसको पीछे से अपनी बाहों में भर कर उसके मम्मे दबा दिए। उसने कहा- छोड़ो.. लेकिन मैं उसे दबाता ही रहा और वो छुड़ा रही थी। कुछ देर बाद वो मस्त होने लगी और मैं उसे चूमने लगा.. अब वो भी साथ देने लगी। फिर क्या था दोस्तो.. मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसकी चूत को ऊपर से ही मसलने लगा.. वो सिसकारियाँ भरने लगी। वो मुझे अपनी बाहों में भर कर दबाने लगी। मैंने उससे बिस्तर पर चलने के लिए कहा, तो उसने कहा- नहीं.. ऊपर से जो करना है.. कर लो.. अन्दर से नहीं कुछ करने दूँगी। मैं भी मान गया, लेकिन मैंने कहा- बिस्तर पर चलते हैं। वो मान गई, फिर कुछ देर तक हम चुम्बन करते रहे। मैंने उसके मम्मे खूब दबाए और चूत रगड़ता रहा। मेरे दिमाग में एक आइडिया आया, मैंने अपना 8 इंच का असलहा निकाल कर उसके हाथ में दे दिया। वो देख कर चौंक गई और बोली- हाय इतना बड़ा.. मैं तो मर जाऊँगी। मैंने कहा- तुम्हारे अन्दर तो करना नहीं है.. तो डरने की कोई बात नहीं है.. तुम अपने हाथ से मुठ मारो। वो राजी हो गई। फिर मैंने कहा- यार आज तक मैंने चूत नहीं देखी है.. प्लीज़ एक बार दिखा दो.. कुछ करूँगा नहीं। मेरे बहुत कहने पर वो तैयार हो गई। फिर मैंने उसकी सलवार और कमीज निकाली। उसके अन्दर काले रंग की ब्रा और पैंटी देख कर मेरा तो हाल ही बेहाल हो गया। मैं उसे ऊपर से ही दबाता रहा, वह भी पागल सी हो गई थी। फिर मैंने ब्रा का हुक खोला तो क्या मस्त नजारा था.. सख्त मम्मे थे.. मुँह में मम्मों को भर कर पीने लगा। वो सिसकारियाँ भरती रही.. पूरा कमरा सिसकारियों से गूंज रहा था। फिर एक हाथ से उसकी पैंटी उतारी और दोनों टांगों के बीच में जाकर देखा तो क्या फूली हुई चिकनी चूत थी जो मेरी कल्पनाओं से भी परे थी। फिर मैंने उससे लंड मुँह में लेने के लिए कहा.. तो वो बोली- छी.. गंदा लगेगा। मैंने भी जोर नहीं दिया। मैं उसकी दोनों जांघों के बीच बैठ कर चूत की फांकों में ऊँगली से रगड़ रहा था, उससे पानी निकल रहा था। वह बोली- छोड़ो.. नहीं तो मर जाऊँगी। मैंने कहा- बस थोड़ा और करने दो.. मजा आ रहा है। वो आखें बंद करके सिस्कारियां ले रही थी। इतने में मैं अपना पैंट उतार कर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. और उसके विरोध को न देख कर मैं लंड उसके छेद पर लगा कर रगड़ने लगा। वह पूरी पानी-पानी हो गई थी। मुझे लगा कि उसका काम हो गया, मैंने भी उसके ऊपर झुक कर एक झटका लगा दिया। मैंने कहा- कामिनी मेरी जान.. सॉरी.. बस अब कुछ नहीं करूँगा.. दर्द बस अभी खत्म हो जाएगा प्लीज़.. मैं उसके मम्मे चूसता रहा.. कुछ देर बाद वह फिर सिसकारियाँ लेने लगी और मैंने फिर एक झटका लगाया तो लौड़ा पूरा अन्दर चला गया। मैंने फिर उसे चूमने लगा और फिर वो भी साथ देने लगी। उसके बाद क्या था.. अब असली महासंग्राम शुरू हुआ.. ले धकम पेल.. ले राजा ले.. चालू हो गया। वो ‘ऊई मेरे राजा.. पेल कस के.. पेल.. और अन्दर पेल.. इसकी चूलें हिला के.. रख दे.. बहुत परेशान कर रही थी.. मेरे जानू और अन्दर डालो…’ पांच मिनट तक ऐसे ही चला फिर मुझे कस कर पकड़ कर बांहों में भर लिया और सिसकारियों के साथ झड़ गई। कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे.. फिर उठ कर देखा तो बिस्तर की चादर खून से गीली थी। हमने उसे हटा कर खुद को भी साफ किया। फिर वो चाय बना कर लाई.. हम दोनों ने एक साथ चाय पी। उसके बाद फिर से दो बार और चुदाई हुई। दूसरी बार की चुदाई काफी लंबी चली और उसके बाद मैंने उसको मेडिकल स्टोर से दवा लाकर दी। अब हमें जब भी मौका मिलता है, हम अपना कार्यक्रम चालू कर देते हैं। फिर 6 साल बाद उसकी शादी हो गई वो अपने ससुराल चली गई। तब से वैसी लड़की नहीं मिली, जो जोरदार चुदाई कर सके। यह थी मेरी और कामिनी की कहानी। आपको मेरी कहानी अच्छी लगी उआ बुरी, मेल करना मुझे !
मेरी उम्र इस समय 30 साल की है, मैं यह कहानी तब की लिख रहा हूँ जब मैं 18 साल की उम्र में था।
मैं लखनऊ से हूँ और मेरी लम्बाई 5 फुट 10 इंच की है। मेरा जिस्म भी ठीक-ठाक है और मैं पढ़ाई में भी अच्छा स्टूडेंट था। लेकिन मेरी किसी लड़की से दोस्ती नहीं थी और मैं हमेशा से ही लड़कियों के साथ चुदाई करने की इच्छा रखता था।
उसकी भी उम्र 18 की थी, उसका रंग गोरा था और जिस्म का माप 30-32-30 का था।
मैं ब्राह्मण परिवार से हूँ और वो राजपूत है।
उसको भी मेरी बातों में मजा आ रहा था।
वो एकदम गरम हो गई लेकिन चुदाई के लिए राजी नहीं हुई।
मेरा मन तो किया कि मैं उसे चाटूँ.. लेकिन उसने मना कर दिया।
उसने जोर से सिसकारी भरी और ‘ऊई ऊई’ करके अपनी शरीर को आगे की तरफ खींचा और उसकी बुर से पानी निकलने लगा।
मेरा लंड उसके पानी से चिकना तो हो ही गया था और एक झटके में आधा अन्दर चला गया।
वो जोर से चिल्लाई…
मैंने अपने हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया उसकी आँखों में आँसू आ गए थे।
वो मुझे जबरदस्ती अपने ऊपर से हटाने लगी थी.. वो कह रही थी- मैंने तुमसे कहा था ना कि ये सब नहीं करना?
मैं भी दो-तीन झटकों के साथ अन्दर ही झड़ गया।
मैं आज भी उसकी याद में मुठ मार लेता हूँ।
