Bahakte Zajbaat Dahakta Jism-3 फिर मैंने ब्रा पहनकर सोचा कि पेंटी पहनने के लिए घूम जाऊँ ताकि मेरी चूत की कुछ झलक तो उसे दिखाई दे ही जाएगी। मैं घूम गई, अब मेरा चेहरा जीतू की तरफ था लेकिन मैंने उसे देखने की चेष्टा नहीं की, दोनों टांगों को फैलाकर तौलिये से एक बार फिर अपनी गीली हो रही चूत को सहलाते साफ किया जो उसने देख ली होगी। फिर मैंने आगे झुककर अपने स्तनों की भरपूर झलक दिखाते हुए पेंटी पहन ली। अब ये सब करते मुझे अच्छा लग रहा था। योजना के अगली चाल के तहत मैंने मेक्सी उठाई और उसे पहनने से पहले ही जीतू को देखते हुए चीखना था सो मैंने वही किया ! मैं उसे डांटने वाले अंदाज में चिल्ला उठी- जीतू तूऊऊऊऊऊ यहाँ? फिर चीखते हुए घबराकर मेक्सी लेकर रसोई में भाग गई। इसे कहते हैं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे… दस मिनट बाद मैंने अपना त्रिया चरित्र दिखाते हुए रूहांसी होकर नजरें नीचे किये जीतू के पास गई। वो अब भी बदहवास सा मुझे देख रहा था ! मैंने कहा- मुझे मालूम नहीं था कि तू घर पर ही है। मैं इस कमरे में भी नहीं आई थी, बहुत गर्मी लग रही थी तो हमेशा की तरह नहाने चली गई और बिना कपड़ों के निकल कर बाहर आ गई, यहाँ घर में अकेली रहती हूँ तो ऐसे ही आदत सी हो गई ! मुझे याद भी नहीं रहा कि तू गाँव से आया हुआ है और अन्दर के कमरे में हो सकता है, नहीं तो दरवाजा खोलने तुझे ही बुला लेती ! कहकर मैंने रोने का नाटक किया ! तब जीतू बोला– दीदी, आप नहानी में से नहाकर निकली तो मैं आपसे कुछ बोलता, उसके पहले ही आप ने अलमारी के पास आकर तौलिया हटा दिया। आपको इस स्थिति में देख मैं चाहकर भी कुछ बोल नहीं सका आप जीजू को यह बात मत बताना, नहीं तो वो मेरा यहाँ आना बंद कर देंगे, फिर इस शहर में आपके अलावा मेरा है ही कौन ! नजरें नीची किये मैं उसके लोअर का मुआयना करते हुए उसका हाथ थामकर अपनी छाती पर रख लिया और अपने स्तनों पर मसलते हुए बोली- जीतू, मैं तुम्हारे जीजू को नहीं कहूँगी, तुम भी इस बात की कभी किसी से भी चर्चा नहीं करेगा। मेरी कसम खा और अपना दूसरा हाथ उसके कंधे पर रख दिया ! और रोने का नाटक करते हुए उससे लिपट गई। जीतू ने मेरा कोई ज्यादा विरोध नहीं किया, बस इंकार वाले लहजे में कसमसा कर अपने को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रहा था, उसका हाथ अब भी मेरे स्तनों पर था, जिसे मैं थामे हुए थी जिससे उसकी उत्तेजना जागृत हो जाये ! वो कुछ समझ पाता, उसके पहले ही मैंने अपना हाथ उसके उठे हुए लोअर पर रखा तो करंट सा लग गया, उसका लण्ड कड़क होकर तन्नाया हुआ था, इसका मतलब मुझे नग्न देखने के बाद उसकी जवानी जोश मारने लगी है और मेरा रास्ता खुलता गया। मैं उसके ऊपर पूरी तरह से सवार होकर उसे दबोच लिया, अपनी दोनों जांघों के बीच उसके उठे हुए लोअर को भींच कर अपने स्तनों से उसको अपने काबू में देख अपने कमर को थोडा ऊपर उठाकर अपनी मेक्सी और ब्रा निकल फेंकी। मेरे इस रूप को देख वो भी मुझसे लिपट गया। आखिर मक्खन को आग के संपर्क में आकर पिघलना ही पड़ता है ! अब उसने मेरे स्तनों को अपने लबों से सहलाते हुए चूसना शुरू कर दिया और अपने कठोर हाथों को मेरी पेंटी में डालकर मेरे मुलायम और गुदाज नितम्बों को सहलाने लगा। आह्ह्ह्ह… स्स्स्सस्स्स्स के स्वर लहरियाँ मेरे मुख से निकलने लगी, मैंने अपने हाथों को नीचे ले जाकर उसका लोअर और कच्छा नीचे सरका दिया, फिर अपनी टांगों की मदद से उन्हें बाहर निकाल दिया। आऐईईई… आह्ह… जीतू… उसका खड़ा लण्ड कुछ गीला था जो मेरी पेंटी के साथ मेरी बुर में चुभने लगा। ‘ओ स्स्स्स !’ अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। जीतू मेरे अंगो को सहलाते हुए चूमे जा रहा था, मेरी पेंटी पिचपिची गीली होकर मेरी चूत के छेद पर चिपक गई थी। अगर कुछ देर और करती रहती तो मेरा माल ही निकल जाता। अच्छी तरह गीले हो चुके लण्ड को अपनी बुर के मुहाने पर सेट किया और दबाव बनाती चली गई, उसका लण्ड मेरी योनि में समां गया आह्ह्ह… स्सस्स… फिर मैंने अपने चूतड़ों को हिलाते हुए लण्ड को को अन्दर बाहर करना शुरू किया, मेरे स्तनों को झूलता देख जीतू ने उन्हें थामकर सहलते हुए मसल डाला। ‘उईईईइ…माआह… आह्ह्ह’ करते हुए मैं स्पीड बढ़ाती जा रही थी, दोनों ही मादक सीत्कारों के साथ एक दूसरे से गुथे हुए थे। चंद मिनट बाद जीतू मुझसे लिपट गया और उसका गरम लावा जैसा वीर्य मेरी चूत में भरता चला गया। उन्ही क्षणों में मेरे बदन ने अकड़न हुई और हम दोनों एक साथ स्खलित होकर एक दूसरे में समाने के लिए चूमते हुए लिपट कर निढाल हो गए ! इस सम्भोग में हम दोनों को अदभुत यौनानन्द प्राप्त हुआ। उसने यह भी बताया- ब्लू फिल्में तो मैंने कई देखी हैं पर सेक्स आज पहली बार किया है, पर हस्तमैथुन कई बार कर चूका हूँ ! जीतू अब बेशर्म होकर मेरे नंगे जिस्म से खेलने लगा और मेरे बदन के हर अंग को मसलते हुए चूमने चाटने लगा, यहाँ तक कि मेरी चूत को भी चाटते हुए चूस डाला। इस चुसाई से तो मेरी आहें निकलने लगी थी, मैं भी उसके लण्ड को अपने हाथों से सहलाते हुए आगे पीछे करते हुए दोबारा खड़ा करने में जुटी थी। बीच बीच में उसके लण्ड को अपने होंठो से चूमते हुए जीभ से चुबला देती। जल्दी ही उसका लण्ड कडक हो गया। अब मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया और अपनी जांघों को फैलाते हुए टांगों को ऊपर उठा लिया। जीतू ने भी देर न करते हुए मेरे भट्टी जैसे तपती चूत में अपना गरम लौड़ा डाल दिया और मेरी चूत में लण्ड की पेलाई शुरू कर दी। इस बार दस बारह मिनट तक रगड़कर मेरी चुदाई की उसने ! जितना यौन सुख उठाया जा सकता था हम दोनों ने उठाया ! फिर दूसरे दिन उसको गाँव जाना था तो मेरे पति के जाने के बाद एक बार फिर हमने अपने जिस्मों की प्यास बुझाई। फिर मैं ऑफिस और वो गाँव चला गया। आज मेरी यह ख्वाहिश पूरी हो गई थी ! आप सभी को पढ़कर कैसा लगा अपने विचार इस ID पर प्रेषित करें !
फिर अलमारी खोलकर उसमें से पेंटी ब्रा और मेक्सी निकाल ली और फिर आईने में अपने को निहारते हुए अपने बदन की ज्यादा से ज्यादा झलक उसे दिखने की कोशिश करने लगी।
निश्चित ही मेरी बेदाग दूधिया जांघें और गोलमटोल उभरी हुई चिकनी गांड देखकर उसके होश उड़ गए होंगे।
अपनी नजरें उठाई और आश्चर्य से जीतू को देखा जो मन्त्र मुग्ध सा मुझे ही देखे जा रहा था।
मेरा दिल मेरी छाती में धाड़ धाड़ टकरा रहता पर अब मुझे जीतू को उसकी गुस्ताखी के लिए डांटने डपटने का काम करना था !
अब मेरे चेहरे पर राहत भरी कुटिल मुस्कान थी !
परन्तु तू तो बता सकता था, तूने तो जानबूझकर मेरा सब कुछ देख लिया, मुझे बहुत शर्मिंदगी लग रही है, तुझसे कैसे नजरें मिला सकूँगी? तुम्हारे जीजू को पता चलेगा तो….
उसके सीने पर रगड़ दे रही थी और अपने होंटों में उसके होंठ दबा कर उन्हें चूस रही थी, उसके दोनों हाथ मेरी कमर और पीठ पर हरकत कर रहे थे।
अब ज्यादा देर न करते हुए मैंने उसे भी तन से निकाल दिया और जीतू की कमर पर सवार होकर उसके लण्ड को अपने चूत पर रगड़ने लगी।
‘उह्ह…स्स्स्स… ओफो… आआअ… स्स्स्स…’ ऐसी ही अस्पष्ट आवाजें हम दोनों के मुख से निकलने लगी, चूत और उसके दाने पर लण्ड के घर्षण से असीम आनन्द मिल रहा था।
हम एक-दूसरे को सहलाते हुए बातें करने लगे, तब मुझे पता चला कि जीतू भी छुपकर मुझे देखा करता था, कई बार उसने रात में की होल से मुझे और मेरे पति को संभोगरत होते देखा है !
