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यह बात नहीं कि कमसिन छोकरियों को मैंने बिलकुल पहली बार ही चोदा हो, दर असल बहुत बार रगड़ चोदा है। लेकिन जो मज़ा नमिता ने दिया वो अब तक किसी से ना मिला। मुझे पता है कि आजकल कम उम्र में भी बालिकाओं की काम भावना जाग जाती है। यदि उसकी सही पूर्ति न हो तो उनका स्वास्थ्य खराब होने लग जाता है। मैं गलत नहीं हूँ। इस उम्र की छोकरी की मैं ध्यान से लेता हूँ ताकि उसके तन या मन को नुकसान ना हो। बहुत से दुष्ट दस-बारह साल की लड़की की कच्ची चूत में अपना भरकम लौड़ा फंसा उसके नाजुक गुप्तांग को चोट लगा मारते हैं; कई बार इससे लड़की की योनि से खून आ जाता है।मगर मैं ये कठोर या गलत काम नहीं करता।मैंने सुमिता, नमिता, और सुशि को प्यार से टटोला। हाँ, इंका नागा मज़ा लेने को मैंने इन्हें थोड़ा ब्लेकमेल किया, करना पड़ता है पर इसका मतलब ये नहीं कि मैं मासूम, कच्ची कली का रेप कर डालूँ; ना-ना-ना।
पहली बात तो ये कि इतनी कम उम्र की कन्याओं को मैंने पहली बार नंगी मस्ती करते देखा। इससे मैं उत्तेजित हो गया। तय किया कि मैं इनका मज़ा लूँगा पर प्यार से, कोमलता से और बिना उनके नाजुक अंगों को चोट पहुंचाए। इस लिए सबसे पहले मई उन्हें एक होटल ले गया और उन्हें भरपूर मिठाई खिलाई और ड्रिंक भी पिलाया। यह होटल हालांकि ऐसा -वैसा था पर मैंने वैसा नहीं किया। इस होटल में नाच गाने का इतजाम था सो मैंने इन तीनों को मादक डांस जरूर दिखाया। यह डांस भी उन जैसी उम्र की छोरियाँ कर रहीं थीं। डांस दिखते समय मैंने सुमिता, नमिता, और सुशि को बारी-बारी अपनी गोद चढ़ाया और गाल सहलाये। यह डांस थोड़ा-थोड़ा करके अश्लील भी हो जाता था; तब मैंने इन लड़कियों की मन मर्जी से हल्का फुल्का खेल खेला। सुमिता सबसे बड़ी, चौदह साल की थी वो बार-बार खुद ही मेरी गोद में चढ़ उतर रही थी। जब वह मेरी गोद में धंस कर अश्लील डांस का मज़ा लेने लगी तब मैंने उसे एक मोटा पका हुआ केला खिलाया जो वो मुंह मार खाने लगी। नमिता को गोद में लगा चाशनीवाला लंबूतरा गुलाबजामुन और गोल-गोल कालाजामुन खिलाया, गरम-गरम। सुशि को लोल्लिपॉप चुंसाया॰ > > > >
कुछ भी हो नमिता ज्यादा बार मेरी गोद चढ़ी, वो अपनी प्यारी-प्यारी टांगें फटकारते हुए किलोल कर रही थी, उसका एक हाथ खुशी-खुशी सुशि के स्कर्ट में घुस रहा था जहां वो कुछ टटोल रही थी। नमिता सबसे बड़ी थी व ज्यादा नटखट सो उसने चला कर अपना हाथ मेरे पेंट की ज़िप पर दे डाला और कामुकता के साथ बोली– ” अंकल, बुरा ना मानें, मगर आज हम आपका लौड़ा देख कर ही रहेंगी! ” यह सुन मेरी सांस रुक गई और मैं तड़फ उठा। फिर हिम्मत से बोला– ‘ ठीक है, अपना लौड़ा दिखाऊँगा पर ये बात तुम किसी को बताना मत!! ” वो बोली– ‘प्रोमीज, नहीं बताएँगे! ” इस वक्त होटल का एक सहायक कर्मचारी जो ये मामला देख रहा था मेरे पास आया और मुझसे अपनी खास अँग्रेजी जुबान में कहने लगा — ” आप सर, एक प्राइवेट केबिन लें-लें, इन लड़कियों को हम जानते हैं, बिगड़ी हुई हैं, आप सावधानी से अपना काम कर लें।” इशारा समझ मैने इन तीनों को एक अच्छे केबिन में ले गया और घुसने के बाद दरवाजा बंद कर लिया। मेरा दिल धड़क रहा था क्योंकि नमिता का हाथ अभी भी मेरी पेंट के उस भाग पर था जिसके भीतर मेरा गुप्तांग अर्थात लंड था। मैंने अपना पेंट सावधानी से नीचे सरकाया, भीतर अंडरवीअर तो था नहीं, बस जो था नंगा लंड था। तीनों उसे सहला-सहला देख रही थी। वो जैसे-जैसे सहलातीं मेरा लौड़ा फनफना कर मोटा और कड़क होता जाता। नमिता ने भी मेरा लौड़ा सहलाया; उसके हाथ बहुत कोमल और स्पर्श मखमली था। सुमिता मेरे नंगे अंडकोश से खेलने लगी। नमिता ने सुशि को कहा कि वह भी मेरा लंड यानि लौड़ा सहलाये। सुशि कि हथेलियाँ बहुत अधिक कोमल और प्यारी-प्यारी थी। सुशि के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता क्योंकि वह सिर्फ दस साल की थी पर सुमिता और नमिता मेरे कठोर लंड से बहुत प्रभावित थी।
कमसिन सेक्स का मज़ा कौन लेना नहीं चाहता? सो मैंने सुमिता की कमर टटोली और बोला– ‘ देखो, मैंने तो अपना लौड़ा तुम तीनों को दिखा दिया, मगर तुम्हारा भी फर्ज़ बनाता है कि अंकल को अपना नाजुक नमकीन ”माल” दिखाओ!! ” यह सुन सुमिता ने मेरा हाथ पकड़ा और उसे नमिता कि चड्डी के भीतर सरका दिया। नमिता ही-ही करके हंसने लगी। फिर नमिता ने मेरा दूसरा हाथ सुशि कि चड्डी के भीतर सरका दिया; ” आह, सुशि का अंग मेरी हथेली की त्वचा से क्या छूया मेरे शरीर में चींटियाँ रेंगने लगी। एकदम स्वर्ग का सुख।
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