Sharm Haya Lajja aur Chudai ka Maja-4 हम दोनों एक-दूसरे को चूम रहे थे तभी रोहन ने मेरी पैन्ट खींची। अब वो मेरी चूत को मेरे पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा। इधर मैं भी मस्त होकर निशा को चूमते हुए उसके स्तनों का स्वाद ले रही थी और निशा मेरे स्तन दबाए जा रही थी। फ़िर रोहन ने भी उसकी जीभ मेरे नाभि पर रख कर मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रहा था। मेरी नाभि पर चूमने के बाद थोड़ा नीचे जाते हुए वो मेरी चूत पर अपनी जीभ चलाने लगा। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद उसने मेरी पैन्टी भी निकाल दी और मेरे पैरों को फैला कर मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी। इसी के साथ निशा भी रोहन का साथ देने लगी और उसने भी मेरी चूत में अपनी जीभ डाल कर उसका स्वाद लेने लगी। अब वो दोनों मेरी चूत पर टूट पड़े थे। यहाँ मैं सोफ़े को पकड़े हुए सिस्कारियां ले रही थी- आआह्ह्ह्ह्ह… आआआ… उम्मुम्म्मु… मेरी खुशी का तो अब ठिकाना ही नहीं था, मैं मस्त होकर उन दोनों के साथ मजे ले रही थी। तभी निशा खड़ी हुई और रोहन के लंड को हाथ में लेकर उसे हिलाने लगी, वो बड़े ही प्यार से रोहन के लंड को आगे-पीछे किए जा रही, मैं वही सोफे पर पड़े हुए निशा को देख रही थी और अपनी चूत में उंगली डाले जा रही थी। अब निशा ने भी अपनी पैन्ट उतार दी और पूरी तरह से नंगी होकर अपने पैरों के बल बैठ गई और रोहन के लंड को अपने मुख में भर लिया। उसका एक हाथ अपने स्तनों पर था जिससे वो उन्हें मसल रही थी और दूसरा हाथ रोहन के लंड पर था जो आगे-पीछे हो रहा था। वो बड़े ही मजे के साथ रोहन के लंड को चूसे जा रही थी। कुछ देर बाद रोहन मेरे मुँह के पास आया और अपने लौड़े को हिलाते हुए खड़ा हो गया। मैं इस बात से राजी नहीं थी तो मैंने उससे लौड़ा मुँह में लेने से मना कर दिया, पर वो बहुत जिद किए जा रहा था, फ़िर भी मैंने उसकी बात नहीं मानी। इसी दौरान निशा ने मेरे पैर फ़ैलाए और मेरी चूत में जीभ डाल दी और जोर-जोर से मेरी चूत पर अपनी जीभ को रगड़ना शुरू कर दिया। इसी वजह से मेरे मुँह से आवाज निकल गई। मेरी आवाज के निकलते ही रोहन ने मेरे मुँह में उसका लौड़ा पेल दिया और ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। पहले तो मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था, पर फ़िर मैं भी मजे से उसका लंड चूसने लगी। एक तरफ़ रोहन मेरे मुँह में लौड़ा डाले हुए था और दूसरी ओर निशा मेरी चूत में अपना मुँह डाले हुए थी, मानो मैं तो ऊपर और नीचे दोनों ओर से चुदी जा रही थी और इस बार तो मुझे आवाज निकालने के लिए भी जगह नहीं थी। अब पूरे कमरे में बस हमारा ही शोर था। हम सब पसीने से लथपथ थे और मजे लिए जा रहे थे। थोड़ी देर के बाद रोहन का पानी निकलने वाला था, अब वो और भी जोर से मेरे मुँह में लण्ड पेलते गया। मैं कुछ समझ पाती उसके पहले उसने अपना सारा पानी मेरे मुँह में ही छोड़ दिया। अब मैंने भी अपना मुँह साफ़ किया और वहीं सोफ़े पर पड़ी रही। तभी निशा खड़ी हुई और रोहन से कहने लग़ी- जानू अब बस बहुत हुआ.. अब तू हम दोनों को चोद डाल बस… अब मैं भी रोहन से यही कह रही थी- हाँ.. जान आज चोद दे मुझे और कर दे मेरी इस चूत को आजाद, अब मैं और नहीं सह पाऊँगी.. चोद दे मेरे राजा आअअह्ह्ह… फ़िर रोहन भी कहने लगा- क्यों नहीं मेरी रण्डियों.. आज मैं तुम दोनों को बहुत जोरों से चोदूँगा.. चलो अब चुदाई करते हैं। इतना कह कर रोहन मेरे पास आया और मेरी चूत पर उसका लंड सैट करने लगा। निशा फ़िर बोल पड़ी- रोहन, मेरी जान पहले मेरी चूत चोदो ना.. इस पर रोहन ने कहा- हाँ मेरी जान.. तुझे भी चोदूँगा, पर पहले इस रण्डी की सील तो तोड़ दूँ। रोहन ने अपने लौड़ा मेरी चूत पर सैट कर लिया और हल्के से उसने लौड़े को मेरी चूत में धक्का दिया, इस पर मेरी चीख निकल पड़ी- ऊऊईई… आआअ…मर्रर गईइ मैं तो आअह्ह्ह… मेरी और चीखें ना निकले, इसके लिए निशा मेरे पास आई और मेरे मुँह पर अपना मुँह चिपका दिया। फ़िर रोहन भी थोड़ा रुका और मेरा दर्द कम होते ही उसने फ़िर से धक्का लगाना शुरू कर दिया। अब वो धीरे-धीरे आगे-पीछे करते हुए मेरी चूत में उसका लंड पेल रहा था। फ़िर निशा भी खड़ी हो गई और अपना एक पैर कुछ इस तरह से रख दिया कि अब उसकी चूत मेरे मुँह से टकरा रही थी और रोहन मुझे धक्के लगाए जा रहा था। मैं भी निशा की चूत को पूरे मजे के साथ चूसने लगी। निशा भी अब पूरे रंग में थी। यहाँ रोहन ने भी अपने धक्के तेज कर दिए और पूरे जोश में मुझे चोदना शुरू कर दिया। अब कमरे में बस ‘फ़च फ़च फ़च… चिक चिक चिक…’ आवाजें गूँजने लगी। हमारे साथ ही पूरा सोफ़ा भी हिल रहा था। फ़िर रोहन ने लौड़ा मेरी चूत से निकाला और उसे हिलाते हुए खड़ा हो गया। मैं भी वहाँ से उठ कर खड़ी हो गई और रोहन के लौड़े को फ़िर एक बार चूसने लगी। तभी निशा आई और उसने मुझे धक्का दिया और रोहन से कहने लगी- अब मेरी मार साले.. मैं भी तड़प रही हूँ। इस रोहन ने कहा- हाँ.. अब तो तेरा ही नम्बर है.. जानू तेरी चूत बहुत बार मारी है, मैंने आज मैं तेरी गाण्ड मारूँगा। इतना कह कर उसने निशा को कुतिया के जैसे बनाया और पीछे जाकर उसकी गाण्ड में लंड पेल दिया। इस पर निशा जोर से चिल्लाई- साले हरामी… धीरे कर मैं कोई रण्डी नहीं हूँ भोसड़ी के.. वो रोहन को गाली बकने लगी, रोहन भी अब उसे गाली देने लगा- साली रण्डी की बच्ची… आज तो मैं तुझे कुतिया के जैसे ही चोदूँगा… फ़िर रोहन निशा को और भी जोर से चोदने लगा, निशा भी सिसकारियाँ ले रही थी और अपने स्तनों को मसले जा रही थी। फ़िर मैंने भी फ़िर से निशा की चूत को चाटना शुरू कर दिया। निशा मेरे सर को दबा कर अपनी चूत चटवा रही थी। करीब 15 मिनट तक चुदाई के बाद रोहन झड़ने वाला था तो निशा बोली- रुक मेरे राजा.. मुझे तेरा पानी पीना है.. चल रिया, हम इसका पानी पीती हैं। मैं भी बोल पड़ी- हाँ निशा.. मुझे भी पीना है.. इस रण्डीबाज का पानी.. हम दोनों रोहन के लौड़े पर टूट पड़े और बारी-बारी से उसे चूसने लगे। तभी रोहन के लवड़े ने पानी निशा के शरीर पर छोड़ा, निशा के पूरे स्तनों पर अब रोहन का वीर्य था। मैंने भी निशा के स्तनों को चूमते हुए सारा वीर्य पीकर साफ़ कर दिया। रोहन भी सोफ़े पर जाकर लेट गया था, तो हम दोनों भी सोफ़े पर गए और फ़िर एक बार रोहन के शरीर पर चूमने लगे। मैं- निशा यार, तूने मुझे आज खुश कर दिया, ऐसा मजा मैंने पहले कभी नहीं किया… थैंक्स यार!! निशा- अरे थैंक्स बोलना है तो रोहन को बोल.. उसने ही आज हम दोनों को जन्नत दिखाई है। मैं- थैंक्स रोहन.. आज तुमने मुझे चोद कर बहुत खुशी दी है.. मैं अब से तुम्हारी दीवानी हूँ। रोहन- अरे रिया मेरी जान… तू अब ऐसे ही मेरे पास आया कर, मैं तुझे इससे भी ज्यादा मजा दूँगा। मैं- सच में आज मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा दिन है.. आज तुम दोनों ने मुझे बहुत मजे करवाए हैं। फ़िर थोडी देर बाद हम लोग फ़िर से एक बार चुदाई का खेल खेलने के लिए तैयार हो गए। रोहन ने फ़िर हम दोनों की बारी-बारी से गाण्ड और चूत दोनों मारी, उस दिन पूरे दिन भर हम ऐसे ही मजे करते रहे। मैंने निशा से कॉलेज के प्रोजेक्ट के बारे में पूछा तो उसने मुझसे हँसते हुए कहा- वो तो तेरी चुदाई में ही पूरा हो चुका है। मैं समझ गई कि इसका मकसद मुझे चुदाई में खोलना था। उस दिन के बाद मैंने बहुत बार चुदाई का आनन्द लिया। तो मित्रो, कैसी लगी आप सबको मेरी यह कहानी, मुझे जरूर बताना और साथ ही मैं जयेश जी का भी धन्यवाद करती हूँ कि उन्होंने मेरी कहानी लिखने में मेरी सहायता की। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर बताना।
यहाँ मैं भी अब सोफ़े पर लेट गई थी, फ़िर रोहन मेरे पैरों के पास आया और निशा मेरे मुँह के पास आ कर खड़ी हो गई।
मैंने निशा का हाथ पकड़ कर उसे नीचे खींचा और उसके मुख पर चूमने लगी।
अब आगे का नजारा देखने लायक था… निशा अपने पैरों के बल बैठी हुई रोहन के लंड को चूसे जा रही थी।
उसका मुँह भी रोहन के लौड़े पर बड़े ही मजे से आगे-पीछे हो रहा था। निशा किसी पोर्न-स्टार से कम नहीं लग रही थी।
तब तक मैं अकेले ही अपने आपको मजा दिए जा रही थी।
वो कहने लगा- चल रिया रानी… तैयार हो जा.. मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेने के लिए!
यह सब इतने जल्दी हुआ कि मैं उसे रोक भी नहीं पाई।
वो मुझे जोर चूमने लगी।
फ़िर रात में मैं अपने घर चली आई।
