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अंम्मा के चुदक्कड किस्से

ये मेरी सहेली का अनुभव है जो मैं आप को मेरे शब्दों मैं बता रही हु.

हाय
मेरा नाम पूर्वी है. मै अब बडी हो चुकी हू. मुझे काफी टाईम से शक था अपनी अंम्मा पे, आज मै आप को बताउंगी मेरे अंम्मा के चुदक्कड किस्से. जब मै बड़ी हुई और कॉलेज मे जाने लगी मेरा शक जादा यकीन मे बदल ने लगा तब मैने घर मे सीक्रेट कॅमेरे लागाये थे जीसमे अंम्मा के चुदक्कड विडिओ रेकॉर्ड किये. चलो अब सुनो ये कहानी.

किस्सा पेहेला
मै और अंम्मा मुंबई मे रेहते है. पापा काफी साल पेहेले ही गुजर गये. अंम्मा बीच बीच मे गाव जाती थी. एक दिन अंम्मा ने कहा “पूर्वी बेटी चलो एक हफ्ते के लिये गाव होके आते है, तुझे भी स्कुल मे छुट्टी है” तो हम लोग गाव गये. गाव मे मेरे दादाजी याने मेरी अंम्मा के ससुरजी और मेरे पिताजीके बडे और छोटे भाई रेहते है. दादीमाँ तो गुजर गयी थी. हमरा खाना पिना सब गाव से ही आता था और पैसे भी दादाजी याने अंम्मा के सासुरजी भेजते थे. हम रईस थे तो पैसे का कोयी प्रॉब्लेम नही था. एक दिन मै ऐसे ही घुमने गयी, दोपहर का वक्त था सोचा खेत मे घुम के आऊ घर भी कोयी नही था. घुमते घुमते मै खेत मे गया कुछ अजीब सी हलचल सुनायि दि इसलीये मै थोडी और आगे गयी देखा तो एक आदमी आधा नंगा अपनी धोती निकालके अपना लंड हिला रहा था उस्के सामने एक औरत लेटी थी.
मै थोडी आगे गयी देखा तो वो मेरे दादाजी थे गौर से देखा तो लेटी हुयी औरत मेरी अंम्मा थी. मुझे शॉक लगा मेरे पैरोसे जमीन निकल गयी. मै छुपके देख रहि थी, सून
रही थी, दादाजी अपना लंड हिलाके बोल रहे थे “अरे शीला मेरी बाहुराणी.. कितना तडपाओगी तू यही आजा गाव मे रेहने यहा सब कुछ है” अंम्मा बोली “हा सासुर जी यहा सब है लेकीन बेटी की पाढाई वहा है और अगर मै यहा आऊनगी तो आप तो मुझे नंगा ही रखोगे, दिनभर मुझे चोदोगे रातभर चोदोगे मेरी पुरी वाट लग जायेगी, अब जलदी करो जो करना है नही तो बेटी उठ जायेगा, घुमते घुमते यहा तक आयी तो उसें ये राज पता चलेगा” मेरे दादाजी गाव तंदुरुस्त आदमी है उसका लंड तो सॉलिड था. दादाजी ने अंम्मा से कहा “चल बहुरानी अब कुतीया बन जा” अंम्मा उलटी हो गयी और दादाजी ने अपना बडा लंबा लंड अंम्मा के चुत मे घुसा दिया. काफी टाईम उनका सेक्स चला. दादाजी जोर जोर से ठोके दे रहे थे और वो झेल रही थी. कुछ देर के बाद दादाजी पुरे अंम्मा के उपर लेट गये. मै समझ गयी होगया इन्का काम. अंम्मा ने कहा “सुरजी इस उमर मे भी आप का इतना बडा और इतना पानी फेक ता है, हाय दय्या” दादाजी बोले “हा बहू सब तेरेलीये ही जमाके रख ता हू” कुछ देर वो वैसे ही पडे रहे. अंम्मा उठी साडी ठीक की दादाजी ने भी कपडे पेहने और वो दोनो अलग अलग निकल गये.

अब मेरे पस एक अच्छा टाईम पास था
अंम्मा का पिच्छा करना.

किस्सा दुसरा
उसी रात हमारे गाव मे ऑर्केस्ट्रा था. गाव के सब लोग वहा थे अंम्मा भी थी. मेरा ध्यान पुरा अंम्मा पे था. कुछ ही देर मे अंम्मा वहासे उठ गयी निकल पडी. मैने भी अंम्मा का पिच्छा किया देखा तो अंम्मा आगे चल रही थी कुछ ही अंतर से पिछेसे एक आदमी भी चल रहा था. दोनो चलते चलते हमारे घर की ओर गये लेकीन घर नही गये बलके घर के पिछे गोठा था जहाँ पे हमारे गाय म्हेस थे वहा गये. अंदर हलकासा उजाला था मै वही लकडोके पिछे से देख रही थी. अंम्मा और वो आदमी आमने सामने थे. अंम्माने अपना
पल्लू निकाला तुरंत ही ऊस आदमीने हाथ डालके अंम्मा का ब्लॉउज फाडा उस्के बबलो को हातोसे दबाना चालू किया. तब मुझे पता चला के अंम्मा के पल्लू के नीचे उस्के इतने बडे बोबले. जो मै पेहली बार देख रही थी मै तो
अंम्मा के बडे बोबले देख के पागल ही होगयी. अंम्मा चिलायी “आऊच ये क्या छोटे देवरजी आपने तो मेरा ब्लाउज फाडा..” तब मुझे समझा येतो मेरे छोटे चाचू है. चाचुने कहा “अरे शीला भाभी आप हो ही ऐसी, देखते ही आप के कपडे फाड के आपको नंगा करने का मन करता है”.अंम्मा ने कहा ” हा लेकीन ब्लाउज फाडने की क्या जरूरत थी मै तो दे ही रही थी” छोटे चाचू ने कहा “मजा आता है तेरा ब्लॉउज फाड के तेरे बडे बडे बोबलो को दाबानेमे जो मजा मेरी बीबी मे नही वो तुझमे जादा है” अंम्मा ने कहा “बस बस अब जलदी करो थोडे ही देर मे सब घर आजायेंगे” चाचुने तुरंत ही अंम्मा को लेटाया और चोद ने लगा. काफी वक्त चला फिर दोनो अलग हो गये अंम्मा भी अपने पल्लू से फटा हुवा ब्लाउज को कवर करके घर आगयी और चाचू ऑर्केस्ट्रा देखने चले गये.

फिर रात हम घर थे. मै माँ हम एक ही रूम मे सोते थे.

किस्सा तिसरा
दुसरे दिन मेरी निंद खुली. अंम्मा ने कहा “तू नाश्ता करले तब तक मै आती हू” वो चली गयी. मैने तुरंत ही रोटी सबजी थोडी हाथ मे ली और अंम्मा का पिच्छा करने निकली. अंम्मा के हाथ कुछ बरतन थे. मैने देखा तो वो विमला चाची के घर जा रही थी. लेकीन मुझे मालूम था के विमला चाची नही है घर, विमला चाची याने मेरे बडे चाचा की बीबी. मै चुपकेसे पिछे गयी और देख ने लगी. बडे चाचा ने दरवाजा खोला और अंम्मा अंदर चली गयी. मै तुरंत ही पिछे गयी खिडकी से कुद के अंदर जाके घर ही छुप गयी. बडे चाचा ने बोला “आवो मेरी छोटी शीला भाभी, ये क्या है?” अंम्मा ने कहा “नाश्ता है आपके लिये” बडे चाचा ने कहा “नाश्ता तो होगया हमरा. ओहह अच्छा अब मै समझा बहाना बनाके आना पडा” अंम्मा कहा “हांजी और नही तो क्या” बडे चाचा ने कहा “आजा मेरी चुदक्कड छोटी भाभी.. बडी चुदक्कड है तू” फिर छोटे चाचू ने अंम्मा बेड पे धक्का देके लेटाडिया और चोदने लगे. खूब चोदा थोडी देर मे उनका काम हो गया. अंम्मा ने साडी पेहनी वो भी निकल पडी और मै वहा से भाग गयी.

किस्सा चौथा
अंम्मा घर आने के बाद सब नॉर्मल था.
दोपहार को खाना हुआ लेकीन मेरा पुरा ध्यान अंम्मा पे था. अचानक मुझे निंद लग गयी जब निंद खुली तब घर कोयी नही था. अंम्मा भी नही थी मैने सब जगह धुंडा कही नही थी. फिर मैने सोचा चलो दिपू के घर जाते है. दिपू ये मेरा गाव का दोस्त मेरे से 5 साल बडा. मेरा बहुत खयाल राखता है, मुझे खाने पिने भी देता है. हम हमेशा साथ मे घुमते है. मै दिपू के घर की ओर बढी देखा तो बाहर से दरवाजा बंद था अंदर से कुंडी लगी थी. मै पिछे की ओर गयी खिडकी से कुद के अंदर गयी, मुझे कुछ बरतन गिरने की आवाज सुनायि दि, मै दबेपाव अंदर गयी देखा तो जमीन पे एक साडी गिरी थी, देखा तो मुझे समझा ये मेरी
अंम्मा की साडी है. मै अंदर गयी बाथरूम की ओर, बडे पानी के ड्रम के पिछे छुपी देखा तो अंम्मा बाथरूम मे खडी थी, उस्के हाथ दिवार पे थे, उस्के ब्लॉउज पेहना था और उसका साया पेटीकोट उपर किया था. पिछे दिपू नंगा था और वो अंम्मा को पिछेसे चोद रहा था. फुल स्पीड से चोद रहा था. चोदते चोदते दिपूने जोर से अंम्मा के बोबले पकडे… अंम्मा बोली “ओये रूक जा इतनी क्या जलदी है, नही मेरा ब्लॉउज फट जायेगा” तुरंत ही अंम्मा अपने ब्लॉउज के बटन खोले और अपने बडे काबूतरोको आझाद किया. अब तो दिपू पागलो जैसा मेरे
अंम्मा के बोबले दबा दबाके उसें फुल स्पीड मे चोद ने लगा. दिपू बोला ” पूर्वी की अंम्मा आप यही आ जायो ना बडा मजा आयेगा”
अंम्मा ने कहा “चल हट तुम्हारी मजा और मेरी सजा होगी उसका क्या, चल जलदी कर अभि नही तो तेरी दोस्त याने मेरी बेटी आजायेगु. दिपू बोला ” फिर भी पूर्वी की अंम्मा आजावो ना, चलो अब ये बतवो फिर कब आवोगे आप?” अंम्मा ने कहा “दिपू जलदी कर बेटा, और हम आये तो तुझे पता चलेगा. पूर्वी तो मिलेगी ना तुझे.. चल अब कर जलदिसे” दिपू का स्पीड और बढा. अब मुझे भी पता चला दिपू मेरा इतना खयाल क्यो रख ता है. मै जभिभी आती हू तब फिर कब आयोगे और अंम्मा भी आयेगी ऐसा पुछता रेह ता है हमेशा.

फिर हम गाव से निकले, मुंबई आगये. मुझे नये कॉलेज मे भी तो जाना था. मुंबई आने से पेहेले दादाजी, बडे चाचा, छोटे चाचा और दिपू ने कयी बार
अंम्मा को चोदा. हम वहासे निकले आते वक्त दादाजीने मुझे काफी पैसे दिये और कहा ये तेरेलिये तू कुछ भी कर इन्का अंम्मा को मत देना.
मेरा कॉलेज चालू हुआ लेकीन मेरी खोज जारी थी थोडे ही दिनोमे मैने घर के हर कोने मे विडिओ कॅमेरे लागाये.
फिर एक दिन ऐसे ही बैठि सोचा चलो रेकॉर्डिंग देखता हू. अब अगला किस्सा सुनो.

किस्सा पाचवा
रेकॉर्डिंग देख ने लगी और यकीन नही हुआ. आगे सुनो अब. मेरा कॉलेज चालू हुआ घर दोस्तो आना जाना सुरू हुआ. मेरा एक प्रवीण करके दोस्त था वो आता था. ऊस रोज मै पिकनिक मे गयी थी मै घर नही थी. ऊस वक्त प्रवीण मेरे घर आया अंम्मा के साथ कुछ बाते की. अंम्मा भी उसें अब जानने लगी थी. वो दोनो बाते करते करते किचन मे गये और प्रवीण रोने लगा. रोते रोते उसने अंम्मा को गेले लगाया. अंम्मा ने भी उसें चेअर पे बिठाया तब मैने ध्यान से सुना वो अपनी गर्लफ्रेंड के ब्रेकऑफ के बारेमे बता रहा था. वो चेअर पे था अंम्मा खडी थी. उसने अपना सिर अंम्मा के बोबलो पे रखा था औए अंम्मा भी उसकी पीठ सेहला के उसका रोना शांत करने की कोशीष कर रही थी. उस वक्त अंम्मा का पल्लू गिरा उसका ध्यान था या नही लेकीन प्रवीण की आखे अंम्मा के बडे बडे बोबलो पे गयी और उसने अंम्मा को जखेडके उस्के होटो पे किस किया. अंम्मा तुरंत ही पिछे हटी. वो उठा अंम्मा की ओर बढा उस्के बोबलो को दबाया अपने दोनो हातोसे. अंम्मा ने कहा “ये क्या कर रहे हो प्रवीण? चलो हटो मै तेरे दोस्त की अंम्मा हू, तू भी मेरे बेटेजैसा है” प्रवीण ने कहा “अँटी आप बहुत सुंदर हो आप मुझे अछि लगती हो प्लीज”अंम्मा बोली “नही बेटे ऐसे नही करते” प्रवीण बोला “अँटी प्लीज” और अंम्मा को पकड के डायनिंग टेबलपे लिया उस्के दोनो पैर उपर किये, साडी उपर की, उसकी निकर खोल दि औए खुद की भी पॅन्ट उतार दि और आधा नंगा होगया. जवान ही था उसने अंम्मा को लेटाके उसका ब्लॉउज फाड दिया फुल फाडा ब्लॉउज अंम्मा का, और उस्के बडे बडे बोबले दोनो हाथ मे लिये उन्हे जोरोसे दाबाने लगा उपरसे एक अपने मुसे उनके बोबलो की चुचीयो निप्पल को काटने लगा उन्हे चुसने लगा. शूर मे अंम्मा ने ना ना किया लेकीन बाद मे उसें भी मजा आने लगा. उसने भी अपने हातोसे प्रवीण का लंड पकडा औए अपने चुत पे रखा बलके उसें मदत की. प्रवीण मे अब और भी जोश आया अब उनकी जोर से ठुकायी होने लगी जैसे के कोयी कंपिटीसन मुकाबला हो रहा था. वो जोर जोर से अपनी कमर हिला हिला के लंड अंदर अंम्मा के चुत ने घुसड रहा था और अंम्मा अपनी गांड आगे पिछे हिला हिला के उस्के प्रतिसाद दे रही थी. कुछ ही देर मे दोनों अलग हो गये. फिर उसमे और एक विडिओ था जीसमे एक घंटे के बाद फिरसे अंम्मा और प्रवीण मे चुदायी हुयी थी. बलके उस रात प्रवीण मेरे ही घर था क्योके मै तो पिकनिक गयी थी. उस रात काफी चुदायी की अंम्मा और प्रवीण ने बेडरूम मे.

कुछ दिनो के बाद प्रवीण युके चलागया
उसकी पुरी फॅमिली वहा शिफ्ट हो गयी.

किस्सा छटवा
फिर मैने अगला विडिओ लगाया. वो होली के दिन थे मै कॉलेज के दोस्तो के साथ बाहर थी. विडिओ चल रहा था. घर कोयी आया अंम्मा ने दरवाजा खोला. देखा तो मेरा अमर नाम का दोस्त था अब मुझे याद आया हम सब मे अमर उस वक्त हमारे साथ नही था. उन दोनो मे कुछ बात हुयी, अमर अंदर गया बाथरूम मे, मैने कॅमेरा बाथरूम मे भी लगाया था. अमर बाथगरूमे नंगा नहा रहा था कुछ ही देर मे अंम्मा अचानक बाथरूम आगयी. कुछ बाते हुयी अमर ने अंम्मा को भी शॉवर के नीचे लिया. सुरू मे ना ना ही हुवा बाद मे अंम्मा भी नंगी हो गयी. अमर नीचे बैठा और अंम्मा उस्के उपर बैठ गयी, दोनो का मु आमने सामने था, उसका लंड अब अंम्मा के चुत मे था. अंम्मा भी उपरसे उछलने लगी, उसने नीचेसे अंम्मा की चुतड पकडी थी और वो भी नीचेसे ठोके दे रहा था. जोरशोर से चुदायी चालु होगायी. काफी वक्त दोनो शॉवर के नीचे थे वो एक तरफ नीचेसे अंम्मा के चुतड पकड के ठोके देरहा था, अंम्मा भी उछल उछल के उस्के लंड पे कुद रही थी और वो एकतरफ अंम्मा के बोबले मु मे लेके काट रहा था. उनकी चुदायी काफी वक्त चली. फिर वो अलग हो गये.

कुछ ही महिनो मे अमर भी अमेरिका चला गया अपनी फॅमिली के साथ.

अम्मा की इस चुदाई को देख देख के मैं भी चद्दकड बन गयी, मैंने भी कयी लडकोसे ओर तो ओर परिवारमे जब गांव गयी टैब दोनों चाचू ओर दादाजी से भी चुदाई की, अब के लिए इतना काफी है मेरी बाकी कहानी किसी वक़्त बताऊंगी.

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