Shadi me Nazar Mili, Choot Chudai मैं बचपन से ही बड़े शर्मीले स्वाभाव का रहा हूँ, इसलिए लड़कियों से दूर ही भागता था। खैर… जाने दो ये थी मेरी पुरानी पहचान, मगर मैं अब वैसा नहीं रहा। उसकी एक वजह भी है जो आप समझ रहे होंगे। मैंने एक दोस्त से अन्तर्वासना के बारे में सुना और मैंने कुछ कहानियाँ पढ़ीं, जो मुझे काफ़ी पसंद आईं और इन्हीं कहानियों से मुझे अपने साथ घटी एक घटना याद आ गई जो मैं आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह घटना उन दिनों की है, जब मैं बारहवीं कक्षा में था। तब मैं और मेरे पिताजी एक रिश्तेदार के यहाँ शादी के लिए गए थे। हमारे वहाँ जाने के बाद ही कुछ देर बाद और रिश्तेदार वहाँ आ गए जिनमें एक खूबबसूरत लड़की भी आई हुई थी। मैं उसकी ओर देखने लगा, मैंने आज तक किसी लड़की को ऐसे देखा नहीं था, मैं उसे देखता ही रह गया। उसने भी मेरी ओर देखा तो मैंने झट से अपनी नजर हटा दीं, जिससे वो हल्की सी मुस्कुराई, मुझे उस वक्त थोड़ी शर्म महसूस हुई। करीब एक घंटे बाद मेरी और उसकी फिर से नजर मिलीं। इस बार मैंने अपनी नजर नीचे नहीं झुकाईं और ना ही उसने नजरें नीचे कीं। मैंने उसके नजदीक जाकर बात करने की हिम्मत की और उसकी बातों से पता चला कि वो मेरी बुआ के पड़ोस में रहती है। हमने कुछ देर इधर-उधर की बातें की, उसके बाद रात को खाना खाने के बाद मैं छत पर सोने के लिए चला गया। मैंने देखा कि छत तो पूरी तरह मेहमानों से भरी हुई थी और मुझे नींद आ रही थी तो मैं एक ओर थोड़ी जगह देख कर वहाँ चला गया। ठण्ड का मौसम था तो सब रजाई ओढ़ कर सो गए थे, इसलिए मेरे बगल में कौन था, यह देखे बिना ही मैं सो गया। उसके बाद ठण्ड कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी तो मुझे झट से नींद लग गई। रात को करीब एक बजे मेरी नींद खुली तब मैंने अपने लण्ड के ऊपर किसी के हाथों का स्पर्श महसूस किया। मैंने थोड़ी सी आँखें खोलकर देखने कि कोशिश की। मैंने देखा कि वही लड़की मेरे बगल में लेटी हुई थी, शायद वो रात को मेरे बगल में सोई हुई थी। यह जानकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और मुझे थोड़ी सी बेचैनी होने लगी, मगर मैंने उसका हाथ हटा दिया और सोने की कोशिश करने लगा, पर अब तो मेरी नींद ही उड़ चुकी थी। मेरे दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आने लगे थे। अचानक उसका हाथ फ़िर से मेरे सीने पर पड़ा, अब मुझसे रहा नहीं गया। मगर उसका कोई विरोध ना पाकर मैंने मेरा हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया और हल्के हाथ से चूचियाँ सहलाने लगा। मुझे और थोड़ा मजा आने लगा और वो विरोध भी नहीं कर रही थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई थी, मैं उसकी चूचियाँ जोर से दबाने लगा और मैंने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया। फ़िर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। अब शायद वो जग चुकी थी, मगर उसने आँखें नहीं खोली थीं। मैंने अपनी जुबान उसके मुँह के अन्दर डालनी शुरु की, तो उसने अन्दर ले ली। अब मैं पूरी तरह निश्चिंत हो गया था और उसके रसीले होंठों का रसपान कर रहा था। चूमने और चूसने के साथ ही साथ मैं उसकी चूचियों को भी मसल रहा था। वो सिसकारियाँ भर रही थी और मैं जोर-जोर से उसे चुम्बन कर रहा था। उसके बाद मैंने अपना हाथ उसके पेट से होते हुए उसकी चूत पर ले गया और सलवार के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा, पर उसने मेरा हाथ पकड़ कर बगल में कर दिया। शायद उसे गुदगुदी हो रही थी। मैंने उसका ध्यान बंटाने के लिए उसे चुम्बन करने में उलझाए रखा और चूत को फ़िर से सहलाने लगा। वो सिहर रही थी और अपने मुँह से न जाने अलग-अलग सी आवाजें निकाल रही थी। वो आवाजें सुन कर मैं और भी जोश में आ जाता था। बड़ा मजा आ रहा था दोस्तो! कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूत गीली हो रही है, तो मैंने उसे सहलाना छोड़ दिया। उसने मेरे कानों में कुछ कहा, मैं कुछ समझ पाता वो वहाँ से उठ कर चली गई। मैं समझा वो मुझसे नाराज हो गई है। फिर मैं उस की राह देखने लगा, पाँच मिनट उसकी राह देख़ने के बाद मैं भी उठा और उसे नीचे देख़ने निकल पड़ा। मैंने देखा कि वो एक कमरे के बाहर ख़ड़ी थी। मैंने उससे जाकर पूछा, तो उसने बताया कि वो मेरा इंतजार कर रही थी। मैंने वजह पूछी तो कहने लगी- वहाँ सबके साथ अजीब महसूस हो रहा था। मैं उसकी बातें समझ गया। उसके बाद हम दोनों उस कमरे में चले गए। कमरा काफ़ी बड़ा और पुराना था, वहाँ शायद कोई आता-जाता भी नहीं था। अन्दर जाते ही मैंने उसके गालों और होंठों को चूमना शुरू किया और वो भी मुझे अपने गले लगाकर मेरा साथ देने लगी। मैं फ़िर से चूचियां सहलाने लगा। अब मैंने उसके कपड़ों के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगा और वो भी मेरे पैन्ट के अन्दर हाथ डालने लगी और मेरे लण्ड को अपने हाथों से टटोलने लगी। मैं तो जैसे अब दीवाना ही हो गया था। अब वो कमर के ऊपर बिना कपड़ों के मेरे सामने ख़ड़ी थीं। अब मुझे सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी तो मैंने अपना मुँह हटा लिया। अब मैं उसकी चूत की ओर बढ़ा। मैंने उसकी सलवार उतार दी और उसकी चूत को ख़ुली कर दी। उसने कहा- अब मुझे ज्यादा मत तड़पाओ.. जल्दी से मेरी आग बुझा दो। तो मैंने देर करना ठीक नहीं समझा और खड़ा हो गया। मैंने उसको वहीं जमीन पर लेटने के लिए कहा और मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आकर लण्ड के सुपारे को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। मुझे पता था कि इसको अन्दर डालने से उसे दर्द होगा और वो चिल्ला उठेगी तो मैं उसके होंठों को चूसने लगा और चूसते-चूसते ही चूत के अन्दर मेरे लण्ड को धीरे से पेलने लगा। जैसा मैंने कहा था, लंड के घुसते ही उसे दर्द महसूस हुआ और वो तड़पने लगी, उसकी आँसू निकल आए और वो रोने लगी। उसकी चूत कसी होने के वजह से मुझे भी थोड़ा सा दर्द हुआ, पर मैं धीरे-धीरे लण्ड को धक्के मार कर अन्दर पेलने लगा और पूरा लौड़ा अन्दर पेल दिया… उसकी चूत में से खून निकला, यह देख कर वो डर गई… पर मेरे समझाने पर वो चुप हो गई। मैं अभी भी उसके होंठों को चूस रहा था। कुछ देर बाद शायद उसका दर्द कम हुआ तो वो मेरी पीठ हाथ से सहलाने लगी और मुझे चुम्बन करने में पूरा साथ देने लगी। वो अपनी आँखें बंद करके मजा ले रही थी और मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था। वो मजे ले ले कर जोर-जोर से ‘ऊह्हऽऽ आह्हऽऽ उई माँऽऽऽ… आह्हऽऽऽऽ मर गईऽऽ..’ ऐसी आवाजें निकाल रही थी और पूरा कमरा उसकी इस तरह की आवाजों से भर गया था। ऐसे करीब 15 मिनट तक चला, उसका बदन सिकुड़ने लगा और उसकी चूत गीली होने लगी। मैं भी अब झड़ने वाला था तो मैंने उससे पूछा- क्या करूँ? तो उसने कहा- मैं चख़ना चाहती हूँ। तो मैंने बाहर निकाला और उसने झट से अपना मुँह आगे कर दिया, तो मैंने उसके मुँह में लौड़ा डाल दिया और कुछ ही पलों में मैं झड़ गया। उस वक्त मैं एक अलग ही दुनिया में चला गया था। वो मेरा पूरा वीर्य गटक गई और चूस-चूस कर मेरे लण्ड को उसने साफ़ कर दिया। कुछ देर बाद मैं और वो पूरी तरह निढाल होकर एक-दूसरे को गले लगा कर जमीन पर ही लेटे रहे। कुछ देर बाद मैंने और उसने कपड़े पहन लिए और एक लंबी सी चुम्मी करके वहाँ से छ्त पर सोने के लिए चले गए। उसके बाद शादी के दिन क्या हुआ, ये मैं आपको अगली बार बताऊँगा। दोस्तो, आपको मेरी यह सच्ची कहानी कैसे लगी? मुझे मेल करके जरूर बताइएगा।
दोस्तो, मैं पुणे का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 21 साल है।
मेरे दोस्त भी इस बात का मेरा मजाक उड़ाते रहते थे।
शादी-ब्याह का घर था तो बहुत सारे रिश्तेदार शादी के लिए आए थे। हम करीबी रिश्तेदार थे तो हमें दो दिन पहले ही वहाँ जाना पड़ा था।
हम काफ़ी देर तक एक-दूसरे को देखते रहे।
उसका हाथ मेरे लण्ड पर था।
मैंने भी अब उसके पेट पर अपना हथ रख दिया और धीरे-धीरे उसके पेट को सहलाने लगा।
उसे भी शायद मजा आ रहा था।
मैंने धीरे से उसके चूचियों को कपड़ों के अन्दर से बाहर निकालने लगा, पर उसने ही झट से उसका टॉप निकाल कर फ़ेंक दिया।
मैं उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा और वो मस्त होकर ‘ऊह.. ऊह्ह्ह ऽऽऽ आह्ह्ह ऽऽऽऽऽऽ..’ जैसी आवाजें निकालने लगी।
अति-उत्तेजना में वो मेरे बालों को पकड़ कर अपनी चूचियों पर मेरा सर दबाने लगी।
वाह…क्या चिकनी चूत थी।
मैंने आज तक नंगी चूत देखी नहीं थी, तो मैं उसकी चूत को बड़े ध्यान से टटोलने लगा और अपने मुँह से चूसने लगा। वो मादक सी आवाजें निकालने लगी।
उसे बहुत दर्द हो रहा था, वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी, पर मैंने उसे अच्छे से पकड़ रख़ा था, इसलिए वो मुझसे छूटने में नाकाम रही।
तो मैं सब कुछ समझ गया, मैंने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी और उसके होंठों से मुँह हटा कर उसकी चूचियों पर रख कर चूचियाँ चूसने लगा।
शुक्रिया।
